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भागवत की पोथी ही साक्षात भगवान का स्वरूप है-डॉ.इन्दुभवानन्द

जबलपुर (जयलोक)
शताब्दीपुरम रोड में चल रही श्रीमद् भागवत की दिव्य अमृतमई कथा का सारगर्भित प्रवचन देते हुए रायपुर से पधारे ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज के शिष्य डॉक्टर इन्दुभवानन्द  महाराज ने बताया कि भगवान संसाधनों से नहीं कृपा से प्राप्त होते है परमात्मा कृपा साध्य है। संसाधन साध्य नहीं अनेक उपाय करने के बाद भी भगवान की प्राप्ति नहीं होती है भगवान जब चाहते हैं, कृपा करते हैं, अनुग्रह करते हैं तभी भगवान की प्राप्ति होती है आचार्य राजेंद्र प्रसाद शास्त्री जी ने भी अपने सारगर्भित उद्बोधन में बताया की भागवत बड़े भाग्य से मनुष्य को प्राप्त होती है अनेक अनेक जन्मों का पुण्य जब पुञ्जीभूत होकर के उदित होता है तब कहीं भगवान की अमृतमई कथा श्रवण करने का अवसर प्राप्त होता है। आप लोग बड़े भाग्यशाली हैं कि भगवान की दिव्य अमृतमई कथा का श्रवण कर रहे है ब्रह्मचारी श्री चैतन्यानंद जी  महाराज ने भी बताया कि भागवत के श्रवण करने से मुक्ति की प्राप्ति होती है भागवत से चारों अर्थ प्राप्त हो जाते हैं जिनका धर्म चाहिए धर्म की प्राप्ति हो जाती है।
इनका अर्थ चाहिए अर्थ की प्राप्ति हो जाती है जिनका काम चाहिए काम की प्राप्ति हो जाती है जिनको मोक्ष चाहिए मुक्ति की प्राप्ति भी भागवत के श्रवण से हो जाती है भागवत की पोती ही भगवान का साक्षात स्वरूप हैं।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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