@परितोष वर्मा
जबलपुर (जयलोक)। जबलपुर शहर में यह पहला मौका है जब कटनी निवासी भाजपा के विधायक संजय पाठक के जन्मदिन के पोस्टर बैनर से शहर पट गया है। कटनी के विजयराघवगढ़ से भाजपा के विधायक संजय पाठक का परिवार वैसे तो जबलपुर और कटनी की राजनीति में कई दशकों से सक्रिय रहा है। यह सक्रियता आज भी बनी हुई है। पाठक परिवार को किसी परिचय की दरकार भी नहीं है। प्रदेश शासन में मंत्री का पद दो बार इस परिवार में जनप्रतिनिधियों को प्राप्त हुआ है। कांग्रेस की जब सरकार मध्य प्रदेश में थी तब स्वर्गीय सत्येंद्र पाठक प्रदेश सरकार में मंत्री बने। भाजपा में जाने के बाद उनके पुत्र संजय पाठक भी प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं। संजय पाठक की माताजी भी कटनी की महापौर रह चुकी हैं। लेकिन क्षेत्रवाद का दायरा और अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने वाले लोग वर्तमान की छोटी-छोटी हरकतों को भविष्य में होने वाली बड़ी-बड़ी गतिविधियों से जोडक़र देख लेते हैं। कयासों का दौर चल पड़ता है और अन्दाजे व अनुमान लोगों की नींद उड़ा देते है। दीपावली के पूर्व इसी प्रकार के अनुमानों और कसायों के पटाखे संजय पाठक को निशाने पर रखकर फोडऩे का काम शहर में शुरू हो गया है।
संजय पाठक की जबलपुर की राजनीति में कितनी रुचि है यह एक बड़ा सवाल उठ रहा है। वहीं इसके साथ दूसरा बड़ा सवाल यह है कि आखिर संजय पाठक का विरोध करवाने में किन-किन भाजपा के नेताओं की दिलचस्पी है? संजय पाठक की जबलपुर में सक्रियता से आखिर कौन कौन से भाजपा के नेताओं को अपना भविष्य संकट में नजर आ रहा है? यह दोनों सवाल सिक्के के दो पहलू हैं। इन दोनों को लेकर अनुमानों और अंदाजों की लड़ी फूट रही है। इस बात की संभावना कम है कि इस पूरे घटनाक्रम में कुछ लक्ष्मी बम या रस्सी बम जैसे बड़े धमाके जैसे कुछ खुलासे हो सकते हैं। क्योंकि पूरा मामला ही हवा में खड़ा है। यहाँ सिर्फ कयासों, अनुमानों और संभावनाओं के रॉकेट छोड़े जा रहे है। वर्तमान में यह घटनाक्रम जबलपुर की राजनीति में छाया नजर आ रहा है। समीपस्थ जिले कटनी के कद्दावर नेता माने जाने वाले संजय पाठक को लेकर जबलपुर की भाजपा में हलचल मची हुई है। संजय पाठक के जन्मदिन के पूर्व उनके समर्थकों ने शहर भर में संजय पाठक के फ्लेक्स लगा दिए हैं और सबसे बड़ी बात है कि इसमें जबलपुर के स्थानीय नेताओं को बहुत कम स्थान दिया गया। अनुमान में यह भी कहा जा रहा है कि यह पूरा काम संजय पाठक के कहने पर ही हुआ है। वैसे इन फ्लेक्स में जितने भी लोग नजर आ रहे हैं वह अधिकांश व्यापारिक रूप से ही संजय पाठक का हाथ पकडक़र आगे बढे हैं और उन्हीं के भरोसे उनकी रोजी-रोटी और व्यापार जमा और अब चल भी रहा है। संजय पाठक पूर्व में प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इस लिहाज से भी एक जिले के नेता का स्तर बहुत पहले ही पार कर चुके हैं। लेकिन समीकरणों में बदलाव के बाद इस बार जब भाजपा सत्ता पक्ष में आई तो संजय पाठक लाख प्रयास के बावजूद भी अपने विधायक के दर्जे को और आगे नहीं बढ़ा पाए और उन्हें जिले की राजनीति में ही समिट कर रह जाना पड़ा। अब जब एकाएक उनके बड़ी संख्या में जन्मदिन के फ्लेक्स जबलपुर में नजर आए तो जबलपुर के कुछ भाजपा से जुड़े लोगों और अन्य लोगों के दिमाग में हलचल पैदा हुई यह हलचल जुबान तक पहुंची और जुबान ने अपना काम चर्चाओं के रूप में शुरू कर दिया। ना शब्दों पर टैक्स लगता है ना दिमाग में आने वाले विचारों पर किसी प्रकार का जीएसटी है इसलिए यह मुफ़्त का काम जमकर हो रहा है।
सवालों की भरमार
संजय पाठक के जबलपुर में लगाए गए बड़ी संख्या में फ्लेक्स को इस बात से भी जोडक़र देखा जा रहा है कि कहीं भविष्य में संजय पाठक जबलपुर की राजनीति में अपने पैर जमाने के प्रयास तो नहीं कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में जबलपुर के कई कद्दावर नेताओं के सामने चुनौती का एक नया पायदान बनेगा।शायद इन्हीं संभावनाओं को खत्म करने के उद्देश्य से पहले ही प्रयास में स्थानीय स्तर पर भाजपा के लोगों ने इसका विरोध अंदर ही अंदर शुरू कर दिया है। नगर अध्यक्ष के संज्ञान में भी यह बात आई है और उन्होंने अपने स्तर पर इस बात को वरिष्ठ नेताओं के संज्ञान में लाने की बात कही है।हालांकि संजय पाठक का जबलपुर से पुराना जुड़ाव रहा है। राइट टाउन में उनका स्थाई निवास भी है। उनके पिता स्वर्गीय श्री सत्येंद्र पाठक की राजनीति का बहुत बड़ा दौर जबलपुर से जुड़ा हुआ है। स्वर्गीय श्री सत्येंद्र पाठक भी कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे है। संजय पाठक का जबलपुर से जुड़ी एक खदान में दूसरे मजबूत व्यावसायिक प्रतिद्वंद्वी से भी बहुत बड़ी रकम को लेकर विवाद चल रहा है। यह विवाद पूर्व में भी अखबारों में सुर्खियां पा चुका है। स्थानीय स्तर पर प्रशासन किस ओर झुका हुआ है इस बात के भी कयास लगाए जाते हैं क्योंकि बिना प्रशासन के कंधे पर बंदूक रखकर कोई भी पक्ष अपना सही निशाना नहीं साथ पाएगा। पूरा विवाद कई सौ करोड़ का है। इसमें भी प्रतिद्वंद्वी और समर्थकों की अलग अलग सूची है।
उखरी और एमआर 4 में फाड़े गए फ्लेक्स
संजय पाठक के एक समर्थक सिद्धार्थ तिवारी के नाम से लगाए गए फ्लेक्स पर विरोध करने वालों का गुस्सा भी जमकर उतरा है। एम आर 4 से लेकर विजयनगर यादव कॉलोनी रोड बड़ी उखरी रोड के फ्लेक्स बुरी तरीके से फाड़ दिए गए। आक्रोश निकालने वालों ने सिर्फ नीचे छपी फोटो के चेहरे फाड़े है और विरोध का संदेश देने का प्रयास किया है।
शहर में कुछ बड़ा कर सकते हैं संजय पाठक
इस बात की भी चर्चाएं बहुत गर्म है कि संजय पाठक जल्दी जबलपुर में कुछ बड़ा व्यवसायिक कदम उठाने जा रहे हैं। जिसके कारण उनसे और अधिक बड़ी संख्या में लोग सीधे तौर पर जुड़ जाएंगे। संजय पाठक वर्तमान स्थिति में प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के बेहद करीबी समझे जाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी उन्हें विशेष स्नेह हमेशा प्राप्त होता रहा है। इसके अलावा भी भाजपा के कई बड़े दिग्गज नेताओं से श्री संजय पाठक अपने करीबी संबंध स्थापित करने में कामयाब रहे हैं। समीकरणों का अंत नहीं है और संभावनाओं पर कोई रोक नहीं है। शायद इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर यह कयासों के फटाखें दीपावली के पहले ही फूटना प्रारंभ हो गए। उनकी धमक क्या असर दिखाएंगे या आने वाले समय में फूस्सी साबित हो जाएंगे यह भी आने वाला समय बता देगा। फिलहाल इस बात की चर्चा रॉकेट की तरह उड़ रही है कि आखिर संजय पाठक के जन्मदिन के फ्लेक्स की भरमार की एंट्री से किस किस भाजपा नेता को अपना भविष्य चुनौती के रूप में नजर आने लगा है और इस पूरे विरोध को खड़ा करवाया जा रहा है।