जबलपुर (जयलोक)। मानहानी मामले में राहत पाने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा इस मामले की सुनवाई के ठीक एक दिन पहले हाईकोर्ट पहुँचे हैं। यह मामला एमएलए कोर्ट जबलपुर में लंबित है और इसकी सुनवाई होनी है। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को खारिज किए जाने की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन सिंह ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा। वहीं सांसद विवेक तन्खा की ओर से उनके अधिवक्ताओं ने भी अपना पक्ष रखा। उनका कहना था कि पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा दाखिल की गई याचिका की प्रति उन्हें प्राप्त नहीं हुई है।
सुनवाई के उपरांत जस्टिस श्री संजय द्विवेदी की कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुरक्षित कर दिया है। मामला 27 प्रतिशत आरक्षण से जुड़ा हुआ है। जिसमें 27 प्रतिशत आरक्षण को रद्द किए जाने के बाद कांगेे्रस नेता और अधिवक्ता सांसद विवेक तन्खा को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ओबीसी विरोधी कहा था। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। सांसद विवेक तन्खा ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पंचायत और निकाय चुनाव में रोटेशन और परिसीमन को लेकर पैरवी की थी। जिस पर भाजपा नेताओं ने उन्हें ओबीसी विरोधी कहा था। इसके बाद सांसद विवेक तंखा द्वारा मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और तत्कालीन मंत्री भूपेंद्र सिंह को नोटिस भेजकर उनकी मानहानि करने का आरोप लगाया और साथ ही उनसे माफी मांगने को कहा। लेकिन तीनों नेताओं ने विवेक तन्खा से इस मामले में माफी नहीं माँगी जिसके बाद दस करोड़ की मानहानी का मुकदमा दर्ज किया गया। सांसद विवेक तन्खा की ओर से कहा गया था कि बिना तथ्य को जाने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य दो नेताओं ने उन पर गंभीर आरोप लगाए थे। जिससे उनकी छवि पर असर पड़ा है। सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जो पिटीशन लगाई गई थी उसमें ओबीसी से संंबंधित कोई बात नहीं थी लेकिन इसके बाद भी उन पर गंभीर आरोप लगाए गए।
