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क्या टूटेगा राकेश सिंह की जीत के अंतर का रिकॉर्ड? चुनाव दर चुनाव भाजपा और कांग्रेस के वोट और जीत का अंतर बढ़ता गया

                                           संदर्भ : जबलपुर लोकसभा चुनाव

@सच्चिदानंद शेकटकर,समूह संपादक
जबलपुर (जय लोक)
जबलपुर लोकसभा क्षेत्र का चुनाव अब अपने अंतिम दौर में पहुँच रहा है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही चुनाव प्रचार अभियान में पूरी ताकत से लगे हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी लोकसभा में जबलपुर की सीट को एक बार फिर से जीतने के लिए पूर्णतया आश्वस्त है। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी दिनेश यादव दावा कर रहे हैं कि इस बार के चुनाव नतीजे चौंकाने वाले आएंगे। पिछले लोकसभा के चार चुनाव भाजपा के उम्मीदवार के रूप में राकेश सिंह ने ही जीते हुए हैं। चारों चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच ही सीधा मुकाबला रहा है। हर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने और कांग्रेस ने चुनाव दर चुनाव अपने वोटों को लगातार बढ़ाया है। भाजपा के सांसद राकेश सिंह भी चुनाव दर चुनाव अपनी जीत के वोटों के अंतर को बढ़ाते रहे हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि 2019 में लोकसभा का चुनाव 4 लाख 54 हजार से जीतने का जो रिकार्ड राकेश सिंह ने बनाया है वह रिकॉर्ड क्या भाजपा के उम्मीदवार आशीष दुबे तोड़ पायेंगे।


राकेश सिंह का पहला चुनाव
ग्रामीण भारतीय जनता पार्टी के जिले के अध्यक्ष के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले राकेश सिंह ने पहली बार लोकसभा का चुनाव 2004 में लड़ा था उनका मुकाबला उस समय के कांग्रेस के महापौर रहे विश्वनाथ दुबे से हुआ था। इस चुनाव में पहली बार भाजपा और कांग्रेस के नए उम्मीदवारों ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राकेश सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार विश्वनाथ दुबे को पराजित कर दिया था। पहले चुनाव में राकेश सिंह को 3,11, 666 वोट मिले थे और कांग्रेस के उम्मीदवार विश्वनाथ दुबे को 2,12,115 वोट मिले थे।
विश्वनाथ दुबे ने महापौर पद से दिया था इस्तीफा
राकेश सिंह के हाथों लोकसभा का चुनाव हारने के बाद महापौर विश्वनाथ दुबे ने महापौर पद से इस्तीफा दे दिया था। महापौर को इस्तीफा देने के लिए तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने मना भी किया था। लेकिन महापौर का यह कहना था कि वह शहर की चार विधानसभा सीटों पर भी हार गए हैं जहाँ से वे महापौर चुने गए थे। इसलिए उन्होंने नैतिकता के आधार पर महापौर पद छोडऩे का निर्णय लिया।
राकेश सिंह का दूसरा लोकसभा चुनाव
राकेश सिंह ने लोकसभा का दूसरा चुनाव 2009 में लड़ा था। इस चुनाव में दूसरी बार राकेश सिंह भाजपा के उम्मीदवार बने। इस बार कांग्रेस ने पूर्व सांसद और जबलपुर विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष रहे रामेश्वर नीखरा को उम्मीदवार बनाया गया था। इस चुनाव में भी राकेश सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार रामेश्वर नीखरा को पराजित कर दिया था। राकेश सिंह को 3,43,922 वोट मिले थे और कांग्रेस के रामेश्वर नीखरा को             2,37,919 वोट मिले थे।
तीसरे और चौथे चुनाव
लोकसभा का राकेश सिंह ने तीसरा चुनाव 2014 में लड़ा और वे जीते भी। तब उनके खिलाफ  कांग्रेस ने वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा को उम्मीदवार बनाया था। तीसरे चुनाव में राकेश सिंह को 5,64,609 वोट और कांग्रेस के उम्मीदवार विवेक तन्खा को 3,55,970 वोट मिले थे। 2019 में राकेश सिंह ने लोकसभा का चौथा चुनाव लड़ा। एक बार फिर विवेक तन्खा को ही कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में भी राकेश सिंह रिकॉर्ड तोड़ वोटों से जीते। राकेश सिंह को इस बार 8,26,454 वोट मिले और विवेक तन्खा को 3,71,710 वोट ही मिले।
कांग्रेस उम्मीदवार बदलती रही
राकेश सिंह ने जो चार लोकसभा के चुनाव लड़ें उन चुनावों में कांग्रेस उनके विरुद्ध उम्मीदवार बदलती रही है। पहले चुनाव में विश्वनाथ दुबे, दूसरे चुनाव में रामेश्वर नीखरा और तीसरे चौथे चुनाव में विवेक तन्खा राकेश सिंह के खिलाफ लड़ें थे।
बिना लहर के भी  जीते राकेश सिंह
राकेश सिंह जब 2004 में अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ें थे तब भाजपा को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी। ऐसे माहौल में भी राकेश सिंह चुनाव जीते थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी वे बिना लहर के दूसरा चुनाव जीते थे। 2014 और 2019 में मोदी लहर में राकेश सिंह ने भाजपा के वोट बढ़ाये और जीत का अंतर भी बढ़ाया।
अब रिकार्ड तोडऩे  की चुनौती
2024 के होने जा रहे चुनाव में भाजपा के लोग चर्चा कर रहे हैं कि भाजपा के उम्मीदवार आशीष दुबे भारी मतों से जीतेंगे। राकेश सिंह 2019 का चुनाव 4,54,740 वोटों के बड़े अंतर से जीते थे। अब यह रिकॉर्ड टूटेगा या नहीं यह 4 जून को ही पता चल सकेगा।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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