चेम्बर ऑफ कामर्स ने जताई चिंता
जबलपुर (जयलोक)। विद्युत नियामक आयोग द्वारा स्मार्ट मीटर की व्यवस्था लागू किए जाने को लेकर चेम्बर ऑफ कामर्स के प्रेम दुबे ने आपत्ति दर्ज की है। उनका कहना है कि स्मार्ट मीटर से विद्युत विभाग को उपभोक्ताओं से बिजली बिल के नाम पर खूली लूट करने का अवसर मिल जाएगा। जिससे ना सिर्फ उपभोक्ताओं पर बिजली बिल का बोझ बढ़ेगा वहीं बिजली विभाग भी बिल के नाम पर अनाप शनाप पैसे वसूलेगी। श्री दुबे ने राज्य सरकार से माँग की है कि इस ओर ध्यान देना चाहिए। साथ ही उपभोक्ताओं के साथ इस तरह की लूट ना हो सके।
श्री दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि स्मार्ट मीटर लगाए जाने के बाद यदि किसी फाइनेंसियल ईयर में उपभोक्ता के मिनिमम तीन बिलिंग में मीटर की मैक्सिमम डिमांड स्वीकृत लोड से अधिक हो जाएगी तो इस स्थिति में पहले से स्वीकृत लोड अपने आप तीन माह की मिनिमम लोड डिमांड के रूप में कनवर्ट हो जाएगा। यानी आपके मीटर का लोड कन्वर्ट होकर दूसरी मैक्सिमम डिमांड के लेवल वाले स्लाट में पहुँच जाएगी और उसकी बिलिंग उस डिमांड वाले लोड के मिनिमम बिलिंग के आधार पर शुरू हो जाएगी। आयोग ने कहा है कि इस नई व्यवस्था के आधार पर बिलिंग नए फाइनेंसियल ईयर के पहले महीने से ही होने लगेगी।
इसे ऐसे भी समझ सकते हैं
अगर किसी स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ता का बिल स्वीकृत लोड 1 किलोवाट के आधार पर आता है और साल भर के तीन बिलिंग साइकिल में उसके मीटर का लोड 1.2 किलो वाट, 1.3 किलोवाट और 1.4 किलो वाट तक पहुंच जाता है तो नए वित्त वर्ष के पहले महीने यानी अप्रेल माह का जो बिल आएगा उसमें बिलिंग की प्रक्रिया 1.2 किलोवाट के रूप में प्रभावी हो जाएगी और मीटर का लोड अपने आप अधिक हो जाएगा। इसका सीधा असर बिजली उपभोक्ता की जेब पर पड़ेगा। आयोग के नोटिफिकेशन में चूंकि उपभोक्ताओं को अलग से परिभाषित नहीं किया गया है, इसलिए यह सभी तरह के उपभोक्ताओं पर प्रभावी होगा। आयोग के नियम में यह भी कहा गया है कि इसी तरह की व्यवस्था लोड कम कराने के मामले में भी लागू होगी और तीन बिलिंग साइकिल के मिनिमम लोड के आधार पर ही लोड कम किए जाएंगे।
पेनाल्टी से जरूर राहत रहेगी
आयोग ने यह भी कहा है कि इस लोड के बढऩे के बाद जो भी चार्ज लगने होंगे उसका भुगतान भी उपभोक्ता को ही करना होगा। मीटर नियमों में संशोधन के जरिये लागू किए गए नए नियमों में यह भी कहा गया है कि इसी तरह की स्थिति उपभोक्ता की संविदा डिमांड के मामले में भी लागू होगी। आयोग के सचिव उमाकांत पांडा के आदेश से हुए नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि स्मार्ट मीटर लगाने की तिथि से पहले की अवधि के लिए स्मार्ट मीटर में दर्ज मैक्सिमम डिमांड के आधार पर कोई पेनाल्टी वसूल नहीं की जा सकेगी। दूसरे शब्दों में जब से यह नियम प्रभावी होंगे तब से ही नए लोड के आधार पर भुगतान करना होगा। पूर्व की अवधि में पेनाल्टी बिजली अफसर नहीं वसूल सकेंगे।
सिर्फ शार्ट नोटिस यानी मैसेज भेजेंगे
आयोग ने कहा है कि बढ़े हुए लोड पर बिजली बिल भेजने का काम एक अप्रेल से शुरू होने पर बिजली उपभोक्ता को अलग से कोई सूचना नहीं दी जाएगी। सिर्फ शार्ट नोटिस यानी मोबाइल पर मैसेज दे दिया जााएगा कि अप्रेल माह से उपभोक्ता का पहले से स्वीकृत मीटर लोड बढक़र अधिक हो गया है और उसकी बिलिंग बढ़े हुए लोड के आधार पर की जाएगी।