सहारा भूमि घोटाले में ईओडब्लू की जाँच शुरू होते ही एक और नया खुलासा
क्या सरकार नाच रही सबसे धनवान विधायक संजय पाठक के इशारों पर ?
जबलपुर (जय लोक)। 242 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति के मालिक प्रदेश के सबसे धनवान विधायक कहे जाने वाले संजय पाठक और पाठक परिवार के अन्य सदस्य एक बार फिर चर्चा में हैं। सहारा समूह की सैकड़ों करोड़ रुपए की भूमि को काफी कम दाम पर मात्र कुछ करोड़ में खरीद लेने के मामले में ईओडब्ल्यू की जाँच शुरू होने के बाद गरमाया मामला अभी ठंडा भी नहीं हो पाया था कि अब एक और बड़ा धमाकेदार घोटाला उजागर हुआ है।
इस मामले में तो सीधे तौर पर शासन को ही करोड़ों रुपए की चपत लगाई गई है। इस पूरे मामले का खुलासा वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र जैन के द्वारा किया गया है। श्री जैन के द्वारा किए गए खुलासे के अनुसार भाजपा के कटनी के विधायक और पूर्व मंत्री संजय पाठक पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। मामला वर्ष 1987 का है, इस दौरान कटनी में ना नगर पालिका थी ना ही नगर निगम था। इस दौरान यहां नगर सुधार न्यास था और इसके अध्यक्ष विधायक संजय पाठक के पिता सत्येन्द्र पाठक थे। सत्येन्द्र पाठक ने इस दौरान एक सपना देखा था कि यहां के लोगों को घर बनाने के लिए जमीन मिल सके। जिसमें उन्होंने स्कीम 15 शुरू की। यह जमीन अरिंदम होटल के पास ही थी। नगर सुधार न्यास ने इस जमीन का अधिग्रहण किया। जिसमें जमीन के मालिकों को चार करोड़ से ज्यादा का मुआवजा दिया गया। कुल जमीन 21 एकड़ थी। आज कटनी में नगर निगम है और इस जमीन का असली मालिक नगर निगम ही है। सत्येन्द्र पाठक ने इस कार्य के लिए राज्य सरकार से अनुमति भी मांगी थी। जिसे राज्य सरकार ने स्वीकृति भी दी गई। 1 अगस्त 1984 को नगर सुधार न्याय का विलय नगर पालिका में हुआ। तब से यह मामला लंबित था। नगर पालिक और नगर निगम ने लापरवाही बरती। लेकिन 2011 में नगर निगम को इसकी याद आई। यह जमीन नगर सुधार न्याय के नाम थी जिसके लिए नगर निगम ने इस जमीन को नगर निगम के नाम करने के लिए कार्रवाही शुरू की। लेकिन राजनैतिक दबाव के कारण नगर निगम के आवेदन को निरस्त कर दिया गया। नगर निगम ने एसडीएम कोर्ट में भी अपील की लेकिन वहां से भी नगर निगम को मायूसी हाथ लगी। जिसके बाद नगर निगम जबलपुर संभाग आयुक्त के कोर्ट में पहुँचा। संभागायुक्त ने इस मामले को गंभीरता से लिया और एसडीएम के पूर्व के आदेश को निरस्त कर दिया और एसडीएम को मामले में जाँच के आदेश दिए। इस मामले में एसडीएम ने निष्पक्ष जाँच की बात कही तो संजय पाठक के निर्देश पर उनका तबादला करा दिया गया। खास बात यह है कि जिन लोगों को पूर्व में भुगतान देकर जमीनों का अधिग्रहण किया था उनसे फिर से जमीन खरीदी गई। वर्ष 2018 से लेेकर 2021 तक रजिस्ट्रियां की गई। इस दौरान तत्कालीन एसडीएम प्रिया चंद्रावत नेे राजनैतिक दबाव में आकर कटनी नगर निगम के आवेदन को निरस्त कर दिया। संजय पाठक के राजनैतिक रसूख के कारण नगर निगम ने अब तक इस मामले में हाईकोर्टं में अपील नहीं की। जबकि इस जमीन की वर्तमान कीमत पाँच सौ करोड़ के आसपास है। संजय पाठक की सायना कंपनी ने इस जमीन को खरीदकर इस जमीन का नाम साइना हिल्स कर दिया। इस जमीन की रजिस्ट्री उनके परिवार वालों के नाम की गई है। जो एक ही कंपनी के नाम पर खरीदी गई है। वहीं झिंझरी गांव की जमीन यश लाजिस्टिक के नाम पर खरीदी गई। पाँच सौ करोड़ की यह जमीन संजय पाठक को महज 20 करोड़ में मिली।
