Download Our App

Home » जबलपुर » व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)

व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)

(जयलोक)
27 सितंबर, 1925 को विजयादशमी के पावन दिन समाज को सशक्त बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई। इसके कुछ दिन बाद एक और बैठक हुई, जिसमें प्रथम कार्य को करने हेतु चर्चा हुई और वह कार्य था नागपुर से 60 किलोमीटर दूर रामटेक में रामनवमी के अवसर पर लगने वाले मेले में कुछ स्वयंसेवी सेवा गतिविधियाँ आयोजित करना। डॉ. हेडगेवार ने संगठन के उद्देश्यों और लक्ष्यों को परिभाषित करते हुए तथा अन्य स्वयंसेवकों में भी इसकी समझ विकसित करते हुए संघ की स्थापना की थी। डॉ. हेडगेवार ने कहा है कि भारत को अपनी मातृभूमि मानने वाला और अपने आपको हिंदू कहने वाला एक भी व्यक्ति जब तक इस भूमि में जीवित है, तब तक यह हिंदू राष्ट्र है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चाहता है कि संपूर्ण समाज संगठित हो और ‘पूरे समाज’ का अर्थ है-वह समाज, जो भारत को अपनी मातृभूमि मानकर उसकी भक्ति करता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष नागपुर में 02 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी से प्रारंभ हुआ। इस आयोजन में 14101 स्वयंसेवक गणवेश में सहभागी हुए साथ ही बड़ी संख्या में नागपुर के नागरिक गण उपस्थित थे। विदेशों से भी विशेष आमंत्रित नागरिक उपस्थित रहे। संघ शताब्दी वर्ष का कार्यक्रम देश भर में बस्तियों व मंडलों में हुआ, जहाँ स्वयंसेवकों ने गणवेश में ही भाग लिया। इन कार्यक्रमों में देश के गणमान्य लोगों ने भी सहभाग किया।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की वार्षिक बैठक महाकौशल प्रांत के जबलपुर जिले में आयोजित की जा रही है। यह बैठक 30 अक्टूबर से 1 नवंबर 2025 तक आयोजित होगी। हर वर्ष संघ की बैठक विभिन्न स्तर पर एवं देश के विभिन्न प्रांतों में होती है। बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय जी होसबाले तथा 06 सहसरकार्यवाह, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सहित सभी 11 क्षेत्रों एवं 46 प्रान्तों के संघचालक, कार्यवाह व प्रांत प्रचारक उपस्थित रहेंगे। संघ दृष्टि से भारत के 46 प्रान्तों से 407 कार्यकर्ता इस बैठक में अपेक्षित हैं। बैठक में मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा किए जा रहे कार्यो पर चर्चा की जाती है।

क्या कार्य किए जा रहे है एवं क्या कार्य करना है। सभी अपने-अपने क्षेत्रों में किए गए समाज सेवा के कार्यो की चर्चा करते है एवं अ‘छे कार्यो को आगे बढ़ाते है। संघ शताब्दी वर्ष में गृह संपर्क अभियान योजना के अंतर्गत हर प्रांत में 25 से 40 दिन का अभियान होगा। सामान्य से सामान्य स्वयंसेवक कुछ साहित्य जिसमें फोल्डर एवं पुस्तिकाएँ लेकर घर-घर जाएंगे। पंच परिवर्तन का संदेश कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण युक्त जीवनशैली, स्व का बोध और नागरिक कर्तव्य इन विषयों को लेकर गृह संपर्क होगा। बस्ती और मंडल स्तर पर होने वाले हिन्दू सम्मेलन, जिला स्तर पर प्रमुख नागरिक गोष्ठी, खण्ड/नगर स्तर पर सामाजिक सद्भाव बैठक, युवाओं के लिए कार्यक्रम इन विषयों पर भी विस्तार से चर्चा होगी। समाज परिवर्तन की दिशा में मातृशक्ति का बड़ा सहभाग है। उनसे भी जुडऩे का प्रयास किया जायेगा । ये सब मिलकर एक समन्वित दृष्टि से समाज में परिवर्तन के कार्य कैसे करेंगे, इस पर भी चर्चा होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सबको समझ में आने वाली भाषा बोलता है। संघ में मानवता, राजनीति, अर्थतंत्र, प्रशासन, भाषा संबंधी मुद्दों, धर्म, सामाजिक उत्थान सभी आयामों को महत्त्व प्रदान किया जाता है। इस सबके मूल में मातृभूमि की सेवा व उसके प्रति समर्पण का भाव है। संघ समाज को ही परिवर्तन का आधार स्वीकार करता है संघ का यह विश्वास है कि संपूर्ण समाज की सहभागिता से ही सामाजिक परिवर्तन संभव है। व्यक्ति में परिवर्तन से समाज में परिवर्तन आता है, जिससे आगे चलकर समग्र परिवर्तन संभव हो पाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जब व्यक्ति अपने चिंतन और आचरण में उत्कृष्टता लाता है, तभी व्यापक रूप से समाज में स्थायी व संपूर्ण परिवर्तन आता है। ऐसा परिवर्तन ही संघ का यथेष्ट है। इस प्रकार संघ सहजात रूप से एक भविष्योन्मुख संगठन है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सभी समुदायों के सदस्यों के साथ सदैव अ‘छे संबंध रहे हैं। इसके मूल में संघ की ‘हिंदु’ की परिभाषा की व्यापकता ही है, जो किसी के धर्म से नहीं अपितु भारत की राष्ट्रीय अस्मिता से संबंधित है। यह एक सर्वसमावेशी संकल्पना है, जिसमें अन्य मत-पंथों के सभी लोग सहज ही समाहित हो जाते हैं।

यही कारण है कि संघ सर्वसाधारण का संगठन बन पाया है तथा तेजी से बढऩे वाले एक श्रृंखलाबद्ध रासायनिक प्रक्रिया की भांति बढ़ता चला जा रहा है।
बहुत से लोग समाज के कल्याणार्थ व व्यवस्था परिवर्तन के लिए कार्य तो करना चाहते हैं, किंतु राजनीति से परहेज करते हैं- संघ ऐसे सब लोगों के लिए एक उपयुक्त स्थान है। वे संघ तथा इसके अनुषांगिक संगठनों में ईमानदारी से अ‘छा कार्य होते देखते हैं और उनके साथ कार्य में जुट जाते हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष के माध्यम से अपने कार्यो को और गति देना चाहता है जिससे संघ का कार्य संपूर्ण समाज तक पहुंच सके। संघ शताब्दी वर्ष को उत्सव के रूप में नहीं बल्कि कार्य विस्तार के रूप में, समाज को संगठित कर देश सेवा, पंच परिवर्तन का संदेश कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण युक्त जीवनशैली, स्व का बोध और नागरिक कर्तव्य आदि विषयों को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना चाहता है। पंच परिवर्तन के विषय को लेकर समाज की स’जन शक्ति, संघ कार्य समर्थन करने वाले लोग, विशिष्ट लोग, विशिष्ट संस्थाएँ, मठ-मंदिर, सामाजिक संस्थाएँ, शैक्षणिक संस्थाएँ, व्यवसायिक संस्थाएँ इन सभी से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है। संघ के कार्य का मूल आधार है शाखा। शाखा के माध्यम से व्यक्ति निर्माण, व्यक्ति के माध्यम से समाज और राष्ट्र निर्माण। एक अ‘छा व्यक्ति ही अच्छे समाज का निर्माण कर सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मानता है कि व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण होगा।
डॉ. देवेन्द्र विश्वकर्मा
अध्यक्ष, युवा आर्थिक परिषद

 

कटनी में बजरंग दल के नेता के हत्यारों का हुआ शॉट एनकाउंटर, जबलपुर रिफर

Jai Lok
Author: Jai Lok

RELATED LATEST NEWS

Home » जबलपुर » व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)
best news portal development company in india

Top Headlines

जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज का हुआ आगमन

जबलपुर (जयलोक)। द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज का आगमन आज जबलपुर दोपहर 2 बजे हुआ। महाराज

नेता प्रतिपक्ष के आधे कार्य का संतुष्टि पत्र उजागर कर रहा सफाई ठेकेदारों का खेल, सफाई कार्य पूर्ण नहीं तो नेता प्रतिपक्ष ने क्यों नहीं रोका ठेकेदार का संतुष्टि प्रमाण पत्र, क्या विपक्ष के नेता मजबूरी में दे रहे सफाई कंपनी को संतोषजनक कार्य का प्रमाण पत्र, क्या होगा अन्य वार्डों का ?

Live Cricket