जबलपुर (जय लोक)
कहावत तो सभी ने सुनी ही है कि धोबी का कुत्ता, ना घर का ना घाट का। अभी यह कहावत इसलिए भी सुखिऱ्यों में आ गई है क्योंकि जबलपुर की राजनीति में खुद को बहुत ही सक्षम समझने वाले कुछ युवा नेता जब अपने आधे जीवन में एक पार्षद का चुनाव भी ना लड़ पाए,ना तो जीत पाए तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन छोडक़र कुछ भाजपा के बड़े नेताओं के हाथ पाँव जोड़ कर दलबदलू नीति के तहत भाजपा में प्रवेश कर लिया। हालाँकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के पहले ऐसे बहुत से घटनाक्रम हुए हैं। लेकिन 6- 8 महीने के नए भाजपा नेता बने ये युवा कांग्रेसी आज भी अपना अस्तित्व तलाशने के लिए भाजपा नेताओं की हर छोटी-बड़ी चौखट पर दर -दर भटकने के लिए मजबूर हैं। ये युवा नेता अपना नया आका तलाशने में लगे हुए हैं। इनकी सोशल मीडिया की प्रोफाइल की इनकी दर -दर भटकने और चुप चुप अपने अस्तित्व के संघर्ष की कहानियाँ बयान कर रही है। जीवन में सिर्फ अपना नाम चलाने के प्रयास में लगे रहे ऐसे युवा नेता अब खुद को वर्तमान में जबलपुर की राजनीति के केंद्र बिंदु से जुड़ा होना बताकर अपनी नेतागिरी चमकाना चाह रहे हैं। कुछ हाल ही में भोपाल और दिल्ली की दर दर दस्तक पूरी कर आये हैं।
हालांकि इनकी ये हरकतें भाजपा में केवल चटकारे लेने के काम आ रही हैं और जल्द ही इन युवा नेताओं की भाजपा में कुछ पाने की आस में किए जा रहे क्रियाकलापों की जानकारी भी सार्वजनिक हो जाएगी।