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कहो तो कह दूँ .. उसने भी रिश्वत दी होगी इसलिए वो भी रिश्वत ले रही थी…

चैतन्य भट्ट
एक खबर अखबार में पढ़ी कि जयपुर में पदस्थ एक महिला डिप्टी कलेक्टर पोने दो लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ी गई। वैसे आजकल रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने की खबर कोई खास मायने रखती नहीं, क्योंकि आए दिन कोई ना कोई रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाता है अखबार भी चार लाइन में उसको निपटा देता है और पाठक भी उन खबरों का ध्यान नहीं देते क्योंकि वे सोचते हैं कि ये तो रोजमर्रा का काम है कहां तक देखें और कहां तक पढ़े लेकिन ये खबर थोड़ी अलग थी क्योंकि जो मोहतरमा डिप्टी कलेक्टर बनी थी वो पहले जोधपुर में सफाई कर्मी थी जब एक सफाई कर्मी डिप्टी कलेक्टर बनी तो भारी तारीफ  हुई उसकी। लोगों ने उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए उन्हें एक आदर्श भी बताया कि कैसे एक सफाई कर्मी अपनी मेहनत के बल पर डिप्टी कलेक्टर जैसे बड़े पद पर जा सकती है, लेकिन बहन जी ने एक ही झटके में अपनी पूरी इज्जत मिट्टी में मिला दी लोग बाग कह रहे हैं कि उन्हें रिश्वत लेने की जरूरत क्या थी जब सरकार उन्हें अच्छा खासा वेतन दे रही थी, अब अपन लोगों को समझा देते हैं कि आखिर उन्होंने रिश्वत ली क्यों। दरअसल वे सिस्टम के हिसाब से चल रही थी जब वे सफाई कर्मी के रूप में भर्ती हुई होंगी तब उन्हें रिश्वत देना पड़ी होगी और यही कारण है कि जब उनके अंडर में सफाई कर्मियों की भर्ती होने वाली थी तो उन्होंने इस सिस्टम को फॉलो करते हुए सफाई कर्मियों से रिश्वत की माँग कर डाली क्योंकि उन्हें अपना एक अनुभव था कि बिना रिश्वत दिए हुए अपॉइंटमेंट हो ही नहीं सकता इसलिए उन्होंने भी इस सिस्टम के तहत पौने दो लाख इकठ्ठे कर लिए, इसमें उनका कोई दोष अपन नहीं मानते क्योंकि जो उसने भोगा था आगे चलकर वही स्कीम उसने भी एडॉप्ट कर ली। वैसे भी आजकल एक दो लाख रुपए की रिश्वत भी कोई रिश्वत होती है क्या? जहां लाखों करोड़ों की रिश्वत का धंधा चल रहा हो वहां बेचारी उस गरीब ने अगर पौने दो लाख रुपए कमा भी लिए तो ऐसा क्या गुनाह कर दिया। जरूरत तो इस बात की है कि जो सिस्टम पूरे देश में चल रहा है उसे तोडऩा होगा वरना जो भी इन पदों पर आएगा उसे भी इस सिस्टम के तहत अपने आप को ढालना पड़ेगा और जो ऐसा नहीं करेगा उसके लिए ‘लूप लाइन’ जिंदाबाद…. और जो रिश्वत देकर आएगा वो भला लूप लाइन में क्यों रहेगा उसे भी तो अपना पैसा वसूल करना है, अब नेताओं को ही देख लो एक-एक चुनाव में जो करोड़ों खर्च कर रहे हैं वो क्या समाज सेवा के लिए आ रहे हैं अरे भैया अपना लगाया हुआ पैसा सूद समेत वापस लेना पड़ता है तो जब ऊपर से ही ये स्कीम चल रही हो तो नीचे वाले व्यक्ति बहती  गंगा में हाथ धोने से भला क्यों चूकेंगे।
बीबी दोषी होगी – मद्रास हाईकोर्ट ने एक बेहतरीन निर्णय दिया। इस निर्णय के तहत अगर पति रिश्वत लेता है तो उसमें पत्नी भी कहीं ना कहीं दोषी मानी जाएगी और पत्नी को भी सजा भुगतना होगी। मद्रास हाईकोर्ट कहता है कि घर की महिला अगर भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाएगी तो इसका अंत नहीं हो सकेगा। दर असल एक अधिकारी रिश्वतखोरी में पकड़े गए थे मुकदमा चल रहा था इसी बीच भाई साहब ईश्वर को प्यारे हो गए, पुलिस ने उनकी पत्नी को भी सह आरोपी बनाया था और जब पत्नी ने अपने आप को मुक्त करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया पति अगर रिश्वत ले रहा था तो पत्नी को भी सजा भुगतना पड़ेगी। वैसे हाई कोर्ट का निर्णय बिल्कुल सही है क्योंकि जब पति अपनी कमाई से दस गुना पैसा कमा कर अपनी पत्नी के हाथ में देता है तो पत्नी को पूछना चाहिए कि हुजूरे आला ये नोटों की गड्डियां कहां से ला रहे हो, लेकिन उस समय ऐसा लगता है कि ऐसे ही नोटों की बरसात होती रहे चाहे वो रिश्वत से हो या दो नंबर के काम से। बीवी को चाहिए कि वो अपने पति को रोके और कहे कि जो वेतन मिल रहा है उसी में उसका घर बेहतर तरीके से चल रहा है इसलिए ऐसा काम ना करें लेकिन पैसा ऐसी चीज है जो बड़े-बड़ों को फिसला देता है इसलिए हाई कोर्ट ने साफ -साफ  कह दिया कि जब रिश्वतखोरी के पैसे घर आ रहे थे तब आपने इसमें लगाम क्यों नहीं लगाई इसलिए आप भी बराबरी की दोषी हो। अपनी अब तमाम पत्नियों और बीवियों से एक ही गुजारिश है कि अगर वेतन के अलावा पांच पैसा भी उसका पति घर लाता है तो अच्छी खासी लताड़ लगाओ और कहो कि तुम तो किसी भी दिन निपट जाओगे बाद में सजा तो हमें ही भुगतनी पड़ेगी हो सकता है किसी डर के मारे रिश्वत खोरी शायद बंद हो जाए।
अहंकार की चर्चा- जब से लोकसभा के चुनाव क्या खत्म हुए हैं तमाम जगह एक ही शब्द गली मोहल्लों पान की दुकानों, बाजारों में गूंज रहा है और वो शब्द है ‘अहंकार’ कोई रावण का उदाहरण दे रहा है तो कोई कंस का, कि जब इन लोगों का अहंकार नष्ट हो गया तो फिर अब जो भी अहंकार कर रहे हैं उनकी हैसियत ही क्या है? आखिर अहंकार या घमंड इंसान में क्यों आ जाता है दरअसल जब उसे सफलता ही सफलता मिलती है तो फिर वह अपने आप भगवान से भी ऊपर समझने लगता है और ये एक स्वाभाविक सी प्रक्रिया है इंसान के भीतर काम, क्रोध, लोभ, मोह जैसी कमजोरियाँ होती ही हैं और इनके बीच कहीं अहंकार छुपा होता है बीजेपी की हार रूपी जीत पर उनकी मातृ संस्था आर एस एस भी कह रहा कि व्यक्ति को अहंकारी नहीं होना चाहिए, कोई भी सेवक अहंकारी नहीं होता। एक और बड़े नेता ने कह दिया कि अहंकार ने बीजेपी को 241 पर रोक दिया लगता है इस वक्त सोशल मीडिया पर अहंकार शब्द सबसे ज्यादा ट्रेड कर रहा है वैसे इसमें अपन किसी को दोषी नहीं मानते। चाहे वो खूबसूरती हो ,पैसा हो अधिकार हो, सम्मान हो, लोकप्रियता हो तो फिर अहंकार, गुरूर, घमंड अपने आप इंसान में पैबस्त हो जाते हैं, लेकिन हो सकता है इस हार रूपी जीत के बाद बीजेपी और उसके नेता शायद अहंकार शब्द से मुक्ति पा सकें।
सुपर हिट ऑफ  द वीक
‘80 साल की उम्र में भी आप अपनी बीवी को डालिंज़्ग कहते हैं, इस प्यार का राज क्या है?’ किसी ने श्रीमान जी से पूछा
‘असल में आज से बीस साल पहले मैं उनका नाम भूल गया था, पूछने की हिम्मत नहीं हुई, इसलिए डार्लिंग कहता हूं’..श्रीमान जी ने उसे समझाया।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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