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सत्संग का फल ही भागवत भक्ति है : ब्रह्मचारी श्री चैतन्यानंद जी

जबलपुर (जयलोक)
श्री शंकराचार्य मठ सिविक सेण्टर बगलामुखी मंदिर मढाताल में गुरुपूर्णिमा महोत्सव पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस में ब्रह्मचारी जी बताया कि व्यक्ति जब तक सत्पुरुषों के सानिध्य में नहीं जाता तब तक उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त नहीं होता,श्री ब्रह्मा जी ने भगवान् नारायण  के माध्यम से तथा नारद जी ने सनकादिकों के माध्यम से भागवत भक्ति को प्राप्त कर सृष्टि का कल्याण किया गोकर्ण जैसे सद्पुरुष ने सूर्य भगवान् की सत्प्रेरणा से अपने प्रेतयोनि प्राप्त भाई को   श्रीमद्भागवत श्रवण करा कर भगवान् का शाश्वत धाम प्राप्त कराया। लोक धर्म का त्याग और धर्म की शरणागति लेना ही भागवत भक्ति की प्राप्ति है।
सत्य ही परमात्मा का मूल है भागवत तत्व की मीमांसा करते हुए ब्रह्मचारी जी ने बताया समस्त जगत् का आधार केवल सत्य है अत: हम सत्य स्वरूप परमात्मा का ध्यान करते हैं जो कि सृजन, पालन, और अपने स्वरूप में सबको समाहित कर इस संसार का संचालन करते हैं। अत: श्रीमद्भागवत वेदोपनिषदों का सार एवं भगवान् का साक्षात वांग्मय स्वरूप है ।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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