जबलपुर (जयलोक)
महाकौशल की राजनीति का मुख्य केंद्र जबलपुर अब खुद भी बड़े राजनैतिक बदलाव से प्रभावित नजर आ रहा है। 20 साल से सांसद रहे वरिष्ठ नेता राकेश सिंह अब मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री हैं। वहीं अब संसद के रूप में आशीष दुबे मैदान में नजर आ रहे हैं। बतौर सांसद उन्होंने अपनी सक्रियता दिखाना भी प्रारंभ कर दी है। प्रशासनिक अधिकारियों के साथ उनकी दो बैठकों के बाद यह स्पष्ट संदेश गया है कि यह सिर्फ परिचयात्मक बैठक नहीं थी बल्कि यह संदेश देने का प्रयास था कि जबलपुर में अब एक और राजनैतिक रूप से सक्षम व्यक्तित्व का मोबाइल नंबर एक्टिव हो गया है जिसे जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को पूरी अहमियत देनी होगी एवं सभी वरिष्ठ अधिकारी नए सांसद से सीधे तौर पर परिचित भी हो जायें।
इसके साथ ही भाजपा के जिला स्तरीय नेटवर्क में भी यह संदेश अपने आप प्रसारित हो चुका है कि जबलपुर में अब एक नया राजनीतिक शक्ति केंद्र उभर रहा है। निश्चित रूप से यह स्थिति का सही आकंलन है और समय परिवर्तन के प्रभाव का असर है जिसे सार्वजनिक रूप से अब स्वीकार किया जाने लगा है। इस परिस्थिति परिवर्तन के घटनाक्रम में यह बात तो पूरे तरीके से साफ है कि इससे भाजपा को ही प्रदेश स्तर पर फायदा हुआ है। स्थानीय स्तर पर भाजपा के पास अब 7 विधायक सहित एक मंत्री, एक सांसद, एक राज्यसभा सदस्य, वहीं कांग्रेस के पास एक राज्यसभा सदस्य और एक विधायक है। कांग्रेस के महापौर भी अब भाजपा की गणना में शुमार हैं। यह भाजपा के स्थानीय राजनैतिक कद की गणना के अनुसार तो अच्छा संकेत है। लेकिन केंद्र के मैदान में अब सांसद फिर नये खिलाड़ी के रूप में नई शुरुआत करने जा रहे हैं।
केंद्र सरकार में भाजपा ने राकेश सिंह को 20 सालों तक आगे रखकर जबलपुर के विकास की जो एक मजबूत कड़ी निर्मित की थी और एक मजबूत प्लेटफॉर्म वरिष्ठ नेता राकेश सिंह ने पार्टी की मंशा के अनुरूप तैयार किया था, जबलपुर की राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग का काम किया गया, जिसके माध्यम से हजारों करोड़ रुपए का विकास फंड जबलपुर आया अब इस क्रम में निश्चित रूप से आंशिक रुकावट नजर आएगी। यह इसलिए होगा कि नव निर्वाचित सांसद आशीष दुबे को जबलपुर का प्रतिनिधित्व वर्तमान केंद्र सरकार के मंत्रियों के समक्ष शून्य से शुरू करना होगा। वरिष्ठता के अभाव का एक सामान्य रूप से होने वाला खामियाजा भी नजर आ सकता है।
केंद्र सरकार में बहुत से नए मंत्री जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं, क्योंकि आशीष दुबे स्वयं पहली बार संसद पहुंचे हैं और केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्रियों के साथ साथ इन विभागीय प्रक्रिया की जटिलताओं को समझने में काफी समय गुजर जाता है। यही गुजरा हुआ समय जबलपुर और विकास के बीच में दूरी बढ़ाएगा।
ऐसा नहीं है कि यह समस्या सिर्फ जबलपुर संसदीय क्षेत्र के नवनिर्वाचित सांसद आशीष दुबे की हो बल्कि पहली बार निर्वाचित हो कर संसद पहुंचे सभी संसद सदस्यों को यह समस्या समान रूप से होती है।
वर्तमान समय में जबलपुर एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जब केंद्र की योजनाओं और पूर्व से चली आ रही योजनाओं का निरंतर क्रियान्वयन बिना गतिरोध के चलते रहना चाहिए। मध्य प्रदेश के महानगरों की दौड़ में जबलपुर वैसे भी अभी काफी पीछे है। ऐसी स्थिति में भाजपा द्वारा केंद्र सरकार के प्रतिनिधित्व में किया गया परिवर्तन जबलपुर के लिए कितना लाभकारी साबित होगा इस पर सबकी नजऱें हैं। हालांकि नवनिर्वाचित सांसद आशीष दुबे ने जबलपुर की मांगों को केंद्र के विभिन्न मंत्रियों के समक्ष उठाना प्रारंभ कर दिया है। अभी हाल ही में जबलपुर की घटती विमान सेवाओं को लेकर भी उन्होंने उड्डयन मंत्री से मुलाकात कर अपनी मांगे रखी है। उनके समर्थक और नव निर्वाचित सांसद खुद भी जबलपुर के पूर्ण विकास के लिए प्रतिबद्ध और निरंतर सक्रिय रहने का दावा करते है और इस दिशा में बढ़ भी रहे है।नए सांसद के सक्रिय हो जाने के बाद अब जिला और ग्रामीण भाजपा में भी इस नए खेमें में भर्ती अभियान चल रहा है। यह भर्ती अभियान स्वैच्छिक है। नए पुराने स्थानीय नेता और कार्यकर्ता अपने राजनैतिक भविष्य के अनुसार नए खेमें में शामिल हो रहे है। कुछ पुराने नेताओं के वफादार भी बने हुए हैं और नए संबंधों का निर्वाहन भी करते जा रहे हैं। कुछ इस बात का भी संकोच पाले नजर आ रहे है की अगर नए वाले के पास इतनी जल्दी जुड़ जायेंगे और ज्यादा समय देंगे तो पुराने वाले कहीं नाराज ना हो जायें। इनमें से बहुत से लोग ऐसे भी है पहले सिर्फ किसी विधायक के खास माने जाते थे। स्थानीय राजनीति के हर समीकरण को देख समझ कर नए राजनैतिक केंद्र की तरफ जुड़ाव का कार्य चलता नजर आ रहा है।
कांग्रेसी ज्यादा चिपट पड़े
स्थानीय भाजपा में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि नए नए उभरते राजनैतिक केंद्र से इस समय कांग्रेस से आये छोटे बड़े सभी नेता ज्यादा चिपट रहे है। कुछ ऐसे युवा नेता भी हैं जो सिर्फ जाति के नाम पर अपनी दूकान चलाने के उद्देश्य से भाजपा में आये हैं। इनकी हरकतों कि चर्चा भाजपा के स्थानीय नेताओं के बीच खूब बनी रहती है। शायद इनको भाजपा में अपने गुजर बसर के लिए यहीं पर अपना संरक्षण नजर आ रहा है। कुछ कांग्रेसी अपनी इन्हीं हरकतों के कारण अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं के निशाने पर भी बने हुए है।
एमआईसी में पड़ेगा असर
नगर सत्ता का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाने वाली मेयर इन कौंसिल पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। सभी का कयास है कि नए नवेले सांसद आशीष दुबे अब अपनी लॉबी भी मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे। पूरे नगर निगम और इससे जुड़े राजनैतिक क्षेत्र में अब इस बात की चर्चा है कि बची हुई एमआईसी के 5 सदस्यों में सांसद की मंशा अनुरूप भी भर्ती होगी। नए राजनैतिक केंद्र के उदय का यह फायदा उन वरिष्ठ पार्षदों को भी मिल सकता है जो अपने विधायकों की नाराजगी के कारण काबिल होने के बाद भी एमआईसी में अपनी जगह नहीं बना पा रहे है।