अलग-अलग फ्लेवर के लॉलीपाप थमा रही पार्टी
जबलपुर (जय लोक)। भारतीय जनता पार्टी में विधानसभा चुनाव के दौरान जबलपुर में टिकट वितरण के बाद उपजी बगावत यह कहकर रोकी गई थी जिसे टिकट नहीं मिला, उसे निगम मंडल में पदाधिकारी बनाया जाएगा। फिर लोक सभा के चुनाव में भी यह कहकर मेहनत कराई गई थी कि जो बेहतर काम करेगा, उसे निगम मंडल में नियुक्ति मिल सकती है। संगठन की नियुक्ति में भी यही जुमला चलता है कि जिसे पार्टी में सम्मानजनक पद नहीं मिला, उनके नाम पर निगम मंडल के लिए विचार किया जाएगा। निगम मंडल में नियुक्तियों के नाम पर 6 साल से जबलपुर के भाजपा नेताओं को एक ही लालीपाप अलग-अलग फ्लेवर में थमाया जा रहा है।
कुल मिलाकर, आज स्थिति यह है कि जेडीए से लेकर एमडीए तक सभी निगम मंडल अब प्रदेश सरकार के हाथ का एक टूल नजर आ रहे हैं, जिसे लालीपाप की तरह इस्तेमाल कर जिले में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को लुभाया जा रहा है।
पिछली शिवराज सिंह चौहान सरकार के पूरे कार्यकाल में भी निगम मंडल से जबलपुर जिले के नेताओं को दूर रखा गया। फिर विधानसभा टिकट वितरण में मनमाने फार्मूले लगाकर टिकट बांटे गए। जब विवाद पनपा तो सबसे कह दिया गया कि निगम मंडल में स्थान देंगे और किसी को नहीं दिया गया।
मायूस हैं जिले के वरिष्ठ नेता
वर्तमान में जबलपुर शहर और ग्रामीण के भाजपा नेताओं की मायूसी बढ़ रही है। 6 साल से निगम मंडल में नियुक्तियों का मामला लटका हुआ है, जिससे कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच हताशा की स्थिति उत्पन्न हो रही है। कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने उन्हें निगम मंडल में नियुक्ति देने का वादा किया था, लेकिन अब तक किसी को भी नियुक्ति का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है।
कुल मिलाकर, प्रदेश सरकार के पिछले और वर्तमान कार्यकाल में भाजपा के नेताओं से बेहतर प्रदर्शन लेने के लिए जो वादे किए गए थे, वे अब तक पूरे नहीं हुए हैं। इस स्थिति ने पार्टी के भीतर असंतोष और हताशा का माहौल बना दिया है, और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का यह मानना है कि सरकार ने निगम मंडल में पद देने का वादा एक राजनीतिक टूल के रूप में ही इस्तेमाल किया है। जिसका परिणाम यह है कि अब भाजपा के वरिष्ठ नेता मायूस और वरिष्ठ कार्यकर्ता हताश होने लगे हैं।
