कलेक्टर दीपक सक्सेना की अनूठी पहल
@जबलपुर (जय लोक)
शासन के राजस्व विभाग के ऐसे हजारों खसरे हैं जिनके कॉलम नंबर 12 ने उनके और उनकी संपत्ति के बारह बजाकर रखें है। यह हजारों लोगों के लिए इतना बड़ा संकट है कि कई लोग तो सालों से इसमें सुधार करवाने के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। खसरा के कॉलम नम्बर 12 के पीडि़त लोगों को अब बड़ी राहत मिलने जा रही है। इसकी मुख्य वजह है कलेक्टर दीपक सक्सेना की वह सोच जिसमें उन्होंने अपने कार्यालय में इस प्रकार के हजारों लोगों के लंबित प्रकरणों को ध्यान से देखा और इस आम समस्या से परेशान होते लोगों की पीड़ा को भी अनुभव किया और ऐसे पीडि़तों को सामूहिक राहत देने का बड़ा निर्णय लिया है।
यह पहली बार है जब अर्बन सीलिंग एक्ट और अतिशेष भूमि घोषित होने के बाद किसी कलेक्टर ने इस समस्या को सामूहिक रूप से हल करने की ओर ध्यान दिया हो। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जबलपुर में अपना जब पद ग्रहण किया तो उनके समक्ष इस प्रकार के बहुत सारे मामले प्रकाश में आए। जब इन प्रकरणों का अध्ययन करवाया गया तो पाया गया कि कई खतरों के कॉलम नंबर 12 में त्रुटि से गलत जानकारियां अंकित हो गईं हैं। इसके बाद उन्होंने पहले प्रशासनिक स्तर पर इस गलती को सुधार करने के लिए जुम्मा उठाया। सभी पटवारी को रक्षित निरीक्षक को इस कार्य में लगाया गया। सीलिंग शाखा को भी पूरी तरीके से प्राथमिकता के आधार पर इस कार्य को पूर्ण करने की जिम्मेदारी दी गई। अब इसके बाद जब उन्हें यह समझ में आया की बहुत सारे मामले ऐसे हैं जिन्हें शिविर के माध्यम से भी सुलझाया जा सकता है तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से सीलिंग प्रभावित प्रकरणों में निराकरण हेतु शिविर लगाने का ऐलान भी कर दिया। यह शिविर 24 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट में आयोजित किया जा रहा है। 15 अक्टूबर तक सुधार के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि भी निर्धारित की गई है। कालम नंबर 12 में सीलिंग से प्रभावित कई ऐसे मामले हैं जिससे सैकड़ों हजारों लोग प्रभावित हैं। यह शिविर इन लोगों को बड़ी राहत प्रदान करेगा। आजादी के बाद से जब अर्बन सीलिंग एक्ट लागू हुआ, तब कई लोगों की भूमियां अतिशेष घोषित हो गईं, वहीं इस प्रक्रिया के दौरान कालम नम्बर 12 में रिकॉर्ड गलत दर्ज हो गए, जिन भूमियों को गलती से शासन, प्रशासन की भूमि दर्ज हो गई उन्हें सुधार करने वाला कोई भी नया कानून नहीं लाया गया। इसी वजह से लंबे अरसे तक प्रशासनिक अधिकारी भी सीलिंग से प्रभावित मामलों में सीधे हाथ डालने से बचते रहे भले ही उनकी जानकारी में गलतियां साफ समझ में आ रही हों। लेकिन मामला शासन के पक्ष का था इसलिए इस गलती को सुधारने उच्च स्तर पर अपनी बात प्रबलता से रख आम लोगों को राहत पहुंचाने की हिम्मत किसी अधिकारी ने नहीं दिखाई। कलेक्टर दीपक सक्सेना ऐसे वरिष्ठ अधिकारी हैं जिन्होंने प्रशासनिक त्रुटियों की वजह से आम लोगों की इस पीड़ा को समझा कि आम आदमी अपनी ही भूमि को लेकर सालों से कार्यालयों के चक्कर काटने और हजारों लाखों रुपए खर्च करने को मजबूर हैं। इसी सोच के साथ कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कॉलम नंबर 12 में गलती से चढ़ी सीलिंग, शासकीय भूमि की एंट्री को ठीक करने का जुम्मा उठाया। अब शिविर के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण होने से जल्द ही इसके परिणाम सामने आएंगे और बड़ी संख्या में लोगों को राहत मिलेगी।
