नई दिल्ली (जयलोक)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रेडियो कार्यक्रम मन की बात रविवार (30 जून) यानी आज फिर से शुरू हो गया। इस दौरान पीएम मोदी ने कई मुद्दों पर बात की। मन की बात के 111वें संस्करण में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वो दिन आ ही गया जिसका हम सभी फऱवरी से इंतजार कर रहे थे 7 मैं मन की बात के माध्यम से एक बार फिर आपके बीच, अपने परिवारजनों के बीच आया हूं। एक बड़ी प्यारी सी उक्ति है- इति विदा पुनर्मिलनाय इसका अर्थ भी उतना ही प्यारा है, मैं विदा लेता हूं, फिर मिलने के लिए 7 इसी भाव से मैंने फरवरी में आपसे कहा था कि चुनाव नतीजों के बाद फिर मिलूंगा और आज, मन की बात के साथ, मैं, आपके बीच फिर हाजिर हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मन की बात रेडियो प्रोग्राम भले ही कुछ महीने बंद रहा हो, लेकिन मन की बात का जो आत्मा है देश में, समाज में, हर दिन अछे काम, निस्वार्थ भावना से किए गए काम, समाज पर सकारात्मक असर डालने वाले काम निरंतर चलते रहे 7 चुनाव की खबरों के बीच निश्चित रूप से मन को छू जाने वाली ऐसी खबरों पर आपका ध्यान गया होगा। उन्होंने कहा कि मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है। 24 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ, जिसमें, 65 करोड़ लोगों ने वोट डाले हैं। मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं।
आदिवासी भाई-बहन हूल दिवस के रूप में मनाते हैं
उन्होंने कहा कि आज 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन हूल दिवस के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था। वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया, और जानते हैं ये कब हुआ था ? ये हुआ था 1855 में, यानी ये 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो साल पहले हुआ था, तब, झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था।
एक पेड़ मां के नाम
पीएम मोदी ने कहा कि मैं आपसे पूछें कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है तो आप जरूर कहेंगे- मां। हम सबके जीवन में मां का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। मां, हर दुख सहकर भी अपने बचे का पालन-पोषण करती है। हर मां, अपने बचे पर हर स्नेह लुटाती है। जन्मदात्री मां का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है, जिसे कोई चुका नहीं सकता। उन्होंने कहा कि हम मां को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन, और कुछ कर सकते हैं क्या? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है- एक पेड़ मां के नाम। मैंने भी एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाया है। मैंने सभी देशवासियों से, दुनिया के सभी देशों के लोगों से ये अपील की है कि अपनी मां के साथ मिलकर, या उनके नाम पर, एक पेड़ जरूर लगाएं और मुझे ये देखकर बहुत खुशी है कि मां की स्मृति में या उनके सम्मान में पेड़ लगाने का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है।
पेरिस ओलंपिक पर भी बात की
पीएम मोदी ने कहा कि अगले महीने इस समय तक पेरिस ओलंपिक शुरू हो चुके होंगे। मुझे विश्वास है कि आप सब भी ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाडिय़ों का उत्साह बढ़ाने का इंतजार कर रहे होंगे। मैं भारतीय दल को ओलंपिक खेलों की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। हम सबके मन में टोक्यो ओलंपिक की यादें अब ताजा हैं उन्होंने कहा कि टोक्यो में हमारे खिलाडिय़ों के प्रदर्शन ने हर भारतीय का दिल जीत लिया था।उसके बाद से ही हमारे एथलीट पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जी-जान से जुटे हुए थे। सभी खिलाडिय़ों को मिला दें, तो इन सबने करीब 900 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। पेरिस ओलंपिक में आपको कुछ चीजें पहली बार देखने को मिलेंगी। शूटिंग में हमारे खिलाडिय़ों की प्रतिभा निखरकर सामने आ रही है। टेबल टेनिस में पुरुषऔर महिला दोनों टीमें क्वालिफाई कर चुकी हैं।
लोकल फॉर वोकल पर जोर दिया
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के कितने ही उत्पाद हैं, जिनकी दुनिया-भर में बहुत मांग है और जब हम भारत के किसी स्थानीय उत्पाद को वैश्विक होते देखते हैं, तो गर्व से भर जाना स्वाभाविक है। ऐसा ही एक उत्पाद है अराकु कॉफी। यह आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीता राम राजू जिले में बड़ी मात्रा में पैदा होती है। ये अपने रिच फ्लेवर और अरोमा के लिए जानी जाती है।