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हमसे का भूल हुई, जो ये सजा हमका मिली…

चैतन्य भट्ट

80 के दशक में हास्य कलाकार ‘महमूद’ द्वारा निर्मित और उन्हीं के द्वारा निर्देशित एक फिल्म आई थी ‘जनता हवलदार’ जिसमें राजेश खन्ना, हेमा मालिनी और योगिता बाली जैसे कलाकार थे, इस फिल्म का एक गाना जो अनवर ने गया था बड़ा ही मशहूर हुआ था जिसके शब्द थे ‘हमसे का भूल हुई जो ये सजा हमका मिली, अब तो चारों ही तरफ बंद है दुनिया की गली’। लगभग चवालीस बरस बाद ये गाना महाराष्ट्र में हुई विधानसभा के चुनाव में ‘महा विकास आघाड़ी’ पर पूरी तरह सही बैठ रहा है। क्या-क्या सपने देखे थे उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के मिले-जुले गठबंधन ने कि बस जैसी पटकनी लोकसभा में बीजेपी को दी थी वैसा ही ‘धोबीपाट’ लगाकर बीजेपी के गठबंधन को चित कर देंगे लेकिन जब विधानसभा का रिजल्ट आया तो महा विकास आघाडी के हाथों से तोते उड़ गए, कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसे बुरे दिन आएंगे क्या-क्या वायदे नहीं किए थे आघाड़ी के नेताओं ने। महायुक्ति जहां महिलाओं को डेढ़ हजार रुपया हर महीने दे रही थी तो इन्होंने तीन हजार महीना देने की बात कर दी लेकिन आजकल वोटर बहुत होशियार हो गया है उसने सोचा जो दे रहा है उसको ही पकड़ो, जो वायदे कर रहा है क्या पता वायदे पूरे हो पाए ना हो पाए, वैसे भी नेताओं के वायदों पर अब जनता को भरोसा कम ही बचा है इसलिए उसने भी सोच लिया कि जो महायुति डेढ़ हजार दे रही है वही लेते चलो तीन हजार के चक्कर में कहीं ऐसा ना हो कि डेढ़ हजार से भी हाथ धो बैठे, सो महिलाओं ने महायुति पर अपनी मोहर लगा दी। इधर असली और नकली शिवसेना, असली और नकली एनसीपी का झगड़ा चल ही रहा था दोनों एक दूसरे को नकली बता रहे थे लेकिन महाराष्ट्र के मतदाताओं ने बता दिया कि असली कौन है और नकली कौन, वैसे आजकल अगर चुनाव जीतना है तो सबसे अच्छा रास्ता है मुफ्त में पैसे बांटो अपनी जेब से तो पंजी लगती नहीं है सरकारी पैसा है जितना चाहे उड़ाओ कोई बोलने वाला नहीं है और किसको अच्छे नहीं लगते फ्री फोकट के पैसे। जब से मध्य प्रदेश में अपने मामा जी ने बारह बारह सौ रुपए महिलाओं को ‘लाडली बहना’ के नाम पर देकर भारी भरकम बहुमत पाया था तो सबको लगने लगा कि इससे आसान और गारंटी वाला रास्ता और कोई नहीं हो सकता, सो उन्होंने भी लाडली बहन योजना शुरू कर दी और अब बेहतरीन सत्ता के सिंहासन पर बैठ जाएंगे, बेचारे महा विकास आघाड़ी वाले सिर्फ बोलते रह गए कि हम डेढ़ हजार की जगह तीन हजार देंगे, लेकिन जब सत्ता में आते तब तो देते ना? वक्त वक्त की बात है एक जमाना था जब उद्धव ठाकरे और शरद पवार का जलवा हुआ करता था लेकिन जब घर में ही झगड़ा हो तो फिर पड़ोसी तो उसका फायदा उठाते ही हैं बस यही भाजपा ने किया दोनों के दो टुकड़े करके अपनी सत्ता पक्की कर ली अब महाविकास आघाड़ी के तीनों दल मिलकर कोरस के रूप में गा रहे हैं ‘हमसे का भूल हुई जो ये सजा हमका मिली’।
दोस्ती की खातिर
दोस्ती पर पर कई फिल्में बन चुकी हैं राजश्री पिक्चर्स की ‘दोस्ती’ फिल्म तो आज भी एक आइकन है फिल्मों में दोस्तों की दोस्ती का बड़ा जबरदस्त वर्णन होता है, दोस्त एक दूसरे के लिए जान भी दे देता है लेकिन जबलपुर में बेचारा पुलिस का एक सिपाही दोस्ती के चक्कर मे पुलिस की जांच में फंस कर गिरफ्तार हो गया। इस गरीब का इतना ही गुनाह था कि उसका दोस्त पुलिस कांस्टेबल की भर्ती में शामिल हुआ था और इस पुलिस के सिपाही ने उसे एक होमगार्ड का फर्जी प्रमाण पत्र बना कर दे दिया ताकि इसके अनुभव के आधार पर उसके मित्र को नौकरी मिल जाए। हुआ यूं कि जबलपुर के छठवीं बटालियन में सैनिकों की भर्ती हो रही थी इस दौरान एसएएफ के अधिकारियों ने जांच के दौरान गुलजार खान नाम के एक व्यक्ति को फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के साथ पकड़ा था, पूछताछ के दौरान गुलजार खान ने बताया कि उसके पास जो होमगार्ड का फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र था उसे सचिन तिवारी नाम के आरक्षक ने बनाकर दिया सचिन तिवारी उनका दोस्त है। गुलजार खान के बयान पर बेचारे दोस्त की गिरफ्तारी भी हो गई लोग कहते हैं कि दोस्त के लिए कुछ भी कुबाज़्न किया जा सकता है लेकिन इस बेचारे आरक्षक ने अपने दोस्त के लिए जो कुछ किया उसने उसे जेल पहुंचा दिया, इस घटना के बाद अब दोस्ती की बातें संकट में आ गई हैं अब दोस्त अपने किसी दोस्त के लिए कुछ करने से पहले सौ बार सोचेंगे। कम से कम पुलिस को ये तो सोचना था कि उसने अपने दोस्त के भले के लिए ही यह सब किया था लेकिन पुलिस तो पुलिस है, फर्जी काम करोगे तो अंदर तो जाओगे ही, चाहे वो काम दोस्त के लिए करो, रिश्तेदार के लिए करो या और किसी के लिए।
कुंभकरण पर नई खोज
अपन ने तो हमेशा रामायण हो या रामचरितमानस या फिर किसी अन्य भाषा में लिखी गई राम कथा उसमें यही पढ़ा है टीवी सीरियल और फिल्मों में भी यही देखा है कि रावण का भाई ‘कुंभकरण’ छह महीने सोता था उसको जगाने के लिए नाना प्रकार के जतन करना पड़ते थे, कोई कान के पास जाकर ढोल बजाता था, तो कई सैनिक उसकी छाती पर चढक़र उसको भाला चुभाते थे, कोई कान में बल्लियां डालता था तब भाई साहब की नींद खुलती थी, लेकिन उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल आनंदीबाई पटेल ने कुंभकरण के बारे में एक नई खोज कर दी, उनका कहना है कि ये सब फालतू बातें हैं कि कुंभकरण छह महीने सोता था वो एक तकनीकी विशेषज्ञ यानी ‘टेक्निकल एक्सपर्ट’ था और सोने के बहाने गुप्त रूप से अपने बड़े भाई रावण के लिए नए नए यंत्र बनाया करता था। रावण ने ये अफवाह फैला दी थी कि उसका भाई छह महीने सोता है। इतने सालों बाद कुंभकरण के बारे में ये नई जानकारी अपने को पता लगी है पर राज्यपाल महोदया को ये किसने बताया कि कुंभकरण टेक्निकल एक्सपर्ट था और युद्ध के लिए यंत्र बनाया करता था ये भी एक खोज का विषय है। भविष्य में अब जब भी रामायण पर कोई सीरियल या फिल्म बनेगी तो उसमें कुंभकरण का रोल कुछ दूसरा ही होगा यह बात तय हो गई है।
सुपर हिट ऑफ द वीक
श्रीमती जी ने श्रीमान जी को मैसेज किया ‘आप सच-सच बताना आपको पड़ोसन कैसी लगती है’
श्रीमती जी को खुश करने के लिए श्रीमान जी ने रिप्लाई किया
‘एकदम बंदरिया जैसी’
‘तो ठीक है आते समय मेरे लिए दो साड़ी लेते आना नहीं तो ये मैसेज पड़ोसन को दिखा दूंगी’ श्रीमती जी ने फिर मैसेज किया अब श्रीमान जी साड़ी की दुकान पर खड़े हैं।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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