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जब पूरी दुनिया तेज भाग रही है तो ‘स्मार्ट मीटर’ पीछे क्यों रहें?

चैतन्य भट्ट
इन दिनों बिजली के स्मार्ट मीटर्स को लेकर भारी चिल्ल पौ मची हुई है, जबलपुर के कांग्रेस नगर अध्यक्ष ‘सौरभ शर्मा नाटी’ इन स्मार्ट मीटरों के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं, उनका कहना है कि  स्मार्ट मीटर पुराने जमाने के लुंज पुंज मीटरों की तुलना में भारी तेज भाग रहे हैं, उधर विद्युत मंडल की कंपनियाँ कह  रही हैं ऐसा कुछ नहीं है जैसा पुराना मीटर चलता था वैसे ही नया भी चल रहा है इसको लेकर आए दिन युद्ध की नौबत आ रही है। इधर मीटर उखाडऩे की बात हो रही है तो उधर अफसरों का घेराव हो रहा है। अब शर्मा जी को कौन समझाए कि भैया पूरी दुनिया इस वक्त तेज भाग रही है यहां तक के टमाटर, बैंगन ,आलू तक के रेट कहां से कहां पहुँच चुके हैं, ट्रेनों की स्पीड साठ  किलोमीटर प्रति घंटे से बढक़र एक सौ बीस किलोमीटर प्रति घंटे हो गई है। हवाई जहाज की तो बात ही मत करो, शेयर मार्केट तूफानी गति से दौड़ रहा है, सोना चाँदी इतने तेज भाग रहे हैं कि उनको पकडऩा मुश्किल हो रहा है, हर आदमी एक दूसरे से आगे निकलने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं कि किसी भी तरह उसकी स्पीड उसके साथ दौड़ रहे आदमी से कम ना हो जाए, वैसे भी हर आदमी अपने आप को स्मार्ट बनाना चाहता है और अपन लोग कहते भी हैं कि  अमुक आदमी बड़ा ही स्मार्ट है जरूर  ऊपर जाएगा, यानी ‘स्मार्ट नेस’ आज की तारीख में सबसे ज्यादा जरूरी है तो यही वे  मीटर भी कर रहे हैं। वैसे भी विद्युत मंडल की कंपनी वाले बड़े होशियार हैं उनको मालूम था कि जब भी मीटर लगाने जाएंगे तो हल्ला मचेगा इसलिए उन्होंने पहले ही हर घर के भीतर लगे हुए मीटरों को बाहर शिफ्ट  करवा दिया था अब आप रात में आराम से खर्राटे भरते रहो और सुबह उठोगे तो देखोगे कि आपका पुराना मीटर स्मार्ट मीटर में बदल कर मुस्कुरा रहा है आपको पता ही नहीं चलेगा कि बिजली विभाग वाले कब आपके यहां स्मार्ट मीटर लगाकर निकल गए और जब एक बार निकल गए तो फिर आप मचाते रहो हल्ला ‘सांप मारने के बाद लाठी पीटने’ से क्या होगा? पता तो यह भी चला है कि स्मार्ट मीटर जहां लग रहे हैं उसमें पांच फीसदी पुराने मीटरों को लगाकर उनकी खपत देखी जाएगी कि दोनों एक से चल रहे हैं या नहीं लेकिन विद्युत मंडल की कंपनियाँ बेवकूफ थोड़ी है जो अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारेगी। सारी कंपनियाँ तो घाटे पर हैं और जो भी घाटा चाहे सरकार हो चाहे कंपनी उस घाटे को पूरा करने के लिए ‘गरीब की लुगाई’ एक ही है और वो है ‘जनता’ सो विद्युत मंडल की कंपनियाँ भी वही कर रही है अपना पूरा घाटा जनता की जेब से ही निकालने की पूरी कोशिश जारी है। अपनी तो शर्मा जी को एक ही राय है की पंडित जी जब पूरी दुनिया तेज भाग रही हो तो ऐसे में बेचारा स्मार्ट मीटर क्यों पीछे रहेगा उसकी भी अपनी दुनिया है, उसे भी डबल ट्रिपल बिल खपत दिखाना है और फिर जब कंपनियों ने लाखों स्मार्ट मीटर खरीद लिए हैं तो उनका कुछ ना कुछ तो उपयोग होगा सो जनता के सिर पर उसका ठीकरा फूट रहा है और फूटता रहेगा।
कर्ज लेकर कर्ज चुका देंगे
मध्य प्रदेश सरकार पर भारी भरकम कर्ज हो गया है इसके बावजूद सरकार कर्ज लेने वाली है,लोग बाग पूछ रहे हैं कि जब इतना कर्ज  सर पर चढ़ा है तो और कर्ज लेने की जरूरत ही क्या है? अब इन भोले-भाले लोगों को कौन समझाए कि कर्ज लेकर ही कर्ज उतारा जाता है। एक से कजऱ् लेंगे दूसरे का कर्ज चुका देंगे। इसकी टोपी उसके सर उसकी टोपी इसके सर, ये  परंपरा तो भारत में आज की नहीं बल्कि पुरातन जमाने की है। देखते नहीं आजकल तीन-तीन बैंकों के क्रेडिट कार्ड हर आदमी के जेब में है एक बैंक का कर्जा हो गया तो तुरंत दूसरे बैंक से कर्ज लेकर पहले बैंक का कर्ज चुका दिया, फिर उसका कर्जा हो गया तो तीसरे बैंक से  कर्ज लेकर दूसरे का चुका दिया, यानी कर्ज ही कर्ज पर उनकी पूरी जिंदगी कट रही है और फिर आजकल तो कर्ज लेना इतना आसान है किसी भी फाइनेंस कंपनी को एक फोन कर दो वो जब तक आपके जेब में कर्ज का पैसा डाल नहीं देगी तब तक वो चैन नहीं लेगी। मकान के लिए कर्ज, घरेलू चीजों के लिए कर्ज, फर्नीचर पर कर्ज, कार-स्कूटर के लिए कर्ज, यानी ऐसी कौन सी चीज है जो आपको लोन यानी कर्ज पर नहीं मिल रही है, एक मुश्त पैसा मिल जाता है धीरे-धीरे चुकाते रहो, यही तो सरकार कर रही है इधर से कर्ज लिया और  दूसरे का कर्ज चुका दिया फिर उसका कभी ज्यादा बढ़ गया तो तीसरे से ले लिया दूसरे का चुका दिया और फिर अपने यहां तो कहा गया है ‘कर्ज लो और घी पियो’ यानी बेहतरीन कर्ज ले लो और ऐश करो, आपसे ज्यादा चिंता तो कर्ज देने वाले वाले को रहेगी। दमदार आदमी नहीं रहा तो कभी वसूल भी नहीं कर पाएगा इसलिए जो लोग भी सरकार की बुराई कर रहे हैं कि सरकार कर्ज ले रही है पहले अपने गरेबान में झांक के देख ले कि वे कितना कर्जा लिए हुए हैं और कितनी ‘ई एम आई’ हर महीने चुका रहे हैं।
पुलिस से कौन संतुष्ट होगा ?
मध्य प्रदेश की पुलिस को भी पता नहीं क्या-क्या सूझता रहता है बैठे बैठे एक सर्वे करवा लिया और लोगों से पूछा कि आप हमसे संतुष्ट हैं कि नहीं तो 76 फीसदी लोगों ने तुरंत उनके सर्वे में हिस्सा लेकर कह दिया कि नहीं हम आपसे संतुष्ट नहीं बल्कि असंतुष्ट हैं । बेचारी पुलिस को क्या मालूम था कि उनके सर्वे में उनकी ऐसी पोल खुल जाएगी लेकिन जब तक वे अपना सर्वे डिलीट करते तब तक तो पूरे प्रदेश में क्या पूरे देश में ये खबर पहुँच गई कि मध्यप्रदेश पुलिस से 76 फीसदी लोग असंतुष्ट हैं,वैसे भी पुलिस से कौन संतुष्ट रहेगा ? आम आदमी से तो पुलिस का कोई लेना-देना बचा नहीं है, अपराधी हों, बदमाश हों, लुच्चे लफंगे हों, इन्हीं का वास्ता पुलिस से पड़ता है और ये भला  पुलिस की कार्य प्रणाली से क्यों संतुष्ट होंगे उन्हें जब पुलिस बत्ती देती है तो उनका असंतुष्ट होना स्वाभाविक सी बात और लगता है यही हुआ भी है। आम आदमी के बजाय तमाम गुंडे बदमाशों ने इस सर्वे में बढ़-चढक़र हिस्सा लिया होगा और असंतोष का  प्रतिशत  बढ़ा दिया होगा, अपनी तो पुलिस को राय है कि भैया ऐसे उलटे सीधे सर्वे ना करवाया करो वरना आप ही की छीछालेदर होगी इसलिए बेहतर है कि ऐसे सर्वे से अपने आप को बचा कर रखो।
सुपर हिट ऑफ द वीक
‘तुम तैयार होने में कितना वक्त लगाती हूँ मुझे देखो मैं 2 मिनट में तैयार हो जाता हूं’ श्रीमान जी ने श्रीमती जी को उलाहना देते हुए कहा
‘मैगी’ और ‘शाही पनीर’ में यही तो फर्क है श्रीमती जी ने भी उत्तर दे दिया।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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