जबलपुर (जयलोक)। ओशो म्यूजिक एंड मेडिटेशन फेस्टिवल का आयोजन 8 दिसंबर से आयोजित किया जा रहा है। जिसमें देशभर से कलाकार का शहर आगमन होगा। संगीत और ध्यान का संगम के साथ ही संगमरमरी वादियों में पं. हरिप्रसाद चौरसिया की बाँसुरी गूँजेगी। कार्यक्रम में जाने-माने ड्रमर शिवमणि से लेकर युवा तबला वादक ओजस भी प्रस्तुति देंगे। संगमरमरी वादियों के बीच माँ नर्मदा के आँचल में संगीत और ध्यान का संगम होगा। जोशो की नगरी पानी संस्कारखानी में बोतो म्यूजिक एंड मेडिटेशन फेस्टिवल का आयोजन 8 से 15 दिसंबर तक बोशो होम आचम भेड़ाघाट में किया गया है। बोतो जन्मोत्सव (11 दिसंबर) के उपलक्ष्य में होने जा रहे इस विशेष कार्यक्रम के आयोजकों स्वामी बीला प्रेम पारस व माँ रेबेका ने बताया कि नगर परिषद् भेड़ाघाट व जिला प्रशासन के सहयोग से यह भव्य आयोजन होगा। इसमें प्रख्यात बाँसुरी वादक पद्मविभूषण पं. हरिप्रसाद चौरसिया, प्रख्यात दूमर पदम श्री शिवमणि, विश्व के जाने-माने सबसे युवा तबला वादक ओजस अधिया, प्रसिद्ध डोलक बादक गिरीश विश्वा, स्वामी चैतन्य कीर्ति शामिल होंगे। इतना ही नहीं सारेगामापा विजेता नीलांजना रे, इंडियन आइडल फेम और एसआरबीएमपी फेम शरद सुरों का जादू चलाएँगे। स्वामी श्रीला प्रेम पारस ने बताया कि ओशो ने जबलपुर में ही ध्यान और साधना की है, जबलपुर में उनका ध्यान साधना केंद्र हमें पुणे आचम के समकक्ष बनाना है। वहीं स्विट्जरलैंड से शहर आई रेबेका ने कहा कि माँ नर्मदा के आँचल में मन को सुकून मिलता है।
ध्यान की दृष्टि से ये स्थल अत्यंत महत्वपूर्ण है। सदस्यों ने बताया कि ध्यान साधक यदि इस आयोजन से जुडऩा चाहते हैं तो वे रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। ध्यान के विभित्र सत्रों में कुंडलिनी, विपश्यना, ओतो चक्र, डायनेमिक मेडिटेशन आदि का अभ्यास कराया जाएगा। कुछ विशेष प्रस्तुतियाँ