(अयोध्या धाम में प्रभु श्री रामलला के आगमन पर विशेष आलेख)
मंत्री, लोक निर्माण विभाग, मध्यप्रदेश शासन.
होहिं सगुन सुभ बिबिधि बिधि बाजहिं गगन निसान।
पुर नर नारि सनाथ करि भवन चले भगवान॥
(जयलोक)। मन, हृदय आनंदित है, अंतरात्मा गहराइयों तक तृप्त है। हर्ष, उल्लास और आनंद की लहरों में हर क्षण नवजीवन के समान प्रतीत हो रहा है। प्रसन्नता के यह क्षण हम शब्दों में व्यक्त करना चाहें, तो बरबस ही, बारंबार एक ही शब्द है, जिससे इन भावनाओं को व्यक्त भी कर सकते हैं और दूसरों के हृदय, मन तक भी संचारित कर सकते हैं, वह एक ही शब्द है- प्रभु श्री राम। प्रभु श्री राम का नाम एक-एक कंठ से निकलते हुए जब सामूहिक उद्घोष का स्वरूप लेता है, तो वह धरती धन्य हो जाती है और आकाश भी पवित्र हो जाता है, वातावरण हमें अयोध्या धाम की अनुभूति कराता है। विगत कुछ वर्षों से अयोध्या धाम में सरयू के तट पर लाखों दीप जब प्रज्ज्वलित होते हैं और ऐसा ही दृश्य महाकाल की नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर हम देखते हैं और देव दीपावली पर ऐसा ही असंख्य दीपों का सामूहिक आलोक जब काशी के गंगा घाटों को प्रकाशवान बनाता है, तो एक विचार स्वत: मन में आ ही जाता है कि दीपक भले ही छोटे हों, लेकिन एक-एक दीपक मिलकर जब बड़ी संरचना का निर्माण करते हैं, तो धरती से आकाश तक रोशन हो उठता है।
आज जब अयोध्या धाम में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी करोड़ों हिंदुओं की आकांक्षा को साकार रूप दे रहे होंगे, तो पूरा भारत श्रीराम नाम के उद्घोष से गुंजायमान हो रहा होगा। यही हमारी एकता, सामूहिकता और हमारी उस संस्कृति के प्रवाहमान होने का प्रमाण है, जो इस देश को विविधता के बावजूद एकजुट किए हुए है। आज जब हम विश्व पटल पर भारत के बढ़ते प्रभाव से गौरवान्वित हो रहे हैं, विकसित भारत के प्रण को साकार होते देख रहे हैं, गुलामी के प्रतीकों के ध्वस्त होने के साथ स्वाभिमान, सम्मान और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्थापित होते हुए देख रहे हैं, तो इसके स्रोत पर भी चिंतन उभर कर सामने आता है। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का विराट व्यक्तित्व देश के करोड़ों नागरिकों की उम्मीदों से इतना सशक्त और प्रभावशाली हो रहा है कि वह हर असंभव को संभव में परिवर्तित करने की अद्भुत क्षमता का वैश्विक मानक बन चुका है। करोड़ों नागरिकों ने मां भारती की सेवा के लिए हाथ आगे बढ़ाया, एक-एक कदम साथ चले और हमारी सामूहिकता और एकता के बल पर मोदी जी जैसा एक ऐसा नेतृत्व प्राप्त हो गया, जो देश को उसी तरह प्रकाशित कर रहा है, जैसे पावन नदियों के तट पर छोटे-छोटे दीप सामूहिक रूप से आकाश तक को रोशन कर देते हैं। देश का नेतृत्व वैसे तो राजनीतिक विषय माना जाता है, लेकिन जो व्यक्तित्व अपने कृतित्व से कालखंड को युग में तब्दील कर दे, उसे किसी विषय में समेट कर देखना संकीर्णता होगी। जब पूरा विश्व आज अयोध्या धाम की ओर देख रहा है, राम नाम के उद्घोष से पवित्र हो रहा है, तो मां भारती की सेवा के लिए हमारा समर्पण मजबूत संकल्प में तब्दील हो रहा है। हम विविधता से परिपूर्ण होने के बावजूद एक ऐसे नेतृत्व पर एकमत होकर, एकजुट हो जाते हैं, जो हमारे भारत को विकसित भारत में तब्दील कर रहा है। अयोध्या धाम के परम वैभव से पहले श्री काशी विश्वनाथ, श्री महाकाल जी में सांस्कृतिक पुनर्स्थापना के हम साक्षी बन चुके हैं। अयोध्या धाम के बाद भी यह यात्रा अनवरत जारी रहेगी और देश के सभी प्रमुख स्थलों को उनका परम वैभव प्रदान करते हुए गतिमान रहेगी। इस यात्रा का नेतृत्व माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं और हम सभी इसमें प्रण प्राण से सहभागी बने हैं, यही हमारा सौभाग्य है।