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प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव के बाद शहरों की राजनीति में भी पड़ेगा असर

जबलपुर (जयलोक)। राजनीतिक घटनाक्रम के अपने पैमाने होते हैं किसी की नियुक्ति किसी की विदाई बहुत से समर्थकों को मजबूत करती है और बहुत से समर्थकों का वजन घट जाता है। अब यह प्रभाव उन हर राज्यों में नजर आएगा, जहां पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे बदले हैं। स्वाभाविक सी बात है नई जिम्मेदारी नए व्यक्ति को मिलती है। उस नए व्यक्ति का अपना कार्य क्षेत्र और अपना राजनीतिक क्षेत्र होता है। जब उसको महत्व मिलता है तो उससे जुड़े उसके समर्थक और उनके खास व्यक्ति को भी महत्व मिलने लगता है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के अंतर्गत हर स्तर पर गुटबाजी चरम पर है। वरिष्ठ नेता भले ही सार्वजनिक मंचों पर और पत्रकारों के बीच इस बात को ना कहते रहें, लेकिन हकीकत उनसे बेहतर और भाजपा के कार्यकर्ताओं से बेहतर कोई नहीं जानता।
आज जो प्रदेश संगठन के नेतृत्व में परिवर्तन हुआ है निश्चित तौर पर अगले 15 दिनों में इसका असर पूरे प्रदेश के जिलों में ऐसे जनप्रतिनिधि और भाजपा नेताओं पर पड़ेगा जो अभी तक पूर्व वाले प्रदेश अध्यक्ष के करीबी सूची में शामिल थे।

प्रशासनिक अधिकारियों का भी बदलेगा रवैया

राजनीतिक क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अब यह दस्तूर बन चुका है कि जो सत्ता में रहता है प्रशासन भी उसी की तरफ अपना झुकाव रखता है। इस बात को अगर सही मान लिया जाए तो यह बात भी निश्चित है कि आने वाले समय में बदले राजनीतिक समीकरणों के अनुरूप ही प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया भी बदल जाएगा। जिनकी अभी आओ भगत होती थी उनसे किनारा कर लिया जाएगा। जिनके एक फोन पर काम हो जाते थे। अब उनके फोन उठाए नहीं जाएंगे। नए पदाधिकारी प्रभाव में आएंगे। नए प्रदेश अध्यक्ष के करीब रहने वाले नए विधायकों को ज्यादा भाव मिलेगा। संगठन के प्रभावी नाम की सूची प्रशासनिक अधिकारी के मोबाइल पर बदल जाएगी, उनकी तवज्जो भी बदल जाएगी।

जो बच रहे थे,अब फसेंगे जाल में

पूरे प्रदेश भर के साथ स्थानीय स्तर पर भी कई मामले ऐसे चर्चित थे जिनमें  राजनीतिक समीकरणों के प्रभावी होने के कारण बहुत से लोग आपराधिक कृत्य करने के बाद भी पुलिस की रडार में नहीं आ पा रह थे, क्योंकि उनके ऊपर राजनीतिक छतरी लगी हुई थी। जो लोग ऐसे लोगों से पीडि़त और प्रताडि़त थे अब वह खुलकर यह कह रहे हैं कि समय सबसे बड़ा बलवान होता है और हर किसी का समय बदलता है। अभी तक कानूनी शिकंजे से बचते चले आ रहे बहुत से लोगों पर भी खुलकर कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है।

कार्यकर्ताओं का भी बदलेगा रुख

राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि यह बात भी स्वाभाविक रूप से स्वीकार है, कि जब उनके नेता का प्रभाव कम हो जाता है तो उनका रुख भी अपने नेता के प्रति बदल जाता है। स्थानीय स्तर पर मंथन किया जाए तो यह स्थिति बहुत अधिक है। हर नेता का समर्पित एक अलग वर्ग है। अब देखना यह होगा कि यह राजनीतिक बदले हुए समीकरण किस प्रकार से स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच में प्रभाव डालते हैं।

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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