परितोष वर्मा।
जबलपुर (जयलोक)। भारतीय जनता पार्टी के नगर अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तथा वर्तमान कैबिनेट मंत्री, जबलपुर पश्चिम के विधायक राकेश सिंह ने खुद को भाजपा के नगर एवं जिला अध्यक्ष पद के लिए चल रही गुटबाजी से दूर करते हुए इस खींचातानी में पडऩे से इनकार कर दिया है। भरोसेमंद सूत्रों से प्राप्त पुख्ता जानकारी के अनुसार जबलपुर, भोपाल और दिल्ली तीनों स्तर पर जब भी पर्यवेक्षकों द्वारा अध्यक्ष पद के लिए नाम मांगे गए तभी उन्होंने पार्टी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों के समक्ष आग्रहपूर्वक इस बात को रखा कि वह पूर्ण रूप से पार्टी के सिद्धांतों और निर्णय के समर्थन में काम करते हैं एवं किसी भी प्रकार की ऐसी गतिविधि में सम्मिलित नहीं होना चाहते जिसे गुटबाजी का स्वरूप दिया जाए। इसी बात को आधार बनाते हुए उन्होंने स्थानीय स्तर पर किसी भी नेता का नाम अध्यक्ष पद के लिए ना तो नगर से रखा और नाही ग्रामीण क्षेत्र से किसी का नाम रखने से इनकार कर दिया।
लंबे समय से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि स्थानीय स्तर पर नगर एवं ग्रामीण भाजपा अध्यक्ष पदों के नाम जबलपुर के दिग्गज बीजेपी नेताओं के द्वारा प्रदेश संगठन के समक्ष प्रस्तावित किए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि कुछ नाम संसद के द्वारा रखे गए हैं, कुछ नाम विधायकों के द्वारा भेजे गए हैं। कुछ नामों को संगठन ने अपनी ओर से बढ़ाया है और यह भी कहा जा रहा है कि कुछ नामों को संघ की ओर से महत्व देकर आगे बढ़ाया गया है। हालांकि जिम्मेदार सूत्रों ने इस बात को साझा किया है कि पूरी गुटबाजी के फ्रेम से मंत्री राकेश सिंह ने खुद को अलग कर लिया है। सूत्रों के अनुसार मंत्री राकेश सिंह का स्पष्ट अभिमत है कि वह संगठनात्मक कार्यों के निर्णय में हस्तक्षेप करने के पक्षधर नहीं है।
जबलपुर से लेकर दिल्ली तक इस बात की चर्चा सरगर्म है कि अध्यक्ष पद को लेकर दिग्गज नेताओं की राय को ही महत्व मिलेगा। इसी को आधार बनाकर लोग अपने अपने समीकरण और अपना अपना गणित बैठाकर चर्चाएं करने में लगे हुए हैं। अध्यक्ष पद चुनाव का सिलसिला जब से शुरू हुआ है उस दौरान से ही यह बात बार बार उठकर चर्चा में बनी हुई है कि राकेश सिंह की वरिष्ठता, उनके संपर्क दायरे, जबलपुर में उनके प्रभाव को देखते हुए उनकी बात को ही सर्वाधिक महत्व दिए जाएगा। इसमें कोई दो मत भी किसी को नजर नहीं आता।
लेकिन अपनी सैद्धांतिक नीतियों के कारण इस प्रकार की गुटबाजी में राकेश सिंह पडऩा भी नहीं चाहते हैं और पर्यवेक्षकों के सामने भी उन्होंने अपनी राय जाहिर कर दी है।
दूसरी और सांसद आशीष दुबे नगर और ग्रामीण भाजपा अध्यक्ष के नाम को लेकर स्पष्ट रूप से मुखर नजर आ रहे हैं। सांसद श्री आशीष दुबे पूरे मामले को लेकर सक्रिय हैं। सूत्रों के अनुसार हाल ही में वे कुछ दावेदारों को लेकर भाजपा के प्रदेश कार्यालय और मुख्यमंत्री निवास पर भी पहुंचे थे। इसके बाद से यह पूरा घटनाक्रम राजनीतिक चर्चा में बना हुआ है।
नामों की सूची लेकर विष्णु दत्त और हितानन्द शर्मा पहँुचे दिल्ली
दूसरी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा एवं संगठन महामंत्री हितानन्द शर्मा अध्यक्ष पद के पैनल में निकल कर आए नामों की सूची को लेकर कल शाम ही दिल्ली रवाना हो गए थे। आज वह दिल्ली प्रवास पर हैं और इस बात का दावा किया जा रहा है कि शाम तक इस बारे में निर्णय हो जाएंगे और सूची भी जारी हो जाएगी। अभी भी कुछ जिले ऐसे हैं जहां पर दिग्गज नेताओं के अपने अपने नाम पर अड़ जाने के कारण आमराय की स्थिति नहीं बन पा रही है। ऐसे जिलों को होल्ड पर रखकर आगे के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। किसका नाम आएगा किसका नाम नहीं आएगा इस बारे में बहुत पुष्ट रूप से अभी कोई कुछ नहीं कह पा रहा है। बड़े जिलों में खास करके अनुमान और चर्चाओं का दौर चल रहा है।