यह जुआँ खिलाने वाला आदेश है या बंद करवाने वाला: कप्तान के आदेश से भ्रमित हुए अधिकारी
जबलपुर ( जय लोक)। जबलपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय से एक नया फरमान समस्त थाना प्रभारी के लिए जारी हुआ है। नवगत पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय का यह आदेश कल 29 अक्टूबर को जारी हुआ है। इस आदेश के माध्यम से जो निर्देश जिस भाषा शैली में दिए गए हैं वह हास्यप्रद तो है ही साथ ही साथ पुराने अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने अपने सर्विस काल में इस प्रकार का भ्रमित करने वाला आदेश पहले कभी नहीं देखा। पुलिस कप्तान के नए आदेश से तो लगता है जुआड़ियों की चांदी हो जाएगी। पुलिस कप्तान के थाना प्रभारियों को दिए गए आदेश में इतने विकल्प उपलब्ध करा दिए गए हैं कि जुआं फड़ संचालित करने वालों को उनके सहयोगी अगर इस बात की जानकारी दे दें तो, दीवाली से ग्यारस तक पूरे 11 दिन तक फड़ चलाने वाले ऐसे स्थान का चयन करके जुआँ खिलाएंगे जहां पुलिस अपने कप्तान के आदेश के अनुसार ही रेड नहीं मार सकेगी। आदेश की भाषा शैली ही इस प्रकार भ्रम पैदा कर रही है जैसे उन्हें जुआँ पकड़ने में रेड करने से रोका जा रहा है और जुआड़ियों को स्थानों के चयन का विकल्प दिया जा रहा है। आदेश में उल्लेखित किया गया है कि जुएं की सूचना पर कोई भी रेड की कार्यवाही बिना संबंधित राजपत्रित अधिकारी एवं थाना प्रभारी के संज्ञान में लिए बिना नहीं की जाएगी। पुलिस कप्तान के आदेश में कहा गया है कि जुआँ रेड करवाई करने से पूर्व अच्छे तरीके से यह सुनिश्चित कर लिया जाएगा कि वहां कुआ ,तालाब ,नहर ,नदी आदि तो नहीं है। यह भी उल्लेखित किया गया है कि अगर ऐसी स्थिति है तो फिर रेड करने के बजाय सिर्फ पुलिस की मौजूदगी का एहसास कराया जाए ताकि फड़बाज और उसके जुआँ खेलने वाले खिलाड़ी मौके से वहाँ से भाग निकले। दूसरा निर्देश यह है कि अगर जुआँ फड़ किसी भवन की प्रथम, दूसरी, तीसरी मंजिल पर संचालित हो रहा है तो वहां पर भी रेड की कार्यवाही ना की जाए सिर्फ पुलिस अपनी उपस्थिति का डर बताकर जुआड़ियों को वहां से भगा दे। तो जगह का चयन करके सजेंगे जुआँ फड़ आदेश के अनुसार यह इसलिए भी हास्यास्पद लग रहा है कि इस प्रकार से तो जुआँ फड़ सजाने में माहिर और कुख्यात लोग अपनी पसंद से ही ऐसे स्थानों का चयन कर जुआँ फड़ सजायेंगे जहाँ पुलिस कप्तान के आदेश अनुसार ही पुलिस रेड या छापा मारने नहीं आएगी। सुरक्षा से था मतलब , लेकिन आदेश का अर्थ ही बदल गया पुराने पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पहले इस प्रकार के निर्देश पुलिस अधीक्षक थाना प्रभारी को एकत्रित कर बैठक में दिया करते थे और उन्हें यह समझाया जाता था कि रेड की कार्यवाही के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाए कि रेड के दौरान अगर भगदड़ मचती है तो किसी की जान को हानि ना हो, कोई घायल ना हो। लेकिन इस आदेश का अर्थ का अनर्थ हो गया। कोई भी जुआड़ी पुलिस अधीक्षक के आदेशानुसार तो साफ सुथरी और खुली जगह पर जुआँ नहीं खेलेगा। जुआँ फड़ पुलिस से चोरी छुपके और ऐसे ही स्थानों पर संचालित किए जाते है जहां पुलिस का आना आसान ना हो । अब तो इस आदेश को पुलिस के ही कई व्हाट्सएप ग्रुप में अधिकारी कर्मचारियों द्वारा मजे लेने के उद्देश्य से हास्यप्रद कमेंट और टिप्पणियों के साथ आपस में प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है। जैसे इस आदेश के माध्यम से जुआड़ियों को विकल्प देने का काम किया गया हो। विभाग में अब पुलिस अधीक्षक के इस आदेश की चुटकियां ली जा रही है क्या जुआं खेलना सजा है या मजा है!!