
भोपाल (जयलोक)। राज्य मंत्री सम्पतिया उइके के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू होने के एक दिन बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने बुधवार को जांच का आदेश देने वाले अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक के दौरान, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री और मंडला से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक उइके ने सवाल किया कि क्या अधिकारी उनके खिलाफ जांच शुरू कर सकते हैं, जिसके बाद उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
पिछले दिन, लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियंता संजय अंधवन ने जल जीवन मिशन के तहत काम के लिए प्राप्त 30,000 करोड़ रुपये के केंद्रीय कोष के एक हिस्से के व्यय से जुड़े दावों की जांच के आदेश दिए थे। एक पत्र में, अंधवन ने विभाग के अधिकारियों को उइके के साथ-साथ मंडला में कार्यकारी अभियंता की संपत्तियों की जांच करने का आदेश दिया, जिन पर मंत्री के लिए पैसे इक_ा करने का आरोप है। मंगलवार को राज्य कैबिनेट की ब्रीफिंग में उइके ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के सामने यह मुद्दा उठाया और इंजीनियर के अधिकार की सीमा जानने की मांग की। नाम न बताने की शर्त पर राज्य भाजपा के एक नेता ने बताया कि उइके ने यादव से आग्रह किया कि वे अंधवन के खिलाफ कार्रवाई करें, क्योंकि उन्होंने निराधार आरोप लगाए हैं। पता चला है कि इस मांग का समर्थन वहां मौजूद मंत्रियों के एक बड़े वर्ग ने किया।
इसके तुरंत बाद, सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग के प्रमुख सचिव पी. नरहरि को मामले पर स्पष्टीकरण देने के निर्देश जारी किए गए।
नरहरि ने कहा, हमने इंजीनियर-इन-चीफ संजय अंधवन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें शिकायत की जांच के आदेश पर उनका स्पष्टीकरण मांगा गया है।
उन्होंने कहा, हमें जनप्रतिनिधियों और सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कई शिकायतें मिलती हैं। इंजीनियर-इन-चीफ को तथ्यों की जांच करनी चाहिए, साथ ही जांच शुरू किए बिना अपनी क्षमता के अनुसार अधिकारियों के साथ काम करना चाहिए। इंजीनियर-इन-चीफ मंत्री के अधीन होता है, न कि मंत्री के अधीन।
ये आरोप संयुक्त क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष किशोर समरीते द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी गई शिकायत से निकले हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश के मंत्री, अधिकारी और ठेकेदार ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए दिए गए फंड का दुरुपयोग कर रहे हैं। समरीते ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि आरोपियों ने राज्य को आवंटित केंद्रीय निधि से 1,000 करोड़ रुपये का दुरुपयोग किया है। पीएमओ ने शिकायत को मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और फिर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को भेज दिया। नाम न बताने की शर्त पर मध्य प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इंजीनियर-इन-चीफ को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर मिलने वाले जवाब से आगे की कार्रवाई तय होगी, उनके खिलाफ विभागीय जांच जारी रहेगी या नहीं। हालांकि, उनके पद पर बैठे किसी व्यक्ति को नियमों की अच्छी जानकारी होगी।
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Author: Jai Lok
