फ्री हैंड मिलते ही कलेक्टर, एसपी और नगर निगम आयुक्त -: सडक़ पर उतर पड़े
परितोष वर्मा
जबलपुर (जय लोक)। संस्कारधानी के प्रेस जगत ने लगातार अराजक हो चुकी यातायात व्यवस्था और मुख्य बाजारों से लेकर हर सडक़ों में सार्वजनिक स्थानों पर फैल चुके अतिक्रमण के जाल एवं इससे हो रही परेशानियों को जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के समक्ष लगातार उठाया। जिसका परिणाम यह निकला कि जनप्रतिनिधियों ने बेलगाम हो रही इन समस्याओं से शहर की आम जनता को मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया। वरिष्ठ अधिकारी भी मानते हैं कि प्रेस ने अपना काम बखूबी किया और हर वर्ग के संज्ञान में यातायात और अतिक्रमण की गंभीर समस्या का मामला आया यहीं से इसके निराकरण की मुहिम प्रारंभ हुई।
इसकी पहल लोक निर्माण विभाग के कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह ने की और जनप्रतिनिधियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह ने महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, विधायकगणों के साथ अन्य जनप्रतिनिधियों और कलेक्टर दीपक सक्सेना, पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय, निगमायुक्त प्रीति यादव एवं सभी जिम्मेदार अधिकारियों के साथ मिलकर इन गंभीर मुद्दों पर चर्चा की कि क्या कार्रवाई होनी चाहिए किस प्रकार की परेशानी कार्यवाही के दौरान आ रही हैं इसका क्या निराकरण हो सकता है किस क्षेत्र की क्या समस्या है उसका निराकरण कैसे होगा इन सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में शामिल जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी बातें रखी। बैठक का निष्कर्ष यह निकला की नेताओं की ओर से अतिक्रमण हटाने और यातायात को सुगम बनाने के लिए जरूरी और सख्त कदम उठाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी को फ्री हैंड दिया गया है।
प्रशासनिक अधिकारियों को भी इन सभी बात की ट्रेनिंग प्राप्त होती है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र वाले जिलों में मूलभूत सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए काम करें और जिले में पदस्थ अधिकारी इस कार्य के लिए पूर्ण रूप से सक्षम भी हैं। लेकिन कई बार जनप्रतिनिधियों की स्वीकृति न मिलने के कारण व्यवस्थाओं में बड़े बदलाव करना मुमकिन नहीं हो पता। इसके अपने अलग-अलग कारण है।
सामान्यतया वर्षों पुरानी व्यवस्थाओं को बदलने के दौरान कई बार लोग यह बदलाव स्वीकार नहीं करते और विरोध के स्वरूप में कुछ लोगों की भावनाएं सामने आती हैं जिसका शिकार जनप्रतिनिधि भी बनते हैं। जिसके कारण कुछ जनप्रतिनिधि ऐसी बड़े बदलाव वाली कार्यवाही के लिए हामी नहीं भरते। कई बार समन्वय बनाए रखने के चक्कर में बड़े बदलाव की कार्रवाइयों को टाल दिया जाता है।
लेकिन अब चरमरा रही यातायात व्यवस्था और परेशानी का सबब बन गए अतिक्रमणों की समस्या से शहर को निजात दिलाने के उद्देश्य से जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन एवं नगर निगम प्रशासन संयुक्त रूप से बड़ी कार्रवाई की रूपरेखा तैयार कर रहा है। आंशिक रूप से कार्रवाई प्रारंभ भी हो चुकी है। गंजीपुरा महिला मार्केट वाली सडक़ लगभग दम तोड़ चुकी थी। यहां से पैदल निकलना भी मुमकिन नहीं था। लेकिन अब इसका स्वरूप बदला नजर आ रहा है।
कलेक्टर दीपक सक्सेना, पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय, नगर निगम आयुक्त प्रीति यादव यह सभी अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों और अधीनस्थों की पूरी टीम के साथ पिछले कुछ दिनों से रोजाना शाम को शहर की विभिन्न सडक़ों का पैदल निरीक्षण कर रहे हैं।
लंबे समय बाद यह स्थिति निर्मित हुई है जब शहर के विकास के लिए जिम्मेदार सभी विभाग प्रमुख एक साथ इन समस्याओं के निराकरण का रास्ता तलाशने रास्तों पर निरीक्षण करते और योजना बनाते नजर आ रहे हैं। निश्चित रूप से शहर के जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन का यह संयुक्त कदम शहर की दिशा और दशा बदलने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
नगर निगम प्रशासन का इस पूरे अभियान में मुख्य किरदार होता है लेकिन बिना जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के नगर निगम भी बहुत प्रभावी कार्यवाही भी नहीं कर पाता। इसी प्रकार पुलिस प्रशासन की भी अपनी बाध्यताएं हैं, उसे भी शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकार प्राप्त प्रभावी अधिकारियों की जरूरत होती है। किसी भी शहर की पूरी व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए इन तीनों विभागों का संयुक्त ताल मेल बहुत आवश्यक है।
शहर के जन प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक का सबसे सार्थक परिणाम यही दिखाई पड़ रहा है कि इन तीनों विभागों का संयुक्त ताल मेल बनाया गया है सबकी जिम्मेदारियां तय कर दी गई है। जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर दीपक सक्सेना को कार्रवाई के लिए फ्री हैंड दिया गया है। कलेक्टर सक्सेना ने भी सभी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि वह बिना किसी भय या दबाव के अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करें। अपने अधिकारियों और अधीनस्थों की चिंता दूर करते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि किसी भी दबंग व्यक्ति के या प्रभावशाली व्यक्ति के अतिक्रमण को पहले हटाया जाए।
संदेश बिल्कुल साफ है कि अगले 10 से 15 दिनों में शहर में इन समस्याओं की निराकरण से संबंधित बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर शहर के विकास का जिम्मा संभाल रहे सभी जनप्रतिनिधियों का एक साथ एक आवाज में स्वर उठाना और अधिकारियों को फ्री हैंड देना यातायात और अतिक्रमण की समस्या से निजात दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। निश्चित रूप से जिस सार्थक सोच के साथ बैठक आहुत कर इस मुहिम का आगाज हुआ है उसी सार्थक विचार के साथ इस अभियान में लगने वाले हर अधिकारी कर्मचारी कार्य करेंगे तो शहर का सुंदर स्वरूप हम सबके सामने होगा और शहर की दिशा और दशा दोनों बदली हुई नजर आएंगी।
