चैतन्य भट्ट
(जयलोक)। लगता है अपने फिल्मी गीतकारों को बहुत पहले से अपने देश की दो प्रमुख पार्टियों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की कहानी के बारे में पता लग गया होगा इसलिए उन्होंने ऐसे ऐसे गीतों की रचना की जो फिल्मों में तो सेट हो ही गए वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की कहानी में पूरी तरह से फिट हो गए हैं। जिस तरह से कांग्रेस के लोग कूद कूद कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं उसके मद्दे नजर कांग्रेस यही गीत गाती नजर आ रही है ‘जाने कहां गए वो दिन कहते थे तेरी याद में नजरों को हम बिछाएंगे’ इसके बदले में कांग्रेस से आने वाले तमाम नेताओं के लिए बीजेपी यह गीत गुनगुनाती रही है ‘आओ हुजूर तुमको बहारों में ले चलूं दिल झूम जाए ऐसे नजारों में ले चलूं’ बड़े-बड़े नेता जिस तरह से कांग्रेस का दामन छोडक़र बीजेपी के गोद में बैठ रहे हैं उसको देखते हुए कांग्रेस ये गीत भी गा रही है। ‘अगर बेवफा तुमको पहचान जाते तुम्हारी कसम हम मोहब्बत ना करते’ तो इसके जवाब में बीजेपी ये गीत छेड़ दिया है ‘आइए आपका था हमें इंतजार आना था आ गए कैसे नहीं आते सरकार’ लेकिन कुछ ऐसे कांग्रेसी भी हैं जो इस संकट काल में भी अपनी पार्टी के साथ खड़े हुए हैं और ये गीत गा रहे हैं ‘जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां’ तो वहीं भाजपा उन्हें भी बुलाने के लिए इस गीत से उन्हें निमंत्रण दे रही है ‘मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए’। कांग्रेस की जो हालात है उसको यदि देखा जाए तो शीर्ष नेतृत्व ऐसा ना हो कि कुछ दिन में अकेला ही रह जाए और यह गाना गाता मिले ‘चल अकेला, चल अकेला तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला’ जो कांग्रेसी कल तक बीजेपी से नफरत करते थे उसके खिलाफ बयान दिया करते थे उनको बीजेपी ने इस गाने की मदद से अपना बना लिया ‘नफरत करने वालों के सीने में प्यार भर दूं मैं वो परवाना हूं पत्थर को मोम कर दूं’। स्थितियां ऐसी हैं कि कब कौन, किस वक्त पंजे से अपना हाथ छुड़ाकर कमल की माला पहन ली शायद भगवान भी नहीं जानता और जो छोड़ छोड़ कर जा रहे हैं पार्टी को वे पार्टी को यही संदेश दे रहे हैं ‘हम छोड़ चले हैं महफिल को याद आए कभी तो मत रोना’ इधर भाजपा में हजारों कांग्रेसियों के प्रवेश के बाद सारे भाजपाई मिलकर गा रहे हैं ‘आओ झूमें नाचें मिलकर धूम मचाएं खुशियों के दीप जलाएं’ और तो और उन तमाम दलबदलू कांग्रेसियों को निमंत्रण देते हुए उनके प्रति आभार प्रकट करते हुए बीजेपी यह गीत भी सुना रही है ‘आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे’। वही कांग्रेस आंखों में आंसू भरकर ये गीत गा रही है ‘हमसे का भूल हुई जो ये सजा हमको मिली अब तो चारों ही तरफ बंद है दुनिया की गली’ पार्टी तो पार्टी अब तो नेता भी गीतों में उलझ गए हैं अपनी पाटन विधानसभा के पूर्व विधायक जो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे रातों-रात भाजपा में शामिल हो गए और उनके शामिल होते ही वर्तमान विधायक अजय बिश्नोई के लबों पर ये गीत आ पंहुचा ‘जुबां पे दर्द भरी दास्तां चली आई बहार आने से पहले खिजां चली आई’ इसके उत्तर में नीलेश अवस्थी ये गीत गाते मिलेंगे ‘कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना, छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत न जाए दल बादल की रैना’।
डांस ने करवा दिया सस्पेंड
लोग बात कहते हैं कि जब कहीं कोई संगीत बजता है या कोई धूम धड़ाके वाला गाना सुनाई देता है तो ना नाचने वाले व्यक्ति के भी पैर थिरकने लगते हैं और फिर जब होली का माहौल हो तो फिर तो कहना ही क्या। लेकिन जबलपुर के सहायक आबकारी अधिकारी को क्या मालूम था कि उनका यह डांस उनके गले की फांस बन जाएगा, बस हुआ इतना था कि एक शराब के ठेकेदार के गोदाम में होली मिलन का कार्यक्रम चल रहा था मस्ती का माहौल था बस सहायक आबकारी अधिकारी भी अपने आप पर काबू नहीं रख पाए और ऐसे ऐसे ठुमके लगाए कि बड़े-बड़े नच्चैये भी देखकर शर्मा जाए, सरकारी यूनिफॉर्म की भी उनको चिंता नहीं थी कि कम से कम सादे कपड़े पहनकर ठुमका लगा लेते, पता नहीं किसी करमजले ने हुजूर का वीडियो बना लिया और उनके उच्च अधिकारियों के साथ-साथ शासन को भी पहुंचा दिया कि देखिए आपके अधिकारी कितने जबरदस्त डांसर है जब शासन ने वीडियो देखा तो जाहिर सी बात कि ये बात उन्हें अच्छी नहीं लगी कि उनका अफसर इस तरह से दारू के ठेकेदार के गोदाम में डांस करता है ऊपर से आदेश आया और भाई साहब सस्पेंड हो गए। अब बेचारे दुनिया भर से कहते फिर रहे हैं कि भैया ऐसा कौन सा मैंने पाप कर दिया थोड़े से ठुमके ही तो लगाए थे लेकिन मुझे क्या मालूम था कि मेरे ये ठुमके मेरी नौकरी पर ठुमके बनकर बरसेंगे, अब हुजूर का सस्पेंशन कब खत्म होता है यह कहना बड़ा मुश्किल है लेकिन उन्होंने ईश्वर की शपथ जरूर ले ली है कि चाहे कितने ही बैंड बाजे बाजे बजाते रहें, एक से गाने सुनाई देते रहे लेकिन में सावधान की मुद्रा में ही खड़े रहेंगे क्योंकि जरा सा पैर थिरका और हुजूर का सस्पेंशन तैयार हुआ, और तो वे डांस से इतना डर गए हैं कि जिस फिल्म में डांस होता है वो फिल्म ही वे नहीं देखते।
वोट भी दो, नोट भी दो
अभी तक के चुनावी इतिहास के बारे में तो अपने को यही जानकारी थी कि जो भी नेता चुनाव में खड़ा होता है वो लोगों को नोट बांटता है ताकि नोट लेने वाला उसे नोट के बदले वोट दे, लेकिन अपने जबलपुर में लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेसी उम्मीदवार ने इस कहानी को ही पलट दिया पता लगा है कि लोकसभा के कांग्रेसी उम्मीदवार दिनेश यादव लोगों से वोट मांगने की अपील के साथ-साथ नोट भी मांग रहे हैं वे जिससे वोट मांगने की अपील करते हैं उसको बताते हैं कि पार्टी की और उनकी स्थिति चुनाव लडऩे की नहीं है इसलिए वोट के साथ-साथ मुझे कम से कम दस रुपए का एक नोट तो जरूर दें पहले तो लोग बाग इसे मजाक समझते हैं लेकिन जब दिनेश भाई दस रुपए के लिए अड़ ही जाते हैं तब लोग उन्हें दस की बजाय सौ रुपए तक भी उनकी झोली में डाल देते हैं अब बीजेपी वाले भारी हलाकांन कि यह कौन सी नई नौटंकी कांग्रेसी प्रत्याशी ने शुरू कर दी है। भाजपा प्रत्याशी का कहना है कि ये सब स्टंट बाजी है लेकिन इस स्टंट बाजी का एक फायदा जरूर हुआ दिनेश बाबू को, जो मीडिया कांग्रेस को कवर नहीं करती थी उन तमाम मीडिया चैनल्स में दिनेश भैया की खबरें चलने लगी यानी कि फ्री फोकट में पब्लिसिटी और उसके साथ-साथ नोट भी उनके जेब में आ रहे हैं मान गए दिनेश जी क्या स्कीम चली है आपने भले ही वोट मिले ना मिले कम से कम नोट तो मिलेंगे और किसी को भी नोट देने की नौबत नहीं आएगी क्योंकि जो खुद ही नोट मांग रहा हो उससे कौन सा मतदाता है जो नोट मांगने की हिम्मत कर सके।
सुपर हिट ऑफ द वीक
श्रीमान जी डाक्टर के पास गए और बोले
‘डाक्टर साहब मुझे रात में सपने में बंदर फुटबाल मैच खेलते हुए दिखाई देते हैं’
डाक्टर साहब ने एक गोली दी और कहा ‘इसे खाना खाने के बाद सोने से पहले खा लेना’
‘कल खा लूंगा आज तो फाइनल मैच है’ श्रीमान जी ने डाक्टर साहब को समझाया।
फिल्मी गीतों में सज गई भाजपा, कांग्रेस की कहानी…
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