परितोष वर्मा /जबलपुर (जय लोक)। 28 दिसंबर को दिनभर रानीताल स्थित भारतीय जनता पार्टी के संभागीय कार्यालय में भारतीय जनता पार्टी के नए नगर अध्यक्ष पद के लिए रायशुमारी का दौर चलता रहा । देर शाम तक संभागीय कार्यालय में चल रही बैठक से लेकर पूरे जिले में कौन बनेगा जबलपुर का नया भाजपा अध्यक्ष के विषय पर गुणा भाग लगाने और अपने-अपने समीकरण के अनुसार अनुमान लगाने का दौर चलता रहा। इसी बीच रानीताल चौराहे पर स्थित एक चाय की दुकान पर चल रही चाय पर चर्चा ने एक नया समीकरण और एक नया कौण इस पूरे मामले में जोड़ दिया। हमारी उपस्थिति के बीच चकाचक सफेद कुर्ते और आकर्षक कोटी पहने युवा से लेकर अधेड़ उम्र के नेता जी इन्हीं मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे। इनमें एक दो वो थे वो रायशुमारी में शामिल भी थे। इसलिए चल रही चर्चा के प्रति जिज्ञासा और अधिक जाग गई। चर्चा काम की थी तो हमारे भी कान खड़े हो गए और हम भी इस चर्चा के मूक हिस्सेदार हो गए। जो सुना , जो प्रतिक्रियाएं प्राप्त की और जो अनुमानों में चर्चित है उसने तो नगर अध्यक्ष के चयन पर एक नया बिंदु जोड़ दिया है।
अब बात इस आधार पर हो रही है कि शहर के दो राजनीतिक शक्ति केंद्र माने जा रहे सत्ता दल के सर्व शक्तिशाली और शहर से लेकर केंद्र तक अपनी बहुत अच्छी पैठ रखने वाले वर्तमान प्रभावी नेता कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह और हाल ही में जबलपुर के नवनिर्वाचित हुए सांसद आशीष दुबे में किसकी कहाँ चलेगी। हालांकि दोनों ही नेता इस बात को सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि वह सिर्फ पार्टी के कार्य करते हैं, निर्णय तो संगठन ही करता है लेकिन फिर भी चर्चाएं स्वतंत्र रूप से होती है।
हाल यह है कि नगर के बाकी बचे विधायक और अन्य पदाधिकारी इन्हीं दोनों राजनीतिक केंद्र बिंदु के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। यह बात स्पष्ट है कि कैबिनेट मंत्री के रूप में वर्तमान में अपनी सेवाएं दे रहे राकेश सिंह 20 साल से सांसद रहे हैं। इस 20 साल में जबलपुर की पहचान बढ़ाने और बड़े विकास के कार्य और उसके लिए हजारों करोड़ों रुपए की राशि लाने का कार्य उन्होंने किया है। यह पार्टी को मजबूत करने वाली बात है और इसीलिए भारतीय जनता पार्टी उनकी सेवाओं का आंकलन कर वर्तमान कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह को फ्रंट लाइन में रखती है यह भी स्पष्ट है कि उनकी चलती भी है।
आशीष दुबे वर्तमान में सांसद है और वे अभी अपने कुछ माह के कार्यकाल में लगातार जबलपुर के विकास के लिए केंद्रीय मंत्रियों से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर जबलपुर के लिए बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं। इस दौरान उनके अनुयायियों का एक नया वर्ग खड़ा होता भी नजर आ रहा है। अंदरूनी राजनीति पर चाय के दौरान हुईं चर्चाएं और उस दौरान उठाए गए गंभीर मुद्दे विचारणीय हैं। फिलहाल सबसे गर्म मुद्दा नगर अध्यक्ष की ताजपोशी का है।
काली चौकड़ी की कोटी पहने एक नेताजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए चाय की चुस्की के साथ यह बात रखी की भैया अब तो नगर में केवल मंत्री जी की रज़ामंदी चलेगी और ग्रामीण में सांसद जी की बात को महत्व दिया जाएगा। उन्होंने चाय पीते पीते ही यह दावा भी ठोक दिया कि यह बात उन्हें भोपाल के विशेष सूत्रों और वरिष्ठ नेताओं से ज्ञात हुई है और इस बात पर भी आश्वस्त रहने के लिए कहा गया है कि अब जिले में किसी प्रकार का कोई मतभेद बड़ा रूप नहीं लेगा। उनकी इस बात पर मौजूद 7-8 लोगों में से आधे लोगों ने सहमति जताई और आधे लोगों ने कहा कि संगठन की राय ही और निर्णय सर्वोपरि होगा। कुछ लोगों ने कहा कि संगठन ने अपने स्तर पर भी सर्वे करवाया है जो कार्यकर्ताओं , आम नागरिकों से लेकर जनप्रतिनिधियों के विचारों को केंद्रित रखते हुए किया गया है।
तभी एक युवा और वरिष्ठ के बीच की उम्र के नेता जी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का भविष्य तो अब युवाओं पर निर्भर करता है और युवा ही पार्टी को मजबूती से आगे ले जा पाएंगे इसीलिए ऐसे युवा को चुनकर लाना चाहिए जिसकी सभी के बीच में पूछ परख भी हो और जो सभी को साथ लेकर चलने की कला भी जानता हो। तभी दूसरे ने कहा कि चलेगा तो वही जो मंत्री जी के विकास पथ को आगे ले जा पाए। मंत्री जी की एक सोच अलग है वह ऐसे लोगों को आगे बढ़ाना चाहते हैं जो युवाओं और बुजुर्गों के बीच में तालमेल बनाकर आगे बढ़े और पार्टी को मजबूत करें साथ ही पार्टी का वोट बैंक भी बढ़ाने का काम करें। तभी दूसरे नेता ने बोला कि मंत्री जी के अनुयायियों की संख्या बहुत अधिक है उसमें से भी किसको चुनेंगे। यह बड़ा सवाल था तो 2 मिनट के लिए खामोशी का आलम छा गया फिर एक सज्जन ने अपने विचार व्यक्त किए कि कुर्सी की परिक्रमा और व्यक्ति पूजा करने वाला तो संगठन का अध्यक्ष नहीं बन सकता। आगे बोले कि लाना तो ऐसे व्यक्ति को पड़ेगा जो सभी विधानसभा में पकड़ रखता हो , मंत्री जी का शिष्य भी हो, सभी विधायकों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, जनप्रतिनिधियों से समन्वय भी हो और पार्टी के लिए सालों से समर्पित भी रहा हो।
फिर बात आई ऐसा कौन सा नाम है
कुछ देर सबने आपस में एक दूसरे का चेहरा देखा फिर बोला कि यह तो मंत्री जी और संगठन ही बता पाएंगे क्योंकि नगर अध्यक्ष का पद तो इन्हीं दोनों के तालमेल से फाइनल होगा।
ग्रामीण का समीकरण
ग्रामीण नगर अध्यक्ष पद के लिए एक सज्जन बात खत्म करते हुए सुझाव दे गए की सांसद को मजबूत करना है तो पार्टी ग्रामीण अध्यक्ष को लेकर उनकी बात को अधिक महत्व देगी। इसी बीच तपाक से दूसरे व्यक्ति ने पूछा कि भैया जाति का समीकरण भी तो बैठाना है मंत्री जी की इच्छा भी सर्वमान्य है और सांसद जी को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना है तो फिर जाति के समीकरण का क्या? बहुत देर से बातें सुन रहे एक उम्र दराज हल्की सी सफेद दाढ़ी वाले भाजपा नेता जिन्होंने लंबा समय सेवा में गुजारा है वह बोले कि मंत्री जी और सांसद जी की बातों को निश्चित रूप से गंभीरता से लिया जाएगा लेकिन समीकरण बैठाकर निर्णय लेने का काम तो प्रदेश संगठन ही करेगा इसलिए अगले 72 घंटे इंतजार करना ही मुनासिब होगा।