जबलपुर (जय लोक)। पिछले दो चुनाव के दौरान शहर के ऐसे दो नेता इस बात के चर्चित हुए हैं कि उन्होंने सार्वजनिक तौर पर चुनाव में शराब बांटने से इनकार कर दिया था। एक वाक्या नगर निगम चुनाव के दौरान पार्षद चुनाव के समय सामने आया था। वहीं दूसरा वाक्या विधान सभा चुनाव के दौरान सामने आया था। सामान्य तौर पर वर्तमान परिदृश्य में चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों से आम जनता को और खास कर गरीब तबके को मुफ्त की शराब, मुफ्त का राशन, साड़ी, पायल, बिछिया, एवं पैसे लेने की आदत पड़ गई है। इसके बिना गरीब बस्तियों में प्रत्याशियों के दौरे और उनके प्रयासों को बहुत महत्व नहीं दिया जाता है।यह स्थिति सिर्फ संस्कारधानी जबलपुर की नहीं बल्कि पूरे देश की हो चुकी है। चुनाव आयोग और जिला प्रशासन लाख प्रयास कर ले लेकिन पूर्ण रूप से शराब, पैसा, राशन वह अन्य उपहार के समान मुफ्त में बांट कर मतदाताओं को प्रलोभन देने से रोक नहीं पाते हैं। चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी और ऐसे राजनीतिक दल पूर्व से ही सारी तैयारी कर लेते हैं। शराब दुकान मतदान के 2 दिन पहले से बंद करने प्रशासन आदेश निकालता है, लेकिन शराब माफिया से सांठ-गांठ करके 10 से 15 दिन पहले ही मुफ्त में बाटी जाने वाली शराब और उपहार अलग अलग स्थान पर स्टॉक करके रखवा दिए जाते हैं।फिलहाल चर्चा उन दो नेताओं की हो रही है जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपने चुनाव अभियान में शराब का सहारा लेने से साफ साफ मना कर दिया था। पिछली विधानसभा चुनाव में पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से सांसद राकेश सिंह को भाजपा ने विधायक का चुनाव लडऩे के लिए मैदान में उतारा। यह उनके राजनीतिक जीवन का पहला विधानसभा चुनाव था। राकेश सिंह ने अपने चुनाव अभियान के दौरान स्पष्ट रूप से सार्वजनिक तौर पर यह ऐलान कर दिया था कि वह अपने चुनाव में शराब नहीं बाटेंगे। उनके कई समर्थक इस बात को लेकर विरोधाभासी थे, बहुत से कार्यकर्ता ऐसा नहीं करने पर नुकसान होने की बात कह रहे थे, लेकिन राकेश सिंह अपने निर्णय पर अडिग रहे। दूसरा वाक्या पार्षद चुनाव के समय महात्मा गांधी वार्ड से चुनाव लड़ रहे वर्तमान लोक सभा के प्रत्याशी दिनेश यादव के पुत्र हर्षित यादव के पार्षद चुनाव के समय सामने आया। दिनेश यादव ने भी सार्वजनिक तौर पर मंच से यह ऐलान कर दिया था कि वह अपने पुत्र के पार्षद चुनाव में शराब का सहारा नहीं लेंगे ना ही मुफ्त में शराब बाटेंगे, जरूरत पड़ी तो दूध बाटेंगे दवाई बाटेंगे लेकिन शराब नहीं बाटेंगे। आज प्रत्याशियों के लिए कत्ल की रात है। जबलपुर में बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जो बिना इन व्यवस्थाओं के चुनाव में अधूरे रहते हैं। अब देखना यह है कि इस चुनाव में प्रत्याशी क्या क्या करते हैं।