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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी………महापौर का भाजपा में शामिल होना शहर हित में ज्यादा जरूरी था

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी………, युहीं कोई बेवफा नहीं होता

जगत बहादुर सिंह अन्नू ने दलीय निष्ठा की बलि देकर शहर विकास को दी प्राथमिकता

जबलपुर की राजनीति में कल अचानक एक बड़ा भूचाल आ गया। जबलपुर के कांग्रेस से चुने गए महापौर जगत बहादुर सिं अन्नू कल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। उनके अचानक इस दल बदल से तरह-तरह की चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है। उनके इस कदम को लेकर लोग अपनी- अपनी तरह से अंदाज और अटकलें भी लगा रहे हैं।
लेकिन महापौर के कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल होने के कदम को शहर हित में माना जाना ज्यादा बेहतर होगा। महापौर को कार्य करते हुए जगत बहादुर सिंह अन्नू को लगभग डेढ़ साल होने का समय हो रहा है। वे ऐसे समय महापौर चुने गए जब केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार रही। इस डेढ़ साल में कांग्रेसी महापौर होने के नाते वे लगातार अनेक तरह की समस्याओं और परेशानियों का सामना करते आ रहे हैं। जगत बहादुर सिंह अन्नू महापौर पद की प्रतिष्ठा को भी कई मौकों पर दांव पर लगाते नजर आए। जब भी जबलपुर में किसी बड़ी हस्ती का जिनमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का आगमन हुआ तब उनके आगमन के समय महापौर के पद को शासन द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल के हिसाब से विमानतल या अन्य स्थानों पर जो सम्मान मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। यहां तक कि शासन द्वारा निर्धारित महापौर के प्रोटोकॉल का पालन भी प्रशासनिक अधिकारी कराने में नाकाम नजर आते रहे। केंद्र और राज्य शासन के आयोजनों में महापौर को हमेशा नजरंदाज किया गया। आयोजनों में न तो महापौर को बुलाया जाता यहां तक कि आमंत्रण पत्र में भी उनका नाम नदारद रहता। महापौर के कांग्रेसी होने के कारण शासन की योजनाओं का लाभ भी शहर को नहीं मिल पा रहा था। महापौर की कांग्रेस होने के कारण स्थिति यह थी कि-
पीछे बंधे हैं हाथ,
मगर शर्त है सफर, किस्से कहें कि पांव का कांटा निकाल दें।
महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू के सामने यह चुनौती थी कि वे या तो अपनी कांग्रेस के प्रति दलीय निष्ठा को निभाने को प्राथमिकता दें या फिर शहर विकास के लिए और नागरिकों की सेवा के लिए महापौर पद के साथ न्याय करें।
महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने व्यापक जनहित में कांग्रेस के प्रति अपनी दलीय निष्ठा को बली चढ़ाकर शहर हित में अपनी दलीय निष्ठा बदलकर भाजपा में शामिल होना ज्यादा बेहतर समझा।
अब महापौर जब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं तो वह अधिकार पूर्वक महापौर होने के नाते प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी बेहतर सहायता ले सकेंगे। अभी तक तो कांग्रेसी महापौर होने के कारण जगत बहादुर सिंह अन्नू केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को शहर की योजना के लिए ज्ञापन देते रहे। लेकिन वे अब भाजपा के महापौर होने के नाते सम्मानजनक तरीके से प्रदेश और केंद्र के मंत्रियों से बैठकें करने की स्थिति में आ गए हैं और उनसे अब शहर हित में बड़ी सहायता प्राप्त करने की स्थिति में भी नजर आएंगे। महापौर ने जबलपुर शहर के विकास और नागरिकों को उनकी मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने की दृष्टि से भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का निर्णय शहर हित में ही लिया है ऐसा हमारा मानना है क्योंकि।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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