परितोष वर्मा
जबलपुर (जय लोक)। लंबी मशक्कत के बाद जबलपुर जिले और ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा जिला अध्यक्ष की नियुक्तियाँ हो गई हैं। नियुक्ति के पीछे शक्तिशाली लोगों के बारे में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के अपने-अपने विचार और अपने-अपने तर्क हैं। हालांकि अब दोनों ही अध्यक्षों के समक्ष इस बात की बड़ी चुनौती होगी कि वह किस प्रकार से अपने जिलेवार ग्रामीण क्षेत्र एवं शहरी क्षेत्र में संगठन को विस्तार देते हैं। फिलहाल जो सबसे पहले फर्क नजर आ रहा है वह यह है कि अध्यक्षों के बदलते ही उनके दरबारियों के भी चेहरे बदल गए हैं और अब नए-नए चेले सक्रिय होकर अपने अध्यक्ष का दौर चलाने में मशगूल नजर आ रहे हैं।
हालांकि यह स्वाभाविक प्रक्रिया का एक हिस्सा है कि जब किसी व्यक्ति को नई जिम्मेदारी मिलती है और विशेष करके राजनीतिक महत्वपूर्ण पद मिलता है तो फिर उसके पुराने करीबी भी सक्रिय हो जाते हैं सामाजिक सरोकार का असर भी नजर आता है और कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इन नई नई नियुक्तियों के साथ नया-नया रुख अख्तियार कर सक्रिय हो जाते हैं और खुद को नए पदों पर विराजमान हुए लोगों का सबसे नजदीकी, सबसे विश्वसनीय साबित करने का प्रयास करते हैं।
यह प्रयास क्यों किए जाते हैं यह सर्व विदित है। वर्तमान परिदृश्य में तो दोनों ही अध्यक्ष अपने वरिष्टों से मिलने का सिलसिला जारी रखे हुए हैं। बहरहाल अब नगर की कार्यकारिणी का गठन आगे चलकर होगा। जिस प्रकार के राजनीतिक समीकरणों के बीच में नगर अध्यक्षों की नियुक्ति हुई है इस पूरे परिदृश्य को देखकर इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा नगर संगठन के गठन का कार्य किसी उलझी हुई गठान को खोलने से कम नहीं होगा। यह कहा जा रहा है कि नगर अध्यक्ष के नाम पर विधायकों की सहमति प्राप्त हो गई थी। लेकिन कार्यकारिणी के गठन में किस विधायक की कितनी चलेगी और अध्यक्ष विधायकों की कितनी सुनकर उन्हें कितनी तवज्जो देंगे यह आने वाले समय में स्पष्ट हो जाएगा और कार्यकारिणी गठन में शामिल होने वाले चेहरे स्वयं ही इस बात को बयां कर देंगे।
