जबलपुर (जयलोक)
2024 का लोकसभा चुनाव होने जा रहा है। सात चरणों में होने वाले इस चुनाव में जबलपुर लोकसभा सीट के लिए प्रथम चरण में 19 अप्रैल को मतदान हो जाएगा। बड़े आश्चर्य की बात है कि इस लोकसभा चुनाव में जबलपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्रों से संबंधित विकास के मुद्दे नदारत हंै। इन मुद्दों को तो जैसे चुनाव प्रचार में जबलपुर लोकसभा क्षेत्र की जनता के बीच में कोई स्थान दिया ही नहीं गया है। केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और उनकी उपलब्धियों के गुणगान को प्रचारित प्रसारित कर यह चुनाव लड़ा जा रहा है। जबलपुर की जनता को यह भी नहीं पता कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस से जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं वे चुनाव जीतने के बाद जबलपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए क्या करने वाले हैं। जबलपुर लोक सभा क्षेत्र के शहरी क्षेत्र के विकास की और ग्रामीण विकास की क्या योजना उनके पास हैं, कैसे वह उद्योग को बढ़ावा देंगे, कैसे जबलपुर से नौकरी और अच्छे भविष्य की तलाश में पलायन कर रहे युवाओं के लिए यहीं अवसर तलाश करेंगे? कैसे जबलपुर के पर्यटन को जो अभी तक अच्छी मार्केटिंग के लिए तरसता रहा है अच्छे पैकेज के लिए तरसता रहा है को सवारेंगे, सहेजेंगे? कैसे जबलपुर में बेरोजगारी के आंकड़े को न्यूनतम स्तर पर लाने की कार्य योजना पर कार्य करेंगे? जबलपुर के आसपास स्थापित हो चुके नाम मात्र के औद्योगिक क्षेत्रों को कैसे वास्तव में उद्योगों से परिपूर्ण करेंगे ताकि जबलपुर के युवाओं को एवं आसपास के लोगों को यहां पर रोजगार का लाभ मिल सके। ये सब मुद्दे फिलहाल तक तो किसी भी दल की तरफ से उनके राजनीतिक एजेंडे और प्रचार प्रसार के कार्यक्रमों में शामिल नजर नहीं आ रहे हैं।
दोनों दल के प्रत्याशियों ने अपना चुनाव प्रचार प्रारंभ कर दिया है। लेकिन आधारभूत बातें कहीं भी नजर नहीं आ रही हैं। भाजपा के पास सिर्फ तीन मुद्दे हैं राम मंदिर का निर्माण हो गया, धारा-370 को समाप्त कर दिया गया, तीन तलाक को खत्म कर दिया। यह तीनों विषय ऐसे हैं जिससे आम आदमी का रोज पेट नहीं भर सकता। मूल मुद्दा रोजगार, जबलपुर के औद्योगिक विकास, जबलपुर के पर्यटन के विकास जिससे पूरे जिले की आर्थिक व्यवस्था सुधर सकती है पर निर्भर करता है।
कभी बात हुआ करती थी कि जबलपुर का गारमेंट क्लस्टर विश्व में अपनी पहचान बन सकता है। लेकिन आज स्थिति यह है कि वही गारमेंट क्लस्टर अपने अस्तित्व की पहचान बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह बड़ा दुर्भाग्य है कि किसी भी राजनीतिक दल के प्रतिनिधि ने जबलपुर के मूल विकास की बातों को अपने राजनीतिक प्रचार प्रसार के एजेंडे में शामिल नहीं किया है।
भेड़ाघाट, धुआंधार, 64 योगिनी मंदिर, त्रिपुर सुंदरी मंदिर, बरगी डैम, गुगरा फॉल, शंकराचार्य के मठ, निदान फॉल कचनार सिटी शंकर जी का मंदिर ऐसे कई अनेक स्थान है जिन्हें मिलाकर एक संपूर्ण पर्यटन का पैकेज तैयार कर देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करने का कार्य किया जा सकता है। इसके लिए विश्व स्तरीय तगड़ी मार्केटिंग की जरूरत है। लेकिन जबलपुर के विकास से जुड़े इन विषयों को किसी भी राजनीतिक दल ने अपने एजेंडे में शामिल नहीं किया।
विमानतल बन गया लेकिन फ्लाइट नहीं
जबलपुर का 450 करोड़ की लागत से डुमना विमानतल बनकर तैयार हो गया यह जबलपुर के लिए बड़ी उपलब्धि है। पूर्व सांसद ने इसके लिए बहुत प्रयास किए थे जिसका परिणाम आज सामने नजर आ रहा है। लेकिन वर्तमान में संसद का चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दलों के लोगों ने इस विषय को चुनाव में भी मुनासिब नहीं समझा। 4.5 सौ करोड़ की लागत से डुमना विमानतल तैयार हो चुका है, लेकिन यहां पर पूर्व से संचालित हो रही नियमित अलग-अलग शहरों की उड़ानों में लगातार कटौती हो रही है। हवाई मार्ग से जबलपुर की कनेक्टिविटी लगभग शून्य के बराबर हो चुकी है।
भाजपा का सांसद बने चाहे कांग्रेस का लेकिन इस बारे में वह क्या प्रयास करेंगे और कैसे जबलपुर को अच्छी हवाई सेवा उपलब्ध कराएंगे इस बारे में कोई बात नहीं की जा रही है। जबलपुर के औद्योगिक क्षेत्र को कैसे विस्तारित किया जाएगा कैसे अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कंपनियों को जबलपुर में स्थापित कर औद्योगिक इकाइयों को शुरू किया जाएगा इस बारे में भी कोई बात नहीं हो रही है। कैसे जबलपुर के आईटी पार्क को अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से सुसज्जित किया जाएगा ताकि आईटी सेक्टर के पढ़े-लिखे जबलपुर के युवा यहीं पर अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार प्राप्त कर सकें और उन्हें शहर छोडऩे की जरूरत ना पड़े। इस बारे में भी कोई भी राजनीतिक दल बात नहीं कर रहा है। बड़ी विडंबना की बात यह है कि जबलपुर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता अपने सांसद को अपने क्षेत्र के विकास के लिए मतदान कर चुनने जा रहे हैं लेकिन आज तक उसे यही नहीं पता कि उसके सामने जो विकल्प उपलब्ध हैं उन उम्मीदवारों में से जबलपुर के लिए कौन क्या करने वाला है इसकी कार्य योजना अभी तक स्पष्ट नहीं है।
स्थानीय मुद्दों की चुनाव में कोई चर्चा नहीं, भाजपा सिर्फ मोदी के नाम पर मैदान में:कांग्रेस भगवान भरोसे
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