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प्राप्ति की अपेक्षा नहीं, पूर्ति के प्रयास की राजनीति करते हैं युवा कमलेश अग्रवाल

जबलपुर (जयलोक)। ‘युवा कमलेश अग्रवाल’ यह उद्बबोधन यहां इसलिए किया जाना लाजमीं लगता है क्योंकि अपने जीवन के पांच दशक से अधिक पूर्ण कर चुके भाजपा नेता कमलेश अग्रवाल आज भी पूरी तरह से युवाओं के जैसे ऊर्जावान नजर आते हैं। दूसरा यह भी बड़ा कारण है कि वह हमेशा युवाओं के बीच में ही घिरे रहते हैं। अपने राजनीतिक सफर के 25- 30 साल उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के संघर्ष के दौर से लेकर सत्ता में स्थापित होने के दौर तक समर्पित किए हैं। भाजपा के जुझारू कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने भाजपा युवा मोर्चा से अपना राजनीतिक सफर प्रारंभ किया था। लंबे अरसे तक विपक्ष में रहते हुए अनोखे और चर्चित आंदोलन करने के लिए उनके युवा मोर्चा के कार्यकाल को आज भी याद किया जाता है। हजारों युवाओं के बीच में यूथ आइकॉन बनकर आज भी वे अपने चाहने वालों के बीच युवा नेता के रूप में ही सक्रिय रहते हैं। युवा की भूमिका में कमलेश तब भी नजर आते हैं जब अपने क्षेत्र के बुजुर्गों के सम्मान में प्रतिवर्ष कार्यक्रम कर उन बुजुर्गों के साथ खुशियों के रूप में साझा करते हैं जो अमूमन बुजुर्ग व्यक्ति अपने जीवन के इस पड़ाव में तलाश करते है। बुजुगों का सम्मान कर उनके साथ नाचने गाने को आनंदित पल भी उनके युवा मन और क्रम को प्रदर्शित करता है।
वैसे देखा जाए तो भाजपा नेता कमलेश अग्रवाल पारिवारिक जीवन में दादा भी बन चुके हैं। लेकिन समाज सेवा और अपनों के प्रति सेवा भाव के निर्वहन में वे आज भी युवा के भांति ही सक्रिय नजर आते हैं।
एक और महत्वपूर्ण बात कमलेश अग्रवाल के व्यक्तित्व की है कि उन्होंने कभी प्राप्ति की अपेक्षा वाली राजनीति नहीं की बल्कि जरूरतमंदों और बेसहारा लोगों के लिए पूर्ति के प्रयास की राजनीति को ही महत्व दिया। उनके राजनीतिक सफर में कई ऐसे पड़ाव आए जब वे कुछ इतर प्रयासों से कुछ और अच्छा पद या अच्छा मुकाम पाने में कुछ ही कदम पीछे थे लेकिन शायद अपने लिए खुलकर अपेक्षा रखना कमलेश अग्रवाल को नहीं आता इसलिए उन्होंने यह तरीका नहीं अपनाया।
अपने जीवन में अपने मित्र सखा जैसे भाई स्व. राकेश अग्रवाल जिनको अग्रवाल परिवार ने कोरोना काल में खो दिया उनको वो अपने इन सेवा प्रकल्पों को सूत्रधार मानते है और अपने राजनीतिक मुकाम पर होने का सबसे बड़ा श्रेय भी उन्हीं को देते हैं।
इस सब के बावजूद भी कमलेश अग्रवाल और उनका पूरा परिवार ईश्वर की कृपा को अन्य लोगों तक पहुंचाने के लिए खुद को एक माध्यम मात्र मानते हैं और इसी दिशा में प्रयास करते हैं। कुछ वर्ष पूर्व पूरे देश में एक विपदा आई जिसे कोरोना का नाम से जाना गया। इस दौरान कमलेश अग्रवाल ने शहर के अन्य कुछ गिने चुने नेताओं के तरह जी जान से लोगों की सेवा की। यहां भी कमलेश अग्रवाल अपनी नई सोच और ऊर्जा के साथ ऐसे लोगों की सेवा करते नजर आए जिससे उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। ना ही वह उनके राजनीतिक प्रभाव वाले क्षेत्र के निवासी थे और ना ही कोई ऐसे लोग थे जिनसे उन्हें लाभ मिल सकता।
उन्होंने शहर भर के बैंड वादकों, स्टेशन के कुलियों, रिक्शा चालकों की मदद साथ ही हाईवे पर भोजन भंडारे आयोजित करने के बड़े कार्य किये और जबलपुर शहर से गुजर कर देश के कोने-कोने में अपने घर की ओर  लौट रहे लोगों को भोजन पानी उपलब्ध कराकर उनकी दुआएं प्राप्त कीं। यहां तक कि अपने खेत में लगी गेहूं की पूरी की पूरी फसल भी कोरोना पीडि़तों और जरूरतमंदों के लिए दान कर सेवा भाव का उम्दा उद्धाहरण पेश किया था।
कमलेश अग्रवाल को इसलिए भी युवा कहा जाना उचित है क्योंकि पिछले 35 सालों से वे अनावृत रूप से बाबा बैजनाथ धाम की यात्रा करने अपने साथियों की टोली के साथ निकल पड़ते हैं। कई किलोमीटर लंबाई का मागज़् वह पैदल ही तय करते हैं जो वर्तमान के युवाओं के लिए बहुत आसान बात नहीं है। वैष्णो देवी यात्रा के लिए स्पेशल ट्रेन के माध्यम से सैकड़ों लोगों को दर्शन का पुण्य लाभ दिलाने में भी कमलेश अग्रवाल अपनी भूमिका अदा करते है।
पिछले चुनाव में उन्हें पार्टी के निर्देश पर नये वार्ड से चुनाव लडऩे की चुनौती का सामना करना पड़ा और अच्छी जीत के अंतर के साथ अपने राजनीतिक कौशल का परिचय देने में कामयाब रहे। कमलेश अग्रवाल को हमेशा हमने यह कहते सुना है कि हम अपने भाग्य के आगे नहीं चल सकते हमें सिर्फ  अपने कर्म करना है लेकिन होगा वही जो भाग्य में लिखा है। लेकिन यह बातें भी उनके कर्मयोगी व्यक्तित्व पर निराशाजनक प्रभाव नहीं डाल पातीं इसलिए भी कमलेश अग्रवाल आज तक युवा नेता ही माने जाते हैं।
आज उनके जन्मदिन पर मेरी और जय लोक परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं !

Jai Lok
Author: Jai Lok

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