@डॉ .नवीन जोशी
भोपाल (जयलोक)। मध्य प्रदेश सरकार लंबे समय से अपने घोटालेबाज अधिकारियों और मंत्रियों की कारगुजारियों पर पर्दा डाल रही है ,यही कारण है कि मध्य प्रदेश विधानसभा में प्रस्तुत होने वाला लोकायुक्त प्रतिवेदन वर्ष 2015 के बाद से आज तक पटल पर नहीं रखा गया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में उनके कैबिनेट मंत्रियों तथा विभागीय अधिकारियों आईएएस ,आईपीएस और आईएफएस शामिल है उनके काले कारनामे , लोकायुक्त में दर्ज शिकायतें अभियोजन की स्वीकृति के इंतज़ार में लाल बस्ते में बंद पड़ी धूल खा रही है। यही स्थिति वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार में भी बनी हुई है। 15 महीने की कमलनाथ सरकार ने भी जन आयोग बनाकर भ्रष्टाचारियों को समाज में बेनकाब करने का वादा जरुर किया था, लेकिन वे किसी भी घोटाले की जांच करने में नाकाम रहे। मध्य प्रदेश की जनता लगातार सरकार के झूठे आश्वासनों से ठगी जा रही है। भ्रष्टाचारी अपने अंजाम से दूर है, जनधन की बर्बादी से इनकी तिजोरियां रोशन हैं। वर्ष 2016 में हुए सिंहस्थ के घोटाले ,वन विभाग के बड़े घोटाले , ई टेंडरिंग के घोटाले, व्यापम के घोटाले, पोषण आहार में घोटाला, महिला बाल विकास विभाग, धर्मस्व विभाग, संस्कृति विभाग ,पर्यावरण, शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग के बड़े प्रकरण मंत्रियों और अफसरों की ठगी की कहानी बयां कर रहे है। वर्तमान में केंद्र में मंत्री शिवराज सिंह चौहान जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो उनकी कैबिनेट के लगभग एक दर्जन मंत्रियों पर लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज हुए , साथ ही 36 आईएएस,14 आईपीएस और 9आईएफएस पर लोकायुक्त ने प्रकरण बने थे, जिनकी अभियोजन की स्वीकृति आज दिनांक तक नहीं मिली। कमलनाथ सरकार में भी कुछ अधिकारियों पर लेनदेन के मामले बने किंतु वह भी रफा दफा कर दिए गए और अब जबकि मोहन यादव की सरकार मध्य प्रदेश में है तब भी उम्मीद की जा रही हैं कि भ्रष्ट अफसर पर जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई होगी, किंतु 6 महीने गुजर जाने के बाद भी किसी प्रकरण में अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी गई है। सरकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध गंभीर नजर नहीं आ रही है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने बताया कि वर्ष 2015-16 से वर्ष 2022-23 तक कुल आठ साल के लोकायुक्त के वार्षिक प्रतिवेदन विधानसभा में पेश नहीं किये गये हैं। ये सभी आठ प्रतिवेदन लोकायुक्त ने राज्य सरकार को सौंप दिये हैं। इन प्रतिवेदनों पर संबंधित विभागों से जानकारी ली जा रही है तथा जानकारी आने के बाद प्रतिवेदन एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ सदन में प्रस्तुत की जायेगी।
घोटालेबाज अधिकारियों और मंत्रियों को बचा रही है सरकार : 8 साल से लोकायुक्त प्रतिवेदन विधानसभा में पेश नहीं किया गया
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