
सत्यम तिवारी
(जयलोक)। डायलॉग है कि हमें टेढ़ों को सीधा करना आता है। राहुल गांधी के आव्हान पर शुरु किये गए इस अभियान को यदि इसी डायलॉग के चश्मे से देखा जाए तो वायरल की जा रहीं तस्वीरें और वीडियो खुद बताने लगीं हैं कि अभियान की आहट मात्र ने अब उन बगुलों को भी फडफ़ड़ाने मजबूर कर दिया है जो अब तक पार्टी में बगुला भगत होने का पाखण्डी दिखावा करते आए हैं। इसे राहुल गांधी के शब्दों में कहा जाए तो कांग्रेस के लंग्ड़े घोड़े भी इन दिनों सरपट दौड़ लगाकर ये छद्म प्रदर्शन करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि वे लंगड़ नहीं बल्कि रेस या बारात में लगाने के काम के हैं। इस अभियान के शुरुआती दौर का ही ये प्रभाव कहा जा सकता है कि पार्टी के लिए अब तक वक्री चाल चलते आ रहे अशुभ छाया ग्रहों ने स्वयं को मार्गी करना शुरु कर दिया है। तो वहीं पर्याप्त प्रमाणों और अनुभवों के आधार पर कांग्रेस भी अब अपने लिए खग्रास ग्रहण बने उन तमाम अशुभ वक्री ग्रहों की पूर्ण शांति विधान और लंगड़े घोड़ों को रिटायर करने में कोई मोह माया या सिफारिश स्वीकार करती नहीं दिख रही है। पार्टी के दिग्गज कहे और माने जाने वाले दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह की नेतागिरी पर बेलेस्टिक मिसाइल की तरह गिरा निष्कासन पत्र इसकी नज़ीर माना जा सकता है। यदि अभियान ही लंगड़ा ना हुआ तो कांग्रेस को एक नई युवा शक्ति नेतृत्व के लिए मिलने के आसार साफ हैं। जो हो सकता है कि ये तरुणाई पार्टी के लिए वफादारी दिखाए और निकाल बाहर किए गए या रिटायर किये गए लंगड़े घोड़ों को गिनकर कांग्रेस किसी शायर का ये शेर कहे कि –
अपनी पीठ से निकले खंजरों को जब गिना मैंने
ठीक उतने ही निकले जितनों को गले लगाया था।

लोकार्पण तो हुआ नहीं, गर्मी में ठंडे पानी की राहत लेकर लौट आये काँग्रेसी

Author: Jai Lok
