जबलपुर (जयलोक)। नगर निगम में मेयर इन काउंसिल वर्तमान में अधूरी है। 10 सदस्यों वाली मेयर इन काउंसिल में वर्तमान में केवल पाँच सदस्य ही हैं। मेयर इन काउंसिल के विस्तार को लेकर लंबे समय से चर्चाएं चल रही हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता के लागू हो जाने पर यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। अभी 15 दिन पहले ही चुनाव प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद से ही मेयर इन काउंसिल के विस्तार का जिन्न बोतल से फिर बाहर आ गया है।
यह बात साफ नजर आ रही है कि इस बार अधूरी एमआईसी का पूरा करना आसान बात नहीं है। लगातार इस बात की माँग उठ रही है कि नए-नए लोगों को एमआईसी में शामिल करने से नगर निगम के कार्य में अनुभवहीनता का असर भी पड़ेगा और सदन में मेयर और काउंसिल के सदस्य विपक्ष का सामना नहीं कर पाएंगे। दूसरी ओर वरिष्ठ पार्षदों को लेकर असमंजस की स्थिति इसलिए भी बनी हुई है, क्योंकि भाजपा में विधानसभा चुनाव के दौरान पक्ष- विपक्ष, दावे-आपत्ति, दावेदारी के जो समीकरण बने थे, उन समीकरण से जो कड़वाहट उभरी थी वो भी अब सामने आ रही है।
यह भी चर्चा का विषय है कि कुछ वरिष्ठ पार्षदों के नाम पर विधायक सहमति नहीं दे रहे हैं जिसके पीछे विधानसभा चुनाव के दौरान उपजा मनमुटाव साफ झलक कर सामने आ रहा है।
वरिष्ठ पार्षदों की अनदेखी भारी पड़ेगी
भाजपा के नेताओं का कहना है कि मेयर इन काउंसिल के गठन में वरिष्ठ पार्षदों की अनदेखी आगे चलकर सत्ता पक्ष को हर कदम पर भारी पड़ सकती है। नए नवेले पार्षदों को ना तो नगर निगम के प्रशासनिक अधिकारियों से काम करवाने का अनुभव है और ना ही शहर विकास से संबंधित बड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन का कोई अनुभव है। ऐसे में इन्हें उपकृत करने के लिए मेयर इन काउंसिल में शामिल किया तो जा सकता है लेकिन इससे शहर विकास की दिशा में भला नहीं होगा बल्कि अनुभहीनता के कारण नुकसान ही होगा, ऐसा जानकारों का मानना है।
मंत्री विधायकों के बाद अब संसद की भी चलेगी एमआईसी गठन में
जिले में अब राजनीतिक समीकरणों में भी बदलाव हुआ है। पूरे जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद पद पर अब आशीष दुबे निर्वाचित हुए हैं। पूर्व में 20 साल तक राकेश सिंह इस पद पर थे। वर्तमान में श्री राकेश सिंह पश्चिम क्षेत्र से विधायक और राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री हैं। इसके अलावा शहरी क्षेत्र के चार विधायक और ग्रामीण क्षेत्र की दो विधानसभा में नगर निगम सीमा के विस्तार के बाद इन दो विधायकों का भी मेयर इन काउंसिल के गठन में हस्तक्षेप रहेगा। ऐसे देखा जाए तो 6 विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि मेयर इन काउंसिल में शामिल होने चाहिए।