जबलपुर (जय लोक)
जिला कलेक्टर कार्यालय में कोरोना काल के समय सुविधा और जानकारी मोहिया कराने के उद्देश्य से एक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया था । जिसमें टोल फ्री नंबर जारी कर जरूरत अनुसार आम लोगों को शिकायत और मदद प्राप्त करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। कोरोना का दौर खत्म होने के बाद भी यह कंट्रोल रूम बना हुआ था और कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के टाइम पास का अड्डा बना हुआ था और एक चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी उमाशंकर अवस्थी जो एक पूर्व कलेक्टर की चापलूसी कर उनके कृपा पात्र बन गया था और उसे यहां का प्रभारी बनकर बैठा दिया गया था। सूत्रों के अनुसार पूर्व कलेक्टर भारत यादव के समक्ष यह शिकायत आई थी कि कोरोना काल के समय वाहनों की अनुमति बनाने के कार्य के लिए कण्ट्रोल रूम प्रभारी पैसे लेता था, जिसे तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया था। पूर्व कलेक्टर सौरभ सुमन ने भी इस व्यक्ति पर अपनी नजरें तिरछी कर ली थी लेकिन कार्यवाही से पहले ही उनका तबादला हो गया था और यह व्यक्ति प्रभारी बन कर ही बैठा रह गया था। वर्तमान में भी इसने अपनी हरकतों से जिला प्रशासन की छवि को धूमिल क्र भ्रम पैदा करने का कार्य किया । परिणाम स्वरूप कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इस अनुपयोगी कंट्रोल रूम को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। उमाशंकर अवस्थी मूल रूप से अधारताल छात्रावास के चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी है और वाटर मैन के पद पर है।
दुकानदारी का अड्डा बना कंट्रोल रूम कलेक्टर ने किया बंद : चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी बनकर बैठा था प्रभारी
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