जबलपुर (जयलोक)
मध्यप्रदेश कांग्रेस की बहु प्रतीक्षित कार्यकारिणी की घोषणा होने के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं में आक्रोश उबल पड़ा है, सबसे ज्यादा कांग्रेस के मुस्लिम कार्यकर्ता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है। मुस्लिम आबादी के लिहाज से महत्वपूर्ण जबलपुर से किसी भी नेता को ना उपाध्यक्ष बनाया गया और ना ही महासचिव। कमलनाथ की टीम में महासचिव रहे सिर्फ मुहम्मद कदीर सोनी को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाकर औपचारिकता पूरी कर ली गयी।
यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या कांग्रेस भी भाजपा की राह पर चल पड़ी है? क्या धीरे धीरे कांग्रेस मुस्लिमों से दूरी बना रही है? क्या कांग्रेस में मुस्लिम नेताओं व कार्यकर्ताओं को सिर्फ वोट बटोरने तक सीमित कर दिया गया है.., विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में मुस्लिम समाज की उपेक्षा के बाद अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के गठन में भी मुस्लिम हाशिए पर डाल दिए गए हैं।
कमेटी में 17 उपाध्यक्ष में सिर्फ दो मुस्लिम व 71 उपाध्यक्ष में केवल दो मुस्लिम नेता स्थान पाने में सफल रहे। जबलपुर सहित छिंदवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, दमोह, पन्ना, छतरपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, सतना, मैहर, शहडोल, अनुपपूर, उमरिया, मण्डला, डिंडौरी, कटनी, सागर, दमोह, बैतूल, रीवा सहित दो दर्जन से ज्यादा जिलों में मुस्लिमों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। जबकि इन जिलों में लाखों मुस्लिम आबादी है जो हमेशा से कांग्रेस के पक्ष में मतदान करती रही है। जबलपुर, कटनी व सिवनी जिलों से पूर्व में कांग्रेस की टिकट पर मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा में पहुँचने में सफल रहे हैं।
कदीर सोनी की भी हुई उपेक्षा
कमलनाथ की टीम में महासचिव रहे जबलपुर के वरिष्ठ मुस्लिम नेता और डिंडौरी जिले के प्रभारी मुहम्मद कदीर सोनी को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाने की रस्म अदायगी की गयी। सोनी न केवल रीवा, सतना, सिवनी, शहडोल, उमरिया, मण्डला व डिंडौरी प्रभारी के रूप में काफी सक्रिय रहे हैं बल्कि 2008 में जबलपुर उत्तर मध्य से कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। उन्हें भी संगठन की मुख्य धारा से अलग कर दिया गया, चार लाख से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले जबलपुर से करीब दस मुस्लिम नेता कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण भूमिका में रहने का सपना संजोए थे। लेकिन सबको निराशा हाथ लगी। जीतू की जम्बो जेट टीम में मुस्लिम समाज की जिस तरह से उपेक्षा की गयी है निश्चित रूप से उससे कांग्रेस का परम्परागत वोट प्रभावित होगा। जिस तरह से आदिवासी मतदाता कांग्रेस से कन्नी काट रहा है ठीक उसी तरह कांग्रेस को थोक में वोट देने वाला मुस्लिम समाज भी कांग्रेस से मुंह मोड़ सकता है।
एआईएम बन सकता है विकल्प
जीतू पटवारी की टीम में पर्याप्त नुमाइंदगी न मिलने से खफ़ा मुस्लिम समाज विजयपुर व बुधनी उपचुनाव में कांग्रेस को सबक सिखा सकता है। अगर कांग्रेस अपने भरोसेमंद वोट बैंक के साथ ऐसी ही व्यवहार करती रही तो वो दिन दूर नहीं जब उत्तर प्रदेश की तरह मध्यप्रदेश का मुस्लिम समाज भी सांसद औबेसी की पार्टी एआईएम को विकल्प के रूप में चुन लें। बहरहाल अब देखना यह है टीम पटवारी के गठन से खुद को ठगा हुआ मेहसूस कर रहे मुस्लिम नेताओं को मनाने कांग्रेस किस तरह डेमैज कंट्रोल करती है..?