जबलपुर (जयलोक)
मुम्बई जाना हो तो हैदराबाद होकर जाओ, बंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता आदि शहरों की यात्रा करना हो तो हैदराबाद या दिल्ली होकर जाओ क्योंकि जबलपुर से उक्त शहरों की कोई भी डायरेक्ट वायुसेवा नहीं है। दो घंटे के सफर को पूर्ण करने में छह से सात घंटे लग रहे हैं क्योंकि डायरेक्ट फ्लाइट न होने से हौप्पिंग फ्लाइट से यात्राएं करना पड़ रही हैं जो की यात्रियों की जेब पर विपरीत असर डाल रही हैं।
इस तथाकथित आकाशीय परिक्रमा से जबलपुर के उद्योग, व्यापार, विधि, चिकित्सा, अध्ययन के क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, यह कथन है वायुसेवा संघर्ष समिति के हिमांशु खरे का। उन्होंने बताया कि जबलपुर को देश के प्रमुख नगरों से जोडऩे पूर्व में अनेक प्रयास हुए जिसमें कुछ सफलताएं भी मिलीं किन्तु वर्तमान परिदृश्य में एयरलाइन कंपनियों की जबलपुर के प्रति बनी उदासीनता सवालों के घेरे में है।
अन्य शहरों के संघ भी जुड़ेंगे
वायुसेवा संघर्ष समिति के संजय वर्मा ने इस अवसर पर बताया कि जबलपुर से नज़दीक शहर जैसे कटनी, सतना, मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, बालाघाट आदि के नागरिकगण भी जबलपुर से वायु यात्रा करना पसंद करते हैं। उक्त शहरों के यात्री भी फ्लाइट कनेक्टिविटी न होने से खासे परेशान हो रहे हैं। समिति के सदस्यों ने बताया कि उक्त शहरों की संस्थाओं तथा विभिन्न संघों को भी इस अभियान का हिस्सा बनाया जायेगा।
वायुसेवा संघर्ष समिति ने पुन: प्रधानमंत्री, केंद्रीय विमानन मंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस आशय का पत्र लिखा है। समिति के हिमांशु खरे ने उम्मीद जताई है कि जबलपुर को प्रमुख शहरों से जोडऩे एयरलाइन कंपनियां सकारात्मक रवैया अपनाएंगी।
