मध्य प्रदेश के सागर जिले में नगर पंचायत के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) संभाग आयुक्त की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में लूंगी और बनियान पहनकर शामिल हो गए। इस तरह की वेशभूषा में देखकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल तमाम अधिकारी हतप्रभ रह गए। मामला जमकर सुर्खियों में आया और सीएमओ से जवाब तलब किया गया। कलेक्टर ने कमिश्नर को इसकी रिपोर्ट भेजी और कमिश्नर ने चंद घंटे बाद ही अधिकारी को सस्पेंड कर दिया। सीएमओ नगर पंचायत के सुप्रीम अधिकारी होते हैं और उनका इस तरह से संभाग स्तर के सबसे बड़े अधिकारी की बैठक में शामिल होना न सिर्फ ड्रेस कोड के खिलाफ है बल्कि यह आचरण कार्यालयीन व्यवस्था में भी उचित नहीं माना जा सकता है।
इस संबंध मिली जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि सागर जिले के एक नगर पंचायत अधिकारी को लुंगी-बनियान में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल होना महंगा पड़ गया। उनकी इस हरकत के चंद घंटे बाद ही कलेक्टर दीपक आर्य की अनुशंसा पर संभागीय कमिश्नर डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत ने उन्हें सस्पेंड कर दिया। कलेक्टोरेट में नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद में चल रहे जन्म-मृत्यु एवं विवाह पंजीयन के संबंध में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया था।कलेक्टर आर्य की अध्यक्षता में इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में नगर निगम आयुक्त समेत जिले के सभी सीएमओ शामिल हुए थे। बिलहरा नगर परिषद के प्रभारी मुख्य अधिकारी राजेश खटीक कार्यालय के बजाए अपने. निवास से इस वीसी में शामिल हो गए। मीटिंग के दौरान कलेक्टर समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान गया कि सीएमओ खटीक की वेशभूषा शासकीय मीटिंग के लिहाज से अपेक्षित नहीं थी। जब इसकी चर्चा शुरू हो गई तो कलेक्टर आर्य ने अधिकारी खटीक को उनके ड्रेस-अप के लिए मौके पर ही टोक दिया। इसके बाद उन्होंने इस अप्रत्याशित स्थिति के लिए नगर परिषद अधिकारी को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए कमिश्नर डॉ. रावत को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था।
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बेगूसराय(एजेंसी/जयलोक)। छत्तीसगढ़ के गढ़वा जिले में एक वृद्ध महिला की मौत हुई थी। सभी लोगों ने मान लिया था कि अब वह इस दुनिया में नहीं हैं। उनके दाह संस्कार के लिए बेगूसराय लाया जा रहा था। तभी रास्ते में ही जैसे ही बिहार की सीमा में प्रवेश किया तब महिला में जान आ गई। फिलहाल उक्त महिला का इलाज बेगूसराय सदर अस्पताल में चल रहा है, जहां अभी उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया है। चिकित्सको ने भी चमत्कार की संज्ञा देकर कहा है कि छत्तीसगढ़ में जिस महिला को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया था। बेगूसराय जिले के नीमा चांदपुरा की रहने वाली रामवती देवी कुछ दिन पूर्व अपने पुत्र मुरारी साव एवं घनस्याम साव के साथ छत्तीसगढ़ भ्रमण के लिए गई थीं। गढ़वा जिले में मृत महिला रामवती देवी के परिजन रहते थे। लेकिन, 11 फरवरी को अचानक रामवती देवी की तबीयत खराब हुई। तत्पश्चात परिजनों ने उन्हें छत्तीसगढ़ के ही एक निजी नर्सिंग होम में इलाज के लिए भर्ती कराया, जहां इलाज के क्रम में महिला की मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने आपस में विचार विमर्श के बाद महिला रामवती देवी को घर लाने का एवं घर पर ही दाह संस्कार करने का निर्णय लिया। इसके बाद परिजन वाहन से रामवती देवी को लेकर बिहार के लिए रवाना हो गए। लेकिन, तकरीबन 18 घंटे गुजर जाने के बाद जैसे ही रामवती देवी बिहार की सीमा में प्रवेश किया तब परिजनों के अनुसार, रामवती देवी के शरीर में कुछ हलचल महसूस की। तत्पश्चात उन्हें लेकर परिजन बेगूसराय सदर अस्पताल आए, जहां जांच के क्रम में चिकित्सकों ने भी माना की रामवती देवी में अभी भी जान बाकी है। इसके बाद आनन-फानन में उन्हें आईसीयू में इलाज के लिए भर्ती किया गया। फिलहाल महिला का इलाज चल रहा है। एक तरफ परिजन जहां रामवती देवी के पुनर्जीवित होने से खुश हैं।
वहीं पर परिजनों के द्वारा चिकित्सकों से गुहार लगाई जा रही है की रामवती देवी की बेहतर चिकित्सा व्यवस्था की जाए जिससे कि उनमें जल्द सुधार हो। वहीं, सदर अस्पताल के चिकित्सक भी उक्त मामले को चमत्कार की संज्ञा देते हैं। चिकित्सक कहते हैं कि रामवती देवी का 12 फरवरी को मौत हो जाना और फिर 13 फरवरी को तकरीबन 18 घंटे के बाद उनके शरीर में जान आना, किसी चमत्कार से कम नहीं है।
हालांकि, चिकित्सकों ने अनुमान है कि रामवती देवी का हार्ट चॉक होने की वजह से चिकित्सकों ने उन्हें वहां मृत घोषित कर दिया होगा, लेकिन रास्ते में गाड़ी में हुए झटके की वजह से उनके शरीर में हलचल होनी शुरू हुई। फिलहाल उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। चिकित्सकों ने भी माना है कि आगे रामवती देवी का जो भी हो, लेकिन फिलहाल रामवती देवी में बेहतर सुधार दर्ज किये जा रहे हैं और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है।