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आनन्द का प्राकट्य ही श्री कृष्ण जन्म है – ब्रह्मचारी चैतन्यानंद जी

जबलपुर (जयलोक)
गुरुपूर्णिमा महोत्सव के शुभ अवसर पर श्री बगलामुखी सिद्ध पीठ सिविकसेण्टर मढाताल में श्रीमद्भागवत के चतुर्थ दिवस पर महाराज जी ने बताया कि भगवान् कहते हैं कि जो मेरे चरण पकड़ता है मैं उसका तो उद्धार करता ही हूँ, परन्तु जो मेरे भक्त के चरण पकड़ लेता है मैं उसका भी उद्धार कर देता हूँ, यह बात गजेन्द्र मोक्ष के प्रसंग पर कहा,  समुद्र मंथन प्रसंग पर समझाया कि भगवान् कहते हैं कि जो मेरे आश्रित रहते हैं उनके हाथ से गयी हुई वस्तु भी वापस आ जाती है ।जिन्हें मुझ पर भरोसा नहीं उनके हाथ में आई हुई वस्तु भी चली जाती है, देवताओं को अमृत इसलिए प्राप्त हुआ क्योंकि उन्हें भगवान् पर विश्वास था ।इसी क्रम पूज्य ब्रह्मचारी चैतन्यानंदजी महाराज ने बताया कि बलि को सर्वस्व प्रदान करने भगवान् ने वामन अवतार धारण किया ।धर्म विग्रह के रूप में राम अवतार धारण किया ।तथा समस्त ब्रजवासियों को आनंद प्रदान करने भगवान् ने आनंद स्वरूप में श्री कृष्ण अवतार लिया अर्थात् आनंद का प्राकट्य ही श्री कृष्ण जन्म है ।  इस अवसर पर डा आचार्य नर्मदा प्रसाद शर्मा   नीता पटेल श्याम नीता चौदहद्य  महेश पुरुषवानी उषा कटारिया प्रीति साहू ऋषि अग्रवाल विवेक गुप्ता उपस्थित थे।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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