जबलपुर (जयलोक)/ परितोष वर्मा । 36 साल की उम्र में एक युवा जीवन हादसे का शिकार होता है और अपने जीवन और मृत्यु के बीच में संघर्ष शुरू करता है। 36 साल की उम्र में कभी सामान्य बातचीत के दौरान अपने परिजनों से खुद को कुछ हो जाने पर मानव कल्याण के लिए अपने शरीर के हर उपयोगी अंग को दान करने इच्छा व्यक्त करना भी एक बड़ी मिसाल है।
यह मिसाल पेश की है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक मिश्रा के बड़े बेटे कांग्रेस के युवा नेता रहे अंकित मिश्रा ने। दो दिन पूर्व होली की शाम को अपने घर पर एक हादसे का शिकार होकर बालकनी से नीचे गिर गए 36साल के अंकित को सर में अंदरूनी गंभीर चोटें आईं। रक्त रिसाव ना होने से मस्तिष्क में ही खून जम गया था। दुर्घटना के बाद से ही अंकित गहरी बेहोशी में चले गए थे। घटना की रात को ही उन्हें एयर एंबुलेंस से दिल्ली गुडग़ांव में स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी स्थिति गंभीर थी, डॉक्टरों ने 72 घंटे के निगरानी का समय दिया और आशा की कि मष्तिस्क की सूजन में कुछ कमी हो तो ऑपरेशन की दिशा में कदम बढ़ाया जाए। शायद ईश्वर की मर्जी नहीं थी, ऊर्जा और प्रतिभाओं से भरे नवयुवक अंकित की आवश्यकता शायद ईश्वर को ईश्वरीय लोक में अधिक थी और होनी के अनुसार अंकित का साथ सभी से छूट गया। छोटी सी उम्र में अंकित अपने परिजनों से विदा होकर भी वह काम कर गए जो जीवित इंसान कभी नहीं कर सकता। अंकित ने पूर्व में ही यह तय कर लिया था कि वह अपना देह दान करेंगे। अब जब इस हादसे ने अंकित को परिजनों से छीन लिया तो परिजनों ने भी अंकित की अंतिम इच्छा के अनुरूप मेदांता अस्पताल में 6 लोगों को अंग दान करने का निर्णय कर लिया।
6 जरूरतमंद भी थे मौजूद
मेदांता अस्पताल एशिया का एक बहुत बड़ा चिकित्सा का केंद्र है। यहां पर देश-दुनिया से लोग आते हैं और बहुत से जरूरतमंद लोग भी आते हैं। अंकित की मृत्यु के उपरांत जब उनके पिता आलोक मिश्रा,भाई अर्पित मिश्रा और अभिलाष तिवारी ने अंकित की अंगदान करने की इच्छा डॉक्टरों को बताई तो डॉक्टरों ने भी यह जानकारी दी कि उनके अस्पताल के रिकॉर्ड में छह ऐसे जरूरतमंद लोग हैं, जिन्हें अंकित के इस अंगदान के निर्णय से नया जीवन मिल पाएगा। छोटी सी उम्र में अंकित मिश्रा वह कार्य कर गए जो बड़े-बड़े लोग नहीं कर पाते। इस उम्र में अंगदान की भावना को मन में लाकर परिजनों को बताना बड़ी बात है। अंकित भले ही अब परिजनों के,मित्रों के,हमारे बीच में नहीं रहेंगे लेकिन उनका यह दान 6 जीवन के रूप में हमेशा मौजूद रहेगा।
सडक़ मार्ग से लाएंगे अंकित को, अंतिम संस्कार कल
परिजनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अंगदान की प्रक्रिया में समय लगने के कारण अंकित को लेकर परिजन सडक़ मार्ग से शाम तक रवाना हो पाएंगे एवं कल सुबह तक जबलपुर पहुंचेंगे। कल ही अंतिम संस्कार का कार्य संपन्न होगा।