लंबे समय बाद भाजपा ने ब्राह्मण समाज का तो कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग का उम्मीदवार बनाया
जबलपुर (जयलोक)
2019 को संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में और 2024 को आगामी 4 दिन बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में स्थितियों में काफी परिवर्तन नजर आ रहा है। हर विधानसभा के अनुसार समीकरणों में बदलाव हुए हैं। जातिगत वोट बैंक के अलावा नेताओं के दल बदलने से भी समीकरणों में फर्क पड़ सकता है। इस बार कांग्रेस से ज्यादा भितरघात की चर्चाएं भाजपा में हो रही है। कांग्रेस के बहुत से नेताओं ने विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के बीच के अंतराल में भाजपा का दामन थाम लिया है। पनागर विधानसभा जिले की आठों विधानसभा में पिछली बार 2019 की लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने में पहले नंबर पर थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में पनागर विधानसभा से भाजपा ने 86889 मतों से जीत हासिल की थी।
इस बार जातिगत समीकरण चुनाव में अपना क्या असर दिखाता है इस बात पर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है। कांग्रेस ने इस बार दिनेश यादव को प्रत्याशी बनाया है। जातिगत समीकरण के हिसाब से जिले की आठवां विधानसभा क्षेत्र में यादव समाज का वोट बैंक अलग-अलग संख्या में मौजूद है।
पनागर विधानसभा में सर्वाधिक यादव समाज का वोट बैंक बताया जाता है। पनागर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 30 से 35 हजार यादव समाज के मतदाता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में पनागर से भाजपा के एक नेता भारत सिंह यादव भाजपा से बागी होकर निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और उस दौरान त्रिकोणी मुकाबले में भी उन्हें 40 हजार के करीब मत प्राप्त हुए थे जिनमें से अधिकांश यादव समाज के थे। इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ था। इस बार चुनाव मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच में है। कांग्रेस ने यादव समाज के प्रत्याशी को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा से ब्राह्मण समाज के प्रत्याशी मैदान में है।
आठ विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक यादव समाज के वोट पनागर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं और यही कारण है कि इस बार यह चर्चा भी बनी हुई है कि क्या पनागर विधानसभा 2019 के लोकसभा चुनाव के अपने सबसे ज्यादा वोट से भाजपा को जिताने के अपने कीर्तिमान को बरकरार रख पाएगी।
वैसे तो जिले की आठों विधानसभा के अंतर्गत यादव समाज के मतदाता हैं। दूसरे नंबर पर सर्वाधिक यादव समाज के मतदाता पाटन विधानसभा के अंतर्गत बताए जाते हैं। पाटन विधानसभा में 20 से 25 हजार यादव समाज के मतदाताओं की संख्या गिनी जाती है। जो की कटंगी मझौली वह अन्य क्षेत्रों में निवासरत है और यहां पर पैतृक रूप से वंशावली के अनुसार यहाँ रहते आ रहे हैं। तीसरे स्थान पर यादव समाज के मतदाता कैंट विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत गिने जाते हैं। अनुमानित तौर पर कैंट विधानसभा क्षेत्र में 20 से 22 हजार यादव समाज के मतदाता है जो कि रांझी, गोकलपुर, करौंदी, गोरा बाजार,भीटा, बिलहरी, कंचनपुर आदि क्षेत्रों में निवासरत है। इसी प्रकार उत्तर मध्य विधानसभा क्षेत्र में 10 से 12 हजार यादव समाज के मतदाता शामिल है जो की विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में निवासरत है। इसके बाद बरगी विधानसभा क्षेत्र में तकरीबन 8 हजार के करीब यादव मतदाता बताए जाते हैं। पश्चिम विधानसभा क्षेत्र और सिहोरा विधानसभा क्षेत्र में यादव समाज के मतदाताओं की संख्या चार से 5 हजार के बीच गिनी जाती है। सबसे कम पूर्व क्षेत्र में यादव समाज के मतदाता है जो तकरीबन दो से तीन हजार के बीच में अनुमानित है।
कुल कुनबे की रिश्तेदारी
जबलपुर में निवासरथ यादव समाज के बारे में यह बात भी सामान्य रूप से प्रचलन में है कि यह सभी परिवार कहीं ना कहीं से आपस में कुल कुनबे की रिश्तेदारी में आते हैं। यादव समाज में एकता कितनी है और चुनाव में ये कितना काम कर पायेगी ये चुनाव परिणाम के आंकड़े बताएंगे।
यादवों को कांग्रेस ने ज्यादा मौके दिए
जातिगत समीकरण को लेकर यादव समाज के जिम्मेदार नेता ने कहा कि यादव समाज के नेताओं को कांग्रेस ने ज्यादा मौके दिए हैं। दिनेश यादव को नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष के बाद कांग्रेस ने उन्हें महापौर पद का उम्मीदवार बनाया था। अब कांग्रेस ने भी दिनेश यादव को लोकसभा के चुनाव में उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने एक और यादव नेता संजय यादव को पश्चिम से दो बार और बरगी से दो बार चुनाव मैदान में उतारा। बरगी से संजय यादव विधायक भी बने।
लंबे समय बाद भाजपा का ब्राम्हण उम्मीदवार
जातिगत समीकरण की चुनावी चर्चा में इस बात की भी चर्चा है कि भाजपा ने लंबे समय के बाद ब्राम्हण समाज के आशीष दुबे को उम्मीदवार बनाया है। कई वर्गों वाले ब्राह्मण समाज के लोगों में इस बात की खुशी है कि भाजपा ने उनके समाज का उम्मीदवार बनाया है। ब्राह्मण संगठन आशीष दुबे को जिताने में लगे हैं।
इस जातिगत समीकरण के आधार पर चुनावी विशेषज्ञ इस बात का अनुमान भी टटोल रहे हैं कि विभिन्न विधानसभाओं के अंतर्गत यह जातिगत समीकरण कितना काम कर पाएगा। कांग्रेस के प्रत्याशी दिनेश यादव अभी अपने जनसम्पर्क अभियान के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रख रहे हैं कि समाज के हर क्षेत्र के साथ-साथ वो यादव समाज के बीच जाकर भी खुद के लिए मतदान करने की अपील को प्रमुखता से रख पाए।
पनागर विधानसभा भाजपा हर चुनाव में अच्छी लीड से जीतती आई है। पिछले लोकसभा चुनाव में पनागर विधानसभा 86,889 मतों से भाजपा को जिताने में प्रथम स्थान पर थी। दूसरे स्थान पर पश्चिम विधानसभा थी जहां से 84252 मतों से भाजपा जीती थी। पाटन से 58808, बरगी से 59 893, उत्तर मध्य से 48928, सिहोरा से 56188, पूर्व से 9989, कैंट से 49165 मतों से भाजपा जीती थी।
कांग्रेस का अपना वोट बैंक
चुनावी विशेषज्ञों के बीच में इस बात की गणना भी की जा रही है कि इस बार लोकसभा चुनाव में नए मतदाताओं की संख्या में भी हर विधानसभा क्षेत्र में इजाफा हुआ है। नए मतदाता भाजपा की ओर जाएंगे या कांग्रेस की ओर जाएंगे यह मतगणना वाले दिन स्पष्ट होगा जब आंकड़े सामने आएंगे। कांग्रेस का अपना समर्पित वोट बैंक भी है और वह लोकसभा चुनाव में किस प्रकार से मतदान का रुझान बढ़ाएगा या घटाएगा इन बातों के अनुमान भी लगाए जा रहे हैं।
भाजपा के विधायकों की जिम्मेदारी
भाजपा के संगठन और शीर्ष नेतृत्व में लोकसभा चुनाव को पूरी गंभीरता के साथ लिया है। जबलपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो होना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि भाजपा किसी भी स्थिति में चुनाव को हल्के में नहीं ले रही है। कैबिनेट मंत्री और जबलपुर लोकसभा क्लस्टर प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह सहित कई दिग्गज पूर्ण रूप से जबलपुर के चुनाव की गतिविधियों में शामिल है। जबलपुर की आठ में से सात विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायक मौजूद है। सूत्रों के अनुसार संगठन की ओर से हर विधायक को अपने क्षेत्र में जीत का अंतर बढ़ाने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई है। हर बूथ में 370 मतों का विजयी लक्ष्य बढ़ाना यह भी इस जिम्मेदारी का हिस्सा है और 4 जून के बाद जो चुनाव परिणाम आएंगे उनकी समीक्षा में इन सभी बातों को विधानसभावार देखा भी जाएगा।
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