
जबलपुर (जय लोक ) । 1927 में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत आने वाली छोटी लाइन जिसे नेरोगेज कहा जाता था उसको आज इतिहास से मिटाने की साजिश सफल हो गई। लाख आवाज लगाने के बाद भी राजनीतिक शून्यता वाला जबलपुर उसे बचा नहीं पाया। ना सत्ता पक्ष आगे आया ना विपक्ष आगे आया। गाल सबने खूब बजाए। वास्तव में कोई प्रयास नहीं हुए और अंतत: जमतरा रेलवे ब्रिज जो की इतिहास की अच्छी धरोहर थी और बहुत शानदार पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सकती थी उसे गिरा ही दिया गया। आज दोपहर बाद कबाड़ी द्वारा खिरैनी गाँव की ओर से इसको गैस कटर से काटकर गिरा दिया गया। यह कार्य पिछले शनिवार से चल रहा था और लगातार लोग जबलपुर के सांसद विधायक विपक्ष के नेताओं और प्रशासन सबसे मांग कर रहे थे कि किसी भी प्रकार से इस ऐतिहासिक विरासत को रोकने के प्रयास किए जाएं।रेलवे ने कागजों में उसे जर्जर और खतरनाक घोषित कर दिया था लेकिन वास्तव में वह बहुत मजबूत था स्टील से निर्मित पुल को काटने में कबाड़ी ठेकेदार को पसीना छूट रहा था गैस कटर से यह काम आसानी से नहीं हो सक रहा था। यह इंग्लैंड में बना था और यहाँ लाकर इसको मजबूती से जोडक़र लगाना प्रारम्भ किया गया । लगभग 80 सालों तक इसके ऊपर से ट्रेन दौड़ती रही और इसमें जंग तक नहीं लगी। भूकंप में भी इसका कुछ नही हुआ। लोग लगातार मांग कर रहे थे कि पुल को काटने का कार्य रोक कर इसकी तकनीकी गुणवत्ता इसकी स्ट्रैंथ की जांच इंजीनियरों की टीम के द्वारा करवाई जाए और अगर यह मजबूत पाया जाता है तो इसे पर्यटन केंद्र के रूप में हेरिटेज ब्रिज की श्रेणी में रखकर बचाने का प्रयास किया जाए। हमारी आने वाली पीढियों के लिए भी एक धरोहर होती।लेकिन बात हो रही है, बात चल रही है, बात की गई है के फेर में सब खत्म हो गया । जबलपुर की एक ऐतिहासिक विरासत और इंजीनियरिंग के एक बेजोड़ नमूना रेलवे की पैसे की भूख में नीलाम होकर कबाड़ में चला गया।पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेश सोनकर ने भी अधिकारियों से भाजपा नेताओं से लगातार संपर्क साधा और किसी भी प्रकार से इस ऐतिहासिक विरासत को बचाने की अपील की थी। राजेश सोनकर ने कहा कि जबलपुर के हजारों लाखों लोगों का दिल बहुत दुखी हुआ है कि एक अद्भुत कलाकृति और ऐतिहासिक विरासत आज जबलपुर से छीन ली गई।
जबलपुर कलेक्टर ने दिखाई संवेदनशीलता–
ऐतिहासिक विरासत को बचाने के लिए सर्वप्रथम दैनिक जय लोक ने विषय को उठाया और सभी जिम्मेदारों के संज्ञान में लाये। बात ऐतिहासिक विरासत को बचाने की थी और इसकी गंभीरता को समझते हुए जबलपुर कलेक्टर श्री दीपक सक्सेना ने तत्काल एसडीम रांझी श्री मरावी, एसडीएम जबलपुर अभिषेक सिंह तहसीलदार प्रदीप तिवारी को निर्देशित किया कि वह पूरे मामले की जांच करें और ग्रामीणों की समस्या से लेकर हर बिंदु की वस्तु स्थिति से जांच के उपरांत अवगत कराएं। चूंकि मामला रेलवे से संबंधित और रेलवे केंद्र सरकार के अधीन आता है इस वजह से जिला प्रशासन के कार्य सीमा सीमित थी। लेकिन जिनके अधिकार क्षेत्र का यह विषय था और जो यह कार्य कर सकते थे उन्होंने इस बारे में रुचि नहीं दिखाई।

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Author: Jai Lok
