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संदर्भ : लोकसभा चुनाव 2024 ,मौसम गर्म, ठंडा चुनाव,न मुद्दे न लहर, मतदाताओं के मौन का कहर @सच्चिदानंद शेकटकर

(जय लोक)। लोकसभा के अब तक 17 चुनाव हो चुके हैं। इस बार 2024 में लोकसभा का 18वाँ चुनाव हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार तीसरी बार बनाने के लिए यह चुनाव अलग मिजाज में ही हो रहा है। इस बार के चुनाव के लिए प्रधानमंत्री ने खुद अबकी बार 400 पार का नारा दिया है। लेकिन लोकसभा का यह जो चुनाव हो रहा है वह भीषण गर्मी में और सूरज की लगातार बढ़ती तपिश के बीच चुनाव बेहद ठंडा नजर आ रहा है। चुनावी रंगत गायब है और चुनावी प्रचार फीका पड़ता नजर आ रहा है। इस बार के चुनाव में उम्मीद की जा रही थी कि चुनाव बड़ी घमासान वाला होगा। लेकिन ऐसा देश में कहीं भी नजर नहीं आ रहा है। लोकसभा के चुनाव के लिए ना तो सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी और ना ही विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन चुनावी माहौल बना पाया है। भारतीय जनता पार्टी के साथ विपक्षी दलों का एक गठबंधन है और दूसरा गठबंधन विपक्षी दलों का कांग्रेस के साथ है। अधिकांश राजनीतिक पार्टियाँ इन दोनों ही गठबंधन में बटी हुई हैं, इसके बावजूद भी चुनावी रंगत फीकी पड़ती नजर आ रही है।
चुनावी मुद्दे गायब हैं  
यह पहला ऐसा चुनाव है जिसमें कोई बड़े चुनावी मुद्दे उभर कर सामने नहीं आए हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने भारी-भरकम चुनाव घोषणापत्र जारी कर दिए हैं। दोनों ही दलों ने बड़े-बड़े चुनावी वादे किए हैं। लेकिन चुनावी घोषणापत्र को लेकर मतदाताओं में ना कोई रूझान हैं ना ही किसी तरह की हलचल।
किसी तरह की लहर नहीं  
इस बार के चुनाव में किसी तरह की लहर न पक्ष में और न विपक्ष में नजर आ रही है। 2014 और 2019 के चुनाव में देशभर में जमकर मोदी लहर चली थी। उम्मीद यह की जा रही थी कि प्रधानमंत्री मोदी की तीसरी पारी के लिए पूरे देश भर में एक बार फिर मोदी लहर चलेगी। लेकिन इस बार वैसी लहर नजर नहीं आ रही है। वैसे भाजपा और उसके सहयोगी दलों के उम्मीदवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए चुनाव में जो भी चर्चा है वह सिर्फ  मोदी के नाम की ही चर्चा है। सत्ता पक्ष मोदी के चेहरे को भुंजाने में लगा हुआ है और विपक्षी दल मोदी विरोधी माहौल बनाने में लगे हुए हैं। इस कारण उम्मीदवारों का चेहरा पूरी तरह से गायब है। इसका असर यह देखने को मिल रहा है कि लोकसभा क्षेत्र में चुनावी माहौल नहीं बन पा रहा है।
पहले चरण के मतदान से हवाइयाँ उड़ी
लोकसभा के पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को 102 लोकसभा की सीटों पर मतदान हो गया है। यह लोकसभा सीटें 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अंतर्गत आती हैं। पहले चरण का जो मतदान हुआ है उसमें अधिकांश राज्यों में मतदान का प्रतिशत निराशाजनक ही रहा है। कम मतदान प्रतिशत में सत्तारुढ़ भाजपा और विपक्षी दलों के गठबंधन दोनों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। मोदी ने इस बार अपने चुनाव प्रचार की रणनीति भी बदली है। लोकसभा के कुछ क्षेत्रों में प्रधानमंत्री जहां जनसभाएं कर रहे हैं तो कई लोकसभा क्षेत्र में रोड शो कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के रोड शो कुछ ज्यादा ही संख्या में कराया जा रहे हैं।
96 करोड़ मतदाताओं में 80 करोड़ मतदाता तो मुफ्त राशन खा रहे
देश में कुल 96 करोड़ मतदाता है जिन्हें मतदान करने का अधिकार प्राप्त है। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 80 करोड़ लोगों को पांच किलो मुफ्त राशन खिला रही है। पहले चरण के मतदान में कई क्षेत्रों में जब 50 प्रतिशत के करीब मतदान हुआ है तो यह साबित होता है कि मोदी सरकार का मुफ्त में राशन खाने वाले मतदाता भी मतदान करने तैयार नहीं हैं। 96 करोड़ मतदाताओं में से मुफ्त का राशन खाने वाले 80 करोड़ मतदाता हैं यदि ये मतदान कर देते हैं तो मतदान का प्रतिशत कितना होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन मतदाता को इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता है की जो उसे मुफ्त में राशन खिला रहा है उसे कम से कम एक वोट तो देना ही चाहिए।
मौन है मतदाता  
लोकसभा का यह पहला ऐसा चुनाव है जहाँ मतदाता पूरी तरह से मौन धारण किए हुए हैं और वह कुछ भी कहते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। इसी वजह से चुनाव प्रचार फीका पड़ गया है। क्योंकि मतदाता राजनीतिक दलों को कोई भाव नहीं दे रहे हैं। विशेषज्ञों का यह कहना है कि लोकसभा का इतना फीका चुनाव कभी देखने को नहीं मिला। मतदाताओं के मौन और ठंडे चुनावी माहौल को देखकर कुछ विशेषज्ञ बड़े उलटफेर की आशंका भी जता रहे हैं। वहीं भाजपा अपनी बड़े बहुमत से जीत का दावा कर रही है।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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