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57 जानवरों के अवशेष मिले वो डेढ़ माह से 2 साल तक पुराने

जबलपुर (जयलोक)
जिले की कटंगी  क्षेत्र के अंतर्गत कल एक बड़ा हंगामा निर्मित करने का प्रयास किया गया। फिज़़ा बिगाडऩे का यह प्रयास इसलिए भी असफल हो गया क्योंकि प्रशासन ने जब इसकी बारीकी से जाँच करवाई विशेषज्ञों प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों एवं पशु चिकित्सकों की टीम से जाँच करवाई तो यह स्पष्ट हो गया कि दुर्गम पहाड़ी स्थल पर जो जानवरों के अवशेष पाए गए हैं उनकी संख्या 57 है लेकिन इसमें से अधिकतम पाँच ही गौवंश के अवशेष हैं। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात जो सामने आई है वह यह है कि यह सभी अवशेष डेढ़- दो माह से लेकर सवा दो माह तक पुराने हैं। इस बात की आशंका व्यक्त कैसे की जा रही है कि शहर की फिजा बिगडऩे के उद्देश्य से एवं सिवनी में हुए कांड के बाद किन्हीं शरारती तत्वों द्वारा इतने पुराने विभिन्न जानवरों के अवशेष को एकत्रित कर अफवाह फैला दी गई थी।
प्रशासन की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है की तुला बाबा पहाड़ी जो कि कटंगी में स्थित है में बड़ी संख्या में मृत जानवरों के अवशेष बरामद हुए हैं। इस बात की जानकारी लगते ही बड़ी संख्या में हिंदूवादी संगठनों के लोग भी वहां एकत्रित हो गए और जमकर हंगामा किया। प्रशासन ने आक्रोशित हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं की पूरी बात सुनी और गंभीरता से जाँच करने का आश्वासन दिया। बरामद जानवरों के अवशेषों का तत्काल पोस्टमार्टम करवाया। शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद स्थिति स्पष्ट हुई। गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व में भी कटंगी थाना क्षेत्र के ग्राम मोहल्ला में स्थित एक खेत में बछड़े का कटा हुआ सर और पूंछ मिली थी। इस घटना के बाद हुए हंगामा और शिकायत के बाद पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था जिसमें नजीर खान, आदिल खान, अब्दुल रहीम, सरफराज उर्फ कंजा एवं जाहिर मंसूरी को जेल भेजा गया था।
कल तुल्ला बाबा पहाड़ी पर मिले अवशेषों में से तीन पसली के अवशेष भी बरामद हुए हैं जिनके बारे में यह बात सामने आई है कि उन्हें धारदार हथियार से काटा गया है परंतु यह अवशेष गोवंश के हैं यह स्पष्ट नहीं है। अभी 57 पशु कंकालों के अवशेष के अध्ययन के बाद यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि इन्हें मारा गया है अनुमान है कि इनमें से बहुत से पशुओं की सामान्य मौत हुई हो। इस बारे में जाँच की जा रही है।  जाँच के दौरान यह है साक्ष्य भी नहीं मिले हैं कि मृतक जानवरों को इस स्थल पर लाकर अवैध ढंग से काटा जाता था। मौके पर इस प्रकार के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। इस बात की भी जानकारी सामने नहीं आई है कि वहां पर मृतक जानवरों को लाकर फेंका जाता रहा है यह दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में पालतू एवं जंगली जानवर विचरण करते हैं। दुर्घटना या समान मृत्यु होने पर सब वहीं पड़े रह जाते हैं जो समय अवधि निकलने के साथ अवशेषों में परिवर्तित हो जाते हैं।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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