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किसानों की संख्या बढ़ी, डेढ़ लाख मैट्रिक टन धान कम, शासन के बचे 400 करोड़ रुपये

कलेक्टर दीपक सक्सेना की कामयाब रणनीति के आये बेहतर परिणाम

कलेक्टर दीपक सक्सेना से संपादक परितोष वर्मा की विशेष बातचीत जय लोक के यूट्यूब चैनल पर

परितोष वर्मा
जबलपुर (जय लोक)। जी हां शीर्षक पढक़र बहुत ही ठीक समझ रहे हैं आप लोग कि जबलपुर में पिछले साल की अपेक्षा इस बार धान की खरीदी डेढ़ लाख मैट्रिक टन कम हुई है लेकिन सरकार का 400 करोड रुपए बिचौलियों, फर्जी किसानों, ट्रांसपोर्ट खर्च आदि सब में बचा है। यह बचा इसलिए है क्योंकि कभी मध्य प्रदेश स्टेट वेयरहाउस एंड लॉजिस्टिक्स कॉरपोरेशन के एमडी पद पर अपनी उल्लेखनीय सेवाएं दे चुके आईएएस अधिकारी दीपक सक्सेना वर्तमान में जबलपुर के कलेक्टर हैं और केवल एक साल के आंकड़ों में इन्होंने शासन के हित में 400 करोड़ रुपए की बचत का वह कार्य किया है जिसके लिए इन्होंने अपनी जिम्मेदारियां और अपनी शासकीय सेवा का दायित्व बखूबी निभाया।
दैनिक जय लोक के साथ विशेष वार्ता में कलेक्टर दीपक सक्सेना ने धान खरीदी के संबंध में हर एक विशेष बिंदु पर चर्चा करते हुए महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कहीं। सामने आ रहे तथ्य और बिंदुओं का जब और अध्ययन किया गया तो यह पाया गया कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष लगभग 400 करोड़ रुपए राज्य शासन को अतिरिक्त भुगतान नहीं करना पड़ेगा। यह अतिरिक्त भुगतान वह था जो फर्जी किसानों और सिकमी किसानों के नाम पर फर्जीवाड़ा कर किया जाता था।
यह भी आपको ध्यान होगा कि जब जबलपुर के कलेक्टर बनकर दीपक सक्सेना यहां पदस्थ हुए उस दौरान धान खरीदी का घोटाला प्रदेश और देश में चर्चा का विषय था। यह पहली चुनौती थी जिसे उन्होंने स्वीकार किया और एक साल के अंतराल में ही बहुत ही बेहतर परिणाम निकालकर शासन के समक्ष रखें।  पिछले साल जबलपुर में 546000 मेट्रिक टन धान की खरीदी की गई। यह खरीदी 46000 किसानों से की गई। प्रति किसान का अनुपात लगाया जाए तो 120 क्विंटल प्रति किसान का एवरेज जबलपुर में सामने आया। यह आंकड़ा विलक्षण था इसलिए क्योंकि पूरे मध्य प्रदेश में पिछले वर्ष किसानों से की गई धान खरीदी का जो प्रति किसान आंकड़ा आया था वह तकरीबन 70 क्विंटल के आसपास था। अब जबलपुर में ही ऐसा क्या हो रहा था जो प्रति किसान 120 क्वि़टल धान बेच रहा था।
इस बारीकी को जिले की कमान संभालते ही कलेक्टर दीपक सक्सेना ने पकड़ लिया और खाद्य विभाग में कार्य करने के अपने पुराने अनुभव के अनुसार उन्होंने कार्यवाही की एक लाइन खींची। इस लाइन पर चलकर 1 साल बाद यानी कि वर्तमान साल में खरीदी हुई और शासन को तकरीबन 400 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित हुआ। साथ ही साथ फर्जी किसानों के रजिस्ट्रेशन का जो खेल होता था वह बंद हो गया।

 

वर्तमान स्थिति में जबलपुर में 47293 किसानों ने 366 231 मेट्रिक टन धान जबलपुर में बेची है। 77 क्विंटल प्रति किसान का एवरेज जबलपुर में सामने आ रहा है। यह इस वर्ष के आंकड़े हैं। जबकि पिछले वर्ष लगभग 46000 किसानों ने 546000 मेट्रिक टन धान की बिक्री की थी उसके अनुसार 120 क्विंटल प्रति किसान का आंकड़ा दर्ज हुआ था।
अब यह आंकड़ा कहां चला गया इसका जवाब यह है कि जब रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही में सख्ती से कार्रवाई हुई और सिकमी काश्तकारों का सही तरीके से परीक्षण होने के बाद रजिस्ट्रेशन हुआ तो फर्जी किसानों और फर्जी बही की मात्रा बहुत तेजी से घट गई।
पिछले साल 46000 के करीब किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था इस बार 51000 किसानों ने स्लॉट बुक किये। फिर भी धान खरीदी के आंकड़े में डेढ़ लाख मैट्रिक टन जैसी बड़ी मात्रा का अंतर है। यह अंतर इसलिए है क्योंकि पारदर्शिता की कार्यवाही चरम सीमा पर निर्वहित की गई है।
मध्य प्रदेश का आंकड़ा कुछ अलग ही
राज्य सरकार के खाद्यान्न विभाग के द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पूरे मध्य प्रदेश में 42700000 मेट्रिक टन धान की खरीदी दर्ज हुई है जिसमें 640000 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया और धान बेची है। उसके अनुसार पूरे मध्य प्रदेश का अगर प्रति किसान का एवरेज निकाला जाए तो 68 क्विंटल  प्रति किसान आता है। जबलपुर में वर्तमान में 77 क्विंटल प्रति किसान आ रहा है।
इसका बहुत बड़ा परिणाम यह है कि पिछले साल जो आंकड़े 120 क्विंटल प्रति किसान थे उसे पूरी कार्यवाही में इतना जबरदस्त छन्ना जिला प्रशासन की ओर से लगाया गया कि 120 क्विंटल प्रति किसान से आंकड़ा 77 क्विंटल प्रति किसान पर आ गया।

प्रशासन के हित की कार्यवाही
जिला प्रशासन की यह कार्रवाई पूर्ण रूप से शत प्रतिशत शासन के हित की कायज़्वाही है ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले साल हुई धान खरीदी और इस साल हुई धान खरीदी में फर्जी और सड़ी गली धान के खपाने का सिलसिला रोक दिया गया तो डेढ़ लाख मैट्रिक टन का फर्क आ गया और किसानों की संख्या में फर्क नहीं आया। बल्कि यह संख्या बढ़ गई। यह अपने आप में बहुत ही विचारणीय प्रश्न है। लेकिन इस कार्यवाही से शासन को 400 करोड रुपए की राशि की बचत हुई है जो कि फर्जी किसानों की संख्या दर्ज कर हवाला के माध्यम से कई लोगों में बट जाती थी।

किसानों को मिल रहा फायदा
कलेक्टर दीपक सक्सेना द्वारा जबलपुर जिले का प्रभार संभालते ही धान खरीदी के मामले में लगाए गए छन्ने के बाद फर्जी किसानों और सिकमीनामा के खेल पर पूरी तरह से रोक लग गई। इसका का सीधा फायदा वास्तविक और मेहनतकश किसानों को मिला है। उन्हें खरीदी केंद्रों से लेकर वेयरहाउस और भुगतान प्राप्त करने में समस्याएं कम हुईं हैं।

51000 किसानों ने करवाया रजिस्ट्रेशन
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि इस वर्ष जिले में किसानों ने धान विक्रय के प्रति जागरूकता दिखाई और लगभग 51000 किसानों ने अपने स्लॉट धान विक्रय के संबंध में बुक कराए हैं। 48000 से अधिक किसानों ने धान विक्रय केंद्रों में जाकर अपनी धान विक्रय कर दी है। शेष बचे किसानों द्वारा भी धान खरीदी और विक्रय का कार्य जल्द ही पूरा कर दिया जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक इस वर्ष जिले में तीन लाख 80 हजार मैट्रिक टन के आसपास धान खरीदी दर्ज की जा सकती है।

एक पर एफआईआर, आधा दर्जन के खिलाफ  जाँच
धान खरीदी के संबंध में कलेक्टर दीपक सक्सेना शुरू से ही सख्त रवैया अपना रहे थे। जिन लोगों ने भी धान खरीदी से संबंधित गड़बडिय़ां कीं उनके खिलाफ  कानूनी कार्रवाई की गई है। एक वेयरहाउस संचालक के खिलाफ  एफआईआर भी दर्ज की गई है। इसके अलावा दो-तीन वेयरहाउस संचालकों को ब्लैक लिस्ट करने का कार्य भी किया गया है। वर्तमान में लगभग आधा दर्जन से अधिक वेयरहाउस संचालकों की गड़बडय़िों के खिलाफ  जांच जारी है और गड़बडिय़ों पाए जाने पर उनके खिलाफ  कारवाइयां भी होगी।

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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